जब तक ब्याज दरें नीचे आएंगी तब तक शायद मकानों के दाम ही चढ़ जाएंगे, मकान बनाने में होने वाला खर्च बढ़ने और जमीन की बढ़ती कीमतों की वजह से इस साल मकानों के दाम बढ़ने के आसार
लंबी सुस्ती के बाद 2022 में मकानों का बाजार एक बार फिर जोर पकड़ गया था। जैसे-जैसे मकानों की बिक्री बढ़ी उनकी कीमतें भी बढ़ती गईं। बेशक इजाफे की रफ्तार सुस्त रही मगर कीमतें बढ़ तो गईं। 2023 में भी कीमतों और बिक्री में जोर बरकरार रहने की उम्मीद है।
बिक्री में ठोस तेजी
एनारॉक रिसर्च के मुताबिक 2022 में शीर्ष सात शहरों में कुल 3,64,900 मकान बिके, जो नया रिकॉर्ड है। 2021 के मुकाबले बिक्री में 54 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। इससे पहले सबसे ज्यादा बिक्री 2014 में हुई थी, जब 3.43 लाख मकान बिके थे।
बिक्री बढ़ी तो मकानों की कीमतें भी बढ़ने लगीं। देश के सात शीर्ष शहरों में इस समय मकानों का औसत दाम 5,991 रुपये प्रति वर्ग फुट के करीब है, जो पिछले 5 साल के तुलना में 8 फीसदी अधिक है। एनारॉक समूह के वरिष्ठ निदेशक और शोध प्रमुख प्रशांत ठाकुर कहते हैं, ‘2022 में संपत्तियों की औसत कीमत में अधिकतम 5 फीसदी का सालाना इजाफा हुआ, जबकि इससे पहले के चार सालों में इजाफा 2 फीसदी ही था।’
2022 में लक्जरी संपत्तियों के बाजार को एक तरह से नई जिंदगी मिली। कुशमैन ऐंड वेकफील्ड में प्रबंध निदेशक (आवासीय सेवा) शालीन रैना बताते हैं, ‘मकानों की कीमतें चुनिंदा बाजारों में बढ़ीं। लक्जरी आवास की कीमतें खास तौर पर बढ़ गईं क्योंकि कोविड के बाद उनकी मांग बहुत ज्यादा थी।’
अटकी हुई मांग
मांग तो सभी शहरों में बढ़ गई। हाउसिंग डॉट कॉम, प्रॉपटाइगर डॉट कॉम और मकान डॉट कॉम के समूह मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) ध्रुव अग्रवाल कहते हैं, ‘मांग बढ़ने की दो सबसे बड़ी वजहें थीं – पिछले दो साल से अटकी हुई मांग और महामारी के बाद अपना मकान खरीदने की इच्छा।’
अर्थव्यवस्था की मजबूती ने भी इसमें अहम किरदार निभाया। रैना कहते हैं, ‘टीकाकरण का मजबूत कार्यक्रम चलाए जाने और ज्यादातर कॉरपोरेट कर्मचारियों का रोजगार स्थिर रहने से उपभोक्ताओं का हौसला काफी बढ़ गया।’
पिछले कुछ साल से आवासीय संपत्तियों के दाम ठहरे हुए थे और आवास ऋण पर ब्याज भी बहुत कम हो गया था, जिसकी वजह से 2022 के शुरुआती महीनों में तो मकान खरीदने की क्षमता रिकॉर्ड तोड़ गई। जैसे ही शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव शुरू हुआ, निवेशक मकान जैसी सुरक्षित जगह निवेश करने लगे।
अनिवासी भारतीय (एनआरआई) भी 2022 में इस बाजार में दाखिल हो गए। एनसीआर में रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म होमेंट्स के संस्थापक प्रदीप मिश्र बताते हैं, ‘वे भारत में भी अपना एक ठिकाना बनाने की इच्छा से यहां आए ताकि विदेश में नौकरी चली जाए तो वे भारत लौट सकें। महामारी में कई लोगों की नौकरी गई भी थी।’
मकान बनाने में होने वाला खर्च बढ़ने से भी दाम बढ़े। सीबीआरई में चेयरमैन और सीईओ (भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) अंशुमन मैगजीन बताते हैं, ‘उत्पादन कम होने, महामारी आने और आपूर्ति श्रृंखला बिगड़ने के कारण दुनिया भर में ढुलाई की लागत बढ़ने से सामग्री की कीमत भी बढ़ गई।’
तेजी रहेगी बरकरार
ज्यादातर विशेषज्ञों को लगता है कि 2023 में मकानों की कीमतें 6 और 10 फीसदी के बीच बढ़ेंगी। ठाकुर कहते हैं, ‘कीमत में ठीकठाक बढ़ोतरी से मांग भी बनी रहेगी।’
महंगाई में नरमी आने और आपूर्ति से जुड़ी दिक्कतें दूर होने से 2023 में निर्माण सामग्री के दाम शायद कम बढ़ेंगे। मगर मैगजीन आगाह करते हैं। वह कहते हैं, ‘मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति और दुनिया भर में चल रही महंगाई के विभिन्न क्षेत्रों में पड़ रहे असर से नई निर्माण परियोजनाओं का खर्च भविष्य में कुछ बढ़ सकता है। हमें लगता है कि 2023 में सभी शहरों में निर्माण की लागत 4-5 फीसदी बढ़ सकती है।’ रैना के हिसाब से जमीन की बढ़ती कीमतों की वजह से भी इस साल मकानों के दाम चढ़ेंगे।
महंगा कर्ज रंग में भंग!
2022 में आवास ऋण पर ब्याज की दर 200 आधार अंक से ज्यादा बढ़ा दी गई और नए साल में भी उसमें इजाफा हो चुका है। अभी तक तो मकानों की मांग कर्ज महंगा होने के बाद भी बनी हुई है। रैना कहते हैं, ‘ब्याज की दर बाजार को बिगाड़ सकती है। अगर अगले छह महीनों में ब्याज दरें ज्यादा बढ़ गईं तो मझोले वर्ग के खरीदार बाजार से मुंह मोड़ सकते हैं।’
मैगजीन कहते हैं कि मौद्रिक नीति में सख्ती का जो असर अभी दिखना है, उसकी वजह से बिक्री धीमी पड़ सकती है और दाम भी बढ़ सकते हैं। दुनिया भर में मंदी आई तो सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में नौकरियां जा सकती हैं, जिसका झटका मकानों की बिक्री को भी लगेगा।
मौका भी है दस्तूर भी
जिन्हें खुद रहने के लिए मकान चाहिए, उन्हें आवास ऋण महंगा होने के बाद भी सौदा पक्का कर लेना चाहिए क्योंकि आवास ऋण 15-20 साल के लिए होता है और उस दौरान ब्याज दर कई बार घटती-बढ़ती रहती है। साथ ही इस समय रियल एस्टेट में कीमत बढने का दौर अभी शुरू ही हुआ लगता है। अगर इसकी थाह लेने के चक्कर में आप बाहर बैठकर इंतजार ही करते रहे तो भविष्य में आपको ज्यादा कीमत अदा करनी पड़ सकती है।
निवेशक इस समय आवासीय रियल एस्टेट में दाखिल हो सकते हैं मगर कम से कम पांच से सात साल तक मकान अपने हाथ में ही रखने यानी उसे नहीं बेचने का मन बनाकर आएंगे तो असली फायदा होगा।