Gold ETF Taxation from Apr 1, 2025: यदि 1 अप्रैल 2025 या उसके बाद गोल्ड ईटीएफ को बेचने ये आपको कमाई होती है तो टैक्स आपको सॉवेरेन गोल्ड बॉन्ड की तर्ज पर देना होगा। फिलहाल सोने की कीमतों में तूफानी तेजी के बीच लोग इसके ईटीएफ (gold ETF) और म्युचुअल फंड (gold mutual fund) में जमकर निवेश कर रहे हैं। फरवरी 2024 के बाद सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (sovereign gold bond) की कोई भी सीरीज के लॉन्च नहीं होने की वजह से भी लोगों का झुकाव इन विकल्पों की तरफ बढ़ा है। मौजूदा फॉर्म में इस बॉन्ड के आगे भी जारी होने के कोई आसार नहीं हैं।
गोल्ड ईटीएफ को प्रति लोगों के झुकाव को इसी से समझा जा सकता है कि नए साल की शुरुआत यानी जनवरी 2025 के दौरान देश के कुल 18 गोल्ड ETF (Gold Exchange Traded Fund) में रिकॉर्ड 3,751.42 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश (net inflow) हुआ। इससे पहले सबसे ज्यादा मंथली नेट इनफ्लो (+1,961.57 करोड़ रुपये) बीते साल अक्टूबर में आया था।
लेकिन गोल्ड में निवेश के इन दो पॉपुलर विकल्पों पर टैक्स नियमों को लेकर निवेशकों में बड़ा कन्फ्यूजन है। 2023 और 2024 के बजट में टैक्स नियमों में हुए बदलाव के बाद तो यह कन्फ्यूजन और भी बढ़ गया है। इन नियमों को इसलिए भी समझना जरूरी है क्योंकि नए वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2025 से इनमें बदलाव होने जा रहे हैं।
आइए अब गोल्ड ईटीएफ और म्युचुअल फंड पर टैक्स नियमों को समझते हैं:
Purchased between 1 April 2023 to 31 March 2025 : गोल्ड ईटीएफ पर फिलहाल टैक्स डेट फंड (35 फीसदी से ज्यादा एक्सपोजर इक्विटी में नहीं) की तरह लगता है। मतलब अगर आप इन्हें बेचते हैं तो उससे होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा, जिस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा। ये बदलाव 2023 के आम बजट में किए गए थे।
Purchased before 1 April 2023: 1 अप्रैल 2023 से पहले डेट फंड की तर्ज पर गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड पर भी इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का प्रावधान था, बशर्ते आप खरीदने के 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं। लेकिन यदि 36 महीने से पहले बेचते तो कैपिटल गेन पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता।
Purchased on or after 1 April 2025: 2024 के आम बजट में फिर इन नियमों में बदलाव किए गए। 23 जुलाई को पेश किए गए आम बजट 2024 के प्रावधानों के मुताबिक यदि आप 1 अप्रैल 2025 या उसके बाद खरीदे गए गोल्ड ईटीएफ को 12 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 12 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना होगा।
इसका मतलब यह है कि 1 अप्रैल 2025 से गोल्ड ईटीएफ के रिडेम्प्शन पर डेट म्युचुअल फंड के बजाय सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) की तर्ज पर टैक्स लगेगा।
Purchased between 1 April 2023 to 31 March 2025: मौजूदा नियमों के अनुसार गोल्ड म्युचुअल फंड पर टैक्स डेट फंड की तरह लगता है। मतलब अगर आप इन्हें बेचते हैं तो उससे होने वाली कमाई को आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा। जिस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा।
Purchased before 1 April 2023: 1 अप्रैल 2023 से पहले डेट फंड की तर्ज पर गोल्ड म्युचुअल फंड पर भी इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का प्रावधान था, बशर्ते आप खरीदने के 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं।
Purchased on or after 1 April 2025: लेकिन नए नियमों के मुताबिक यदि आप 1 अप्रैल 2025 या उसके बाद खरीदे गए गोल्ड म्युचुअल फंड को 24 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 24 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना होगा। मतलब 1 अप्रैल 2025 से गोल्ड म्युचुअल फंड पर डेट म्युचुअल फंड के बजाय फिजिकल गोल्ड की तर्ज पर टैक्स लगेगा।