प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels
Health Insurance Claim: हेल्थ इंश्योरेंस आज हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। जिस हिसाब से दिन-प्रतिदिन नई-नई बीमारियां बढ़ रही हैं और लोगों के ऊपर लगातार मेडिकल खर्चों का बोझ बढ़ता जा रहा है, ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस मुश्किल हालात में एक उम्मीद की तरह काम करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ छोटी-मोटी गलतियों की वजह से आपका हेल्थ क्लेम रिजेक्ट हो सकता है? जी हां, हर साल हमारे देश में हजारों लोग इन कुछ गलतियों की वजह से परेशानी झेलते हैं। पैसा तो जाता ही है, साथ में मानसिक तनाव भी बढ़ता है।
गौरतलब है कि हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली कंपनियां सख्त नियमों का पालन करती हैं। अगर आप इन नियमों को नहीं समझते या गलती करते हैं, तो आपकी मेहनत से कमाया पैसा डूब सकता है। यहां हम 5 गलतियों के बारे में बात करेंगे जो हम जाने-अनजाने में करते हैं, जिसकी वजह से हमें भविष्य में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इन गलतियों से हमें हर हाल में बचना चाहिए।
बीते दिनों खबर आई कि दिल्ली के रहने वाले 45 साल के व्यक्ति का हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने रिजेक्ट कर दिया। वजह? उन्होंने अपनी डायबिटीज की बात इंश्योरेंस कंपनी से छुपाई थी। उन्होंने सोचा होगा कि अगर वो अपनी बीमारी बताएंगे, तो उनकी पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ जाएगा। लेकिन जब उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा और क्लेम किया, तो कंपनी ने इससे साफ मना कर दिया।
लोगों द्वारा मेडिकल हिस्ट्री छुपाना क्लेम रिजेक्शन की सबसे बड़ी वजहों में से एक है। इंश्योरेंस कंपनियां इसे बहुत गंभीरता से लेती हैं। अगर आप अपनी पुरानी बीमारी, सर्जरी, स्मोकिंग और शराब पीने का आदत है तो आपको कंपनी को इसकी पूरी जानकारी देनी चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं और कंपनी से छुपाते हैं, तो कंपनी को पूरा हक है कि वो आपका क्लेम रिजेक्ट कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी एक फैसले में कहा था कि पॉलिसी लेते वक्त लोगों को ईमानदारी दिखाना बेहद जरूरी है। एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि अगर आप किसी भी प्रकार की पॉलिसी लेते हैं तो आपको अपनी सारी जानकारी सही-सही कंपनी को देनी चाहिए। इससे भले ही प्रीमियम थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन क्लेम करते वक्त आपको दिक्कत नहीं होगी।
ये बहुत आम बात है कि बहुत सारे लोग हेल्त इंश्योरेंस लेते वक्त पॉलिसी को सही से नहीं समझते हैं। मिसाल के तौर पर, कुछ पॉलिसी में “Reasonable and Customary Charges” की शर्त होती है। इसका मतलब है कि अगर आपका इलाज का खर्च जरूरत से ज्यादा लगता है, तो कंपनी उसे कवर करने से मना कर सकती है। अगर आपने किसी महंगे हॉस्पिटल में इलाज करवाया, तो हो सकता है कि पूरा पैसा न मिले।
इसी तरह, कुछ बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड होता है। अगर आपने उससे पहले क्लेम कर दिया, तो वो रिजेक्ट हो जाएगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पॉलिसी लेने से पहले उसे अच्छे से पढ़ लें। अगर कुछ समझ न आए, तो एजेंट से पूछें या कंपनी से लिखित जवाब लें।
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम करते वक्त जरूरी कागजात न देना क्लेम रिजेक्शन की बड़ी वजह मानी जाती है। इंश्योरेंस कंपनी को हॉस्पिटल बिल, डॉक्टर की पर्ची और डिस्चार्ज कार्ड जैसे कागजात चाहिए होते हैं। अगर ये अधूरे हैं या समय पर जमा नहीं किए गए, तो कंपनी क्लेम रोक सकती है।
इसके अलावा कई लोग कुछ बिल खो देते हैं या फिर सोचते हैं कि कॉपी दे देने से काम चल जाएगा। लेकिन अधिकतर मामलों में रीइंबर्समेंट के लिए ओरिजिनल बिल जरूरी होते हैं। हॉस्पिटल से सारे कागजात ले लें और उनकी डिजिटल कॉपी भी बनाकर रखें। क्लेम फॉर्म सही भरें और समय पर जमा करें, वरना पैसा अटक सकता है। साथ ही सभी कागजात पर नाम और पता बिल्कुल सही होना चाहिए, अगर कागजात पर अलग-अलग होंगे तो भी कंपनियां आपके क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है।
कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की पॉलिसी में ये शर्त होती है कि अगर आप सर्जरी या फिर ट्रांसप्लांट जैसे कोई प्लांड ट्रीटमेंट करवाते हैं तो इलाज के बारे में पहले से कंपनी को बताना जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करते, तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। इमरजेंसी में ये नियम थोड़ा ढीला होता है, लेकिन फिर भी 24 घंटे के अंदर सूचना देनी चाहिए।
इसलिए गलती से बचने के लिए इलाज से पहले कंपनी को फोन या ईमेल करें। सूचना देने का सबूत अपने पास रखें। इससे क्लेम प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
कई बार लोग सस्ते के चक्कर में ऐसी इंश्योरेंस पॉलिसी ले लेते हैं, जिसमें कई सारे ट्रीटमेंट को कवर नहीं किया जाता है। गलत पॉलिसी चुनना भी क्लेम रिजेक्शन की वजह बनता है। अगर आपकी पॉलिसी में कुछ बीमारियां या इलाज शामिल ही नहीं हैं, तो क्लेम कैसे पास होगा? मिसाल के तौर पर, अगर रूम रेंट की सीमा कम है और आपने महंगा कमरा लिया, तो पूरा खर्च नहीं मिलेगा।
एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि अपनी जरूरतों के हिसाब से पॉलिसी लें। फैमिली कवर, मैटरनिटी कवर (Maternity Cover), या दूसरी जरूरतों को चेक करें। सस्ते के चक्कर में बेकार पॉलिसी न चुनें। ऐसे में आपके आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।
न्यूज वेबसाइट मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट में इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDAI) के हवाले से बताया कि 2024 में 15% से ज्यादा हेल्थ क्लेम रिजेक्ट हुए। इनमें ज्यादातर मामले इन्हीं 5 गलतियों की वजह से थे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जागरूकता की कमी और लापरवाही लोगों को भारी पड़ रही है।
तो अगली बार जब आप हेल्थ इंश्योरेंस लें या क्लेम करें, तो इन गलतियों से बचें। सही जानकारी और थोड़ी सी सावधानी आपके पैसे और मेहनत को बचा सकती है। मुश्किल वक्त में इंश्योरेंस आपका सहारा बनेगा, बशर्ते आप इन बातों का ध्यान रखें।