तकनीकी फंडों का प्रदर्शन पिछले तीन महीनों में सबसे खराब रहा है और उनमें 10.2 फीसदी गिरावट आई है। हालांकि मॉर्निंगस्टार डॉट कॉम के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में इनमें 25.9 फीसदी तेजी आई है मगर उस दौरान भी ये दूसरे क्षेत्रों के मुकाबले सुस्ती के शिकार रहे हैं। बहरहाल फंड मैनेजरों को मझोली से लंबी अवधि में इन फंडों के लिए अच्छी संभावनाएं नजर आ रही हैं।
कंपनियों ने कोविड-19 के दौरान तकनीक पर औसत से बहुत अधिक खर्च कर दिया, जिससे तकनीकी कंपनियों ने खूब मुनाफा कमाया। मगर उसके बाद से खर्च सामान्य हो गया है।
एडलवाइस म्यूचुअल फंड में मुख्य निवेश अधिकारी – इक्विटीज त्रिदीप भट्टाचार्य का कहना है, ‘तकनीक पर होने वाला खर्च एकदम सामान्य स्तर पर पहुंचने से इस क्षेत्र की कंपनियों के मुनाफे को झटका लग रहा है।’
जनवरी 2022 में दुनिया भर में वृहद आर्थिक चिंताएं खड़ी हो गई थीं। टाटा ऐसेट मैनेमेंट में फंड मैनेजर मीता शेट्टी याद करती हैं, ‘दुनिया भर में आईटी पर खर्च होने वाली रकम में अमेरिका का 40-50 फीसदी हिस्सा होता है और वहां मंदी का खटका लगने लगा था। इसलिए अमेरिका की कंपनियों ने खर्च के मामले में हाथ बांध लिए हैं।’
पिछले तीन महीनों में एसऐंडपी बीएसई आईटी सूचकांक 12.3 फीसदी गिरा है क्योंकि पिछले वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाहियों में तकनीकी कंपनियों की कमाई की रफ्तार कम हुई है। मीता को लगता है कि अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने में देर होने की आशंका के कारण सूचकांक लुढ़का है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में फंड मैनेजर वैभव दुसाध को लगता है कि वृद्धि तीन से चार तिमाही के बाद ही पुराने स्तर पर पहुंच सकेगी और ऐसा अगले वित्त वर्ष में ही हो पाएगा। इसीलिए मार्जिन से जुड़ी अपेक्षाएं भी कुछ नीचे आई हैं।
पूरी दुनिया में ही मांग कम हो रही है। भट्टाचार्य कहते हैं, ‘ऊंची ब्याज और मॉर्गेज दरों के कारण अमेरिका और यूरोप का वित्तीय सेवा क्षेत्र तकलीफ में है। यह क्षेत्र तकनीक पर बहुत खर्च करता है मगर इसका मुनाफा कमजोर रहा है।’
तकनीकी उद्योग की काया ब्याज दर घटने और अमेरिका में आर्थिक स्थिति बेहतर होने पर ही संवरेगी। दरों में कटौती अक्टूबर-नवंबर के लिए टाल दी गई है और हो सकता है अगले कैलेंडर वर्ष से पहले दरें घटाई ही नहीं जाएं।
मीता कहती हैं कि जैसे ही दर कटौती का सिलसिला शुरू होने का संकेत मिलेगा, आईटी के दिन भी संवरने लगेंगे। अलबत्ता फंड प्रबंधकों को मझोली से दीर्घ अवधि में इस क्षेत्र में काफी दम दिखता है।
मीता समझाती हैं, ‘दुनिया डिजिटल हो रही है, इसलिए कंपनियों को भी डिजिटल बनना होगा और आईटी पर खर्च करना ही होगा। हमें लगता है कि दो-तीन साल में आईटी पर पहले की तरह खर्च होने लगेगा।’
जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (जेन एआई) से भी रफ्तार तेज होने के आसार हैं। मीता कहती हैं कि जेन एआई कुछ उद्योगों और नौकरियों को खाएगी मगर कुछ साल में इसका इस्तेमाल बढ़ने पर ग्राहक आईटी पर ज्यादा खर्च भी करने लगेंगे।
आईटी क्षेत्र में काफी ताकत है। दुसाध को सबसे अच्छी बात यह लगती है कि आईटी क्षेत्र पर देसी अर्थव्यवस्था की सुस्ती का कोई फर्क नहीं पड़ता।’
अब सवाल है कि इसमें निवेश करें या नहीं? दुसाध के हिसाब से इसके शेयरों की कीमतें निवेश के लिए लुभा रही हैं। मीता को लगता है कि जो लोग डिजिटलीकरण और जेन एआई के बढ़ते चलन का फायदा उठाना चाहते हैं, उन्हें निवेश करना चाहिए। मगर तुरंत कमाई की उम्मीद न करें।
भट्टाचार्य कहते हैं, ‘निवेशकों को एसआईपी के जरिये निवेश बढ़ाना चाहिए।’ किसी भी एक क्षेत्र का फंड दूसरे क्षेत्रों में रकम नहीं लगाता, इसलिए उस उद्योग की सुस्ती का उस पर बड़ा असर पड़ता है। इसीलिए चुस्ती के साथ काम करें और मामला बिगड़ने से पहले ही निवेश निकाल लें।