अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत से आने वाले सामान पर 25% अतिरिक्त टैरिफ (आयात कर) लगाने का ऐलान किया है। ये फैसला रूस से भारत के तेल खरीदने को लेकर लिया गया है, जिसे अमेरिका ने अपनी विदेश नीति के खिलाफ बताया है। व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि भारत “सीधे या परोक्ष रूप से” रूस से तेल खरीद रहा है और यह रूस को दुनिया से अलग-थलग करने की कोशिशों को कमजोर करता है।
ये नया टैक्स 21 दिन बाद लागू होगा। इसके बाद अमेरिका द्वारा भारत से आयात पर कुल टैरिफ 50% तक हो जाएगा। हालांकि दवाइयों और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उत्पादों पर फिलहाल ये टैक्स नहीं लगेगा। ये दोनों मिलाकर भारत के कुल अमेरिकी निर्यात का लगभग 30% हैं।
टेक्सटाइल (कपड़े) और जेम्स एंड ज्वैलरी (गहने वगैरह) जैसे जिन सेक्टर्स के मुनाफे की मार्जिन कम होती है, उन पर इस टैरिफ का बड़ा असर पड़ सकता है। इससे भारत की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) पर भी असर होने की आशंका जताई जा रही है।
सरकार की सबसे बड़ी चिंता फिलहाल निर्यातकों को राहत देना है। भारत ने अब तक रूस से तेल खरीदने को लेकर डटकर अपना पक्ष रखा है, लेकिन अब अमेरिका के साथ बातचीत का रास्ता भी अपनाया जा सकता है – खासकर अगले 21 दिनों के भीतर, जब तक ये टैरिफ लागू नहीं होते।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ एसेट मैनेजमेंट कंपनी के CIO (चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर) महेश पाटिल कहते हैं कि इस फैसले से रुपया कमजोर हो सकता है, लेकिन एक्सपोर्टर्स को इसका फायदा मिलेगा। इससे कंपनियों की स्थानीय कमाई में बढ़त हो सकती है और आगे चलकर शेयर बाजार को भी फायदा मिल सकता है।
महेश पाटिल कहते हैं कि अब भारत ब्राज़ील जैसी स्थिति में पहुंच गया है। वहां भी ऐसे टैरिफ के बाद शेयर बाजार में 6-7% की गिरावट आई थी, लेकिन कुछ महीनों में बाजार फिर संभल गया। अभी ये कहना मुश्किल है कि भारत में गिरावट थोड़ी होगी या ज़्यादा, लेकिन फिलहाल तो सबसे बुरी खबर सामने आ चुकी है। उनका मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। अगर बाजार में थोड़ी गिरावट आती है, तो उसे इक्विटी में निवेश का अच्छा मौका माना जा सकता है।