प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
रेंट एग्रीमेंट के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर देशभर में किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग कहते हैं कि रजिस्ट्रेशन के दौरान उनसे आधार कार्ड मांगा गया, जबकि कई अन्य का कहना है कि उन्होंने पासपोर्ट, वोटर ID या पैन कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट्स के साथ प्रक्रिया पूरी की। यह भ्रम कानूनी नियमों और जमीन पर उनकी व्यावहारिकता के बीच के अंतर को दर्शाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आधार कार्ड रेंट एग्रीमेंट के लिए कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है, और कई अन्य पहचान पत्र भी इसके लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
लॉ एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेंट एग्रीमेंट के लिए आधार कार्ड देना जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि आधार सिर्फ कुछ सरकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य हो सकता है, न कि हर तरह के पहचान पत्र के लिए। सिन्हानिया एंड कंपनी की पार्टनर अपेक्षा लोढ़ा ने बताया, “कोई भी कानून आधार को रेंट एग्रीमेंट के लिए जरूरी नहीं बताता।”
वहीं, गांधी लॉ एसोसिएट्स के मैनेजिंग पार्टनर कीयूर गांधी ने कहा, “1908 का रजिस्ट्रेशन एक्ट या किसी राज्य के नियमों में आधार को अनिवार्य पहचान पत्र के रूप में नहीं बताया गया है। UIDAI भी कहता है कि आधार देना स्वैच्छिक है।” यानी, किरायेदार और मकान मालिक अपनी मर्जी से आधार का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन इसे थोपा नहीं जा सकता।
आधार कार्ड के इस्तेमाल को लेकर जालसाजी और डेटा गोपनीयता की चिंता भी एक बड़ा कारण है, जिसके चलते कई मकान मालिक और रजिस्ट्रार इसे लेने से हिचकते हैं। अपेक्षा लोढ़ा के अनुसार, “नकली आधार कार्ड का इस्तेमाल किराए या संपत्ति बिक्री में हो चुका है। इसलिए कई लोग पासपोर्ट या पैन कार्ड जैसे पारंपरिक दस्तावेजों को ज्यादा भरोसेमंद मानते हैं।”
कर्नाटक हाई कोर्ट में एक मामला सामने आया था, जहां नकली आधार कार्ड से जमीन ट्रांसफर किया गया था। सिरिल अमरचंद मंगलदास की पार्टनर रीता उल्बायरे ने बताया कि रजिस्टर्ड समझौतों में आधार का इस्तेमाल होने पर यह जानकारी सार्वजनिक रिकॉर्ड का हिस्सा बन सकती है, जिससे डेटा लीक का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा, “आधार के बायोमेट्रिक डेटा का दुरुपयोग बैंक खाता खोलने, सिम कार्ड लेने या सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में हो सकता है।”
एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि किरायेदारों और मकान मालिकों को पैन कार्ड, वोटर ID, पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेजों का इस्तेमाल करना चाहिए।
SKV लॉ ऑफिसेस के पार्टनर आशुतोष श्रीवास्तव ने सलाह दी, “सुरक्षा के लिए एक से ज्यादा पहचान पत्र दें और अगर आधार देना ही पड़े तो उसकी संवेदनशील जानकारी छिपाएं।”