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कर नोटिस सही नहीं तो आईटी पोर्टल जाएं अभी

इन नोटिसों में उन करदाताओं का ध्यान रखा गया है, जिनकी आय 50 लाख रुपये से अधिक होने का संदेह है।

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बिंदिशा सारंग   
Last Updated- August 06, 2023 | 11:41 PM IST

आयकर विभाग ने हाल ही में उन करदाताओं को करीब 1 लाख नोटिस भेज दिए हैं, जिन पर उसे आय छिपाने या आय का गलत ब्योरा देने का शक है। इस अभियान में चार से छह साल पुराने मामलों पर निशाना साधा गया है। इन मामलों में कर निर्धारण का काम मार्च 2024 तक पूरा हो जाएगा। इन नोटिसों में उन करदाताओं का ध्यान रखा गया है, जिनकी आय 50 लाख रुपये से अधिक होने का संदेह है।

आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी के पार्टनर मनीत पाल सिंह ने बताते हैं, ‘आयकर विभाग से जारी नोटिस जांच यानी स्क्रूटिनी के नोटिस हैं, जिनमें करदाता की आय के स्रोत जानने के लिए कई सवाल पूछे गए हैं।’आयकर अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक तीन साल से पुराने मामले तभी खोले जा सकते हैं, जब 50 लाख रुपये या उससे अधिक आय पर कर नहीं चुकाया गया है। कर निर्धारण वर्ष (एवाई) 2021-22 तक के ऐसे मामलों पर छह साल तक कार्रवाई हो सकती है।

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आजकल कर विभाग के पास सूचना जुटाने का बड़ा नेटवर्क है, जिससे वह करदाता की आय के बारे में काफी ब्योरा हासिल कर सकता है। जैन कहते हैं, ‘ये नोटिस बैक, म्युचुअल फंड कंपनी, स्टॉक एक्सचेंज, संपत्ति पंजीकरण दफ्तर, आयकर छापों, जानकारी देने वाली अन्य एजेंसियों आदि से जुटाई सूचना के आधार पर जारी किए गए हैं। बाद में इस जानकारी का मिलान करदाता द्वारा दाखिल किए गए आयकर रिटर्न में दी गई सूचना से किया जाता है ताकि पता चल सके कि सही आय बताई गई है या नहीं।’

उच्चतम न्यायालय में वकील संदीप बजाज बताते हैं, ‘बताई गई आय में गड़बड़ पाए जाने, आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किए जाने, बड़ी रकम का लेनदेन होने, कर छूट और कटौती के फर्जी दावे किए जाने तथा कर रिफंड एवं वास्तविक टीडीएस अलग-अलग होने की सूरत में नोटिस जारी किए जा सकते हैं।’

सीएनके में पार्टनर पल्लव प्रद्युम्न नारंग कहते हैं कि रिटर्न में बताई गई उस आय के लिए भी नोटिस जारी हो सकता है, जो फॉर्म 26एएस या वार्षिक सूचना ब्योरे (एआईएस) में बताई गई आय से मेल नहीं खाती हो या बहुत अधिक रिफंड किया जा रहा हो। आयकर विभाग से नोटिस मिलने पर सबसे पहले यह समझने की कोशिश करें कि नोटिस भेजा क्यों गया है। नोटिस मिलने पर दो काम किए जा सकते हैं।

बजाज बताते हैं, ‘या तो नोटिस पर हामी भरें, मांगा गया कर चुकाएं और कर विभाग को सूचना दे दें। या अगर आप नोटिस से सहमत नहीं हैं तो आईटी पोर्टल के जरिये अपना जवाब जरूर दें।’ यदि नोटिस का जवाब बताए गए समय के भीतर नहीं दिया जाता है तो आयकर विभाग मान लेता है कि कर वाकई बकाया है और जुर्माना भी लगा दिया जाता है।

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नोटिस का जवाब देने से पहले करदाता को अपने तर्क के समर्थन में सारे कागजात जमा कर लेने चाहिए। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलीसिटर्स में पार्टनर विपुल जय समझाते हैं, ‘करदाता को आयकर रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट और दूसरे वित्तीय रिकॉर्ड जैसे सभी जरूरी दस्तावेज जुटा लेने चाहिए ताकि तय समय के भीतर नोटिस का पूरा विस्तृत जवाब दिया जा सके।’

जैन बताते हैं, ‘हर सवाल का विस्तृत जवाब देने के बाद भी प्रतिकूल आदेश आता है और करदाता से कर की मांग की जाती है तो अपील आयुक्त के पास अपील की जा सकती है।’कर विभाग से नोटिस आना बहुत खराब अनुभव हो सकता है मगर इसमें समझदारी से काम लेना चाहिए। शांत रहकर योग्य कर विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए और सच्चाई के साथ तुरंत जवाब देना चाहिए।

First Published : August 6, 2023 | 11:41 PM IST