प्राथमिक पूंजी बाजार में लाने के तहत आईपीओ के भुगतान की नई प्रक्रिया 8 सितंबर से लागू होने जा रही है।
पूंजी बाजार के इंटरमीडिएरीज ने आईपीएओ लाने की प्रक्रिया में एब्सा (एप्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लाक्ड एमाउंट) को लागू करने का निर्णय किया है। गौरतलब है कि एब्सा भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड द्वारा आईपीओ के भुगतान का एक प्रस्तावित विकल्प है।
एब्सा को लागू करने का पायलेट प्रोजेक्ट गुजरात की कंपनी 20 माइक्रोन्स के आईपीओ से शुरु होगा। यह कंपनी सफेद खनिजों के निर्माण का कार्य करती है। सेबी ने इस बारे में पेशकश के बुकरनिंग लीड मैनेजर कीनोट कारपोरेट सर्विस को अवगत करा दिया है। इसके अलावा सेबी ने सभी बैंकरों को भी सूचित कर दिया है कि आगे आने वाले आईपीओ में भुगतान का एक विकल्प एब्सा भी होगा।
सेबी ने पांच बैंकों को सेल्फ सर्टिफाइड सिंडिकेट बैंक (एससीएसबी) का दर्जा दिया है, इनमें कारपोरेशन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक शामिल हैं। 20 माइक्रोन की पेशकश में भी ये सभी पांच बैंक एससीएसबी की तरह काम करेंगे। सभी बैंकों की कंट्रोलिंग या नोडल शाखा मुंबई में है जबकि इनकी डेजिनेटेड शाखा देश भर में होगी।
हालांकि इस प्रक्रिया केसाथ मौजूदा प्रक्रिया भी रहेगी जिसमें सिंडिकेट या सब-सिंडिकेट सदस्यों के चेक को एपेमेंट इंस्ट्रमेंट माना जाता है। एससीएसबी एप्लीकेशन लेंगे, बिड एमाउंट के पूरे होने जाने पर फंड को ब्लॉक करेंगे और इसके डिटेल्स बीएसई या एनएसई के इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग सिस्टम में अपलोड करेंगे।
एक बार जब बेसिस ऑफ एलॉटमेंट निश्चित हो जाता है तो पेशकश जारी करने वाले एकाउंट में यह एमाउंट ट्रांसफर हो जाएगा। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने एब्सा के लिए मॉक इलेक्ट्रानिक बिडिंग प्रक्रिया 14 अगस्त को पूरी कर ली है। बाम्बें स्टॉक एक्सचेंज अभी भी मॉक ई-बिडिंग प्रोसेस कर रहा है और यह पायलेट प्रोजेक्ट के आठ सितंबर से शुरु होने से पहले पूरा हो जाएगा। इसकी प्रक्रिया इसप्रकार होगी।
एक खुदरा निवेशक (जिसका एससीएसबी के साथ बैंक एकाउंट है) इन बैंकों से डीबी एप्रोच करेगा और अपनी बोली रखेगा। 20 माइक्रोन के मामले में यह 55 रुपया होगा क्योंकि पेशकश का प्राइस बैंड 50 से 55 रुपए है। डीबी के बाद आंकड़ें परखे जाते हैं (पैन, डिपॉजिटेरी पार्टिसिपेंट आईडी और क्लाइंट आईडी),वे नोडल ब्रांच के साथ फाइल अपलोड करेंगे जो आंकडों को एनएसई और बीएसई के एप्लीकेशन में आंकडे अपलोड करेगा।
वे क्लाइंट के एकाउंट को भी फ्रीज करेंगे। बैंक तब रजिस्ट्रार के एप्लीकेशन में स्वीकृत आंकडों को अपलोड करेगा। एक्सचेंज आंकडों का परीक्षण करेगा और बैंक को इनवैलिड इंट्रीज के बारे में बताएगा। वे बैंक के आंकड़े को एक्सचेंज एप्लीकेशन में वैलिड बोली में भी बदलेंगे।
रजिस्ट्रार बैंक और एक्सचेंज से डाटा डाउनलोड करेंगे और इस आंकड़े,आईडी और एलॉट किए गए शेयरों को पुन: व्यवस्थित करेंगे। एक बार यह हो जाता है तो बैंकों को बता दिया जाएगा और निवेशक के एकाउंट से पूंजी निकल जाएगी। इस पूंजी को एस्क्रो एकाउंट जमा किया जाएगा। इससे आईपीओ की प्रक्रिया तेज होगी और साथ ही आईपीओ के बंद होने और उसके सूचीबध्द होने के बीच समयांतराल भी कम होगा।