देसी बाजारों ने चार हफ्ते से हो रही गिरावट को रोकने में कामयाबी पाई और उतारचढ़ाव वाले हफ्ते में दो फीसदी की बढ़त दर्ज की, जिस दौरान शेयर कीमतों में काफी उठा-पटक देखने को मिली। जिंसों की कीमतोंं में स्थिरता और भारतीय जनता पार्टी की राज्य चुनावों में शानदार जीत ने निवेशकों की अवधारणा में सुधार किया, जिससे बेंचमार्क सूचकांकों को लगातार चौथे दिन बढ़त दर्ज करने में मदद मिली। सेंसेक्स 55,550 अंक पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 16,630 अंक पर टिका और इस तरह से पिछले दिन के बंद भाव के मुकाबले मामूली बढ़त दर्ज की पर हफ्ते में 2.2 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
हफ्ते के दौरान सेंसेक्स में करीब 4,000 अंक यानी 7.6 फीसदी की घटबढ़ देखने को मिली, जो मंगलवार को कारोबारी सत्र के दौरान 52,261 के निचले स्तर को छू गया था और गुरुवार को 56,242 अंक के उच्चस्तर पर पहुंचा था। निफ्टी-50 इंडेक्स में 1,000 अंकों का उतारचढ़ाव हुआ और हफ्ते के दौरान इसका ट्रेडिंग रेंज 15,748 से 16,757 के बीच रहा।
हफ्ते की शुरुआत के दौरान बेंचमार्क सूचकांक जुलाई 2021 के बाद के अपने-अपने निचले स्तर तक आ गए थे क्योंंकि तेल की कीमतें 14 साल के उच्चस्तर 140 डॉलर प्रति बैरल तक चढ़ गई थी। तेल व अन्य जिंसों में लगातार हो रही तेजी से निवेशक परेशान हुए और इससे मुद्रास्फीतिजनित मंदी का डर पैदा हुआ। बाजार हालांकि सुधार लाने में कामयाब रहा क्योंकि निवेशकों को लगा कि नुकसान काफी ज्यादा हो गया है और उन्हें उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक रूस-यूक्रेन युद्ध से हुई परेशानी की भरपाई के लिए राहत पैकेज देंगे।
पांच राज्यों मेंं हुए विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को चार में मिली जीत ने बाजार को खुश होने की वजह दे दी। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (संस्थागत इक्विटीज) गौतम दुग्गड़ ने कहा, यूपी में भाजपा को दो तिहाई बहुमत मिलने और उत्तराखंड में सत्त्ता मेंं बने रहने का जनादेश, मणिपुर और गोवा में मिली जीत का मतलब राजनीतिक स्थिरता जारी रहने और सुधार की रफ्तार बना रहना है। साथ ही पहले से ही उतारचढ़ाव व अनिश्चितता से जूझ रहे बाजार में राजनीतिक अस्थिरता का जोखिम अब नहीं रहा।
उनका हालांकि मानना है कि अल्पावधि में बाजार मेंं उतारचढ़ाव बना रहेगा, जिसकी वजह रूस-यूक्रेन विवाद, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर बढ़ोतरी, कच्चे तेल की कीमत और महंगाई को लेकर आरबीआई का प्रत्युत्तर आदि है। उन्होंंने कहा, हमें लगता है कि बाजार में तब तक उतारचढ़ाव रहेगा जब तक कि मौजूदा अवरोध दूर नहीं हो जाता।
विशेषज्ञों ने कहा कि रूस व यूक्रेन के बीच तनाव कम होने से अवधारणा मजबूत हुई, जिससे बाजार को मौजूदा स्तर पर एकीकृत होने में मदद मिली। ज्यादातर यूरोपीय बाजार में रूस-यूक्रेन के बीच युद्धविराम पर बातचीत में प्रगति की उम्मीद में तेजी आई। हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व व बैंक ऑफ इंगलैंड की अगले हफ्ते होने वाली अहम बैठक से पहले निवेशकों ने अपनी पोजीशन हल्की रखी।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, हफ्ते के दौरान मजबूत रिकवरी के बाद देसी बाजारों का रुख शुक्रवार को सतर्क हो गया क्योंकि अब महंगाई, बैंक ऑफ इंगलैंड व फेड की आगामी बैठक पर ध्यान केंद्रित हो गया। अमेरिका में महंगाई 40 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई, जिसकी वजह गैसोलीन, खाद्य व हाउसिंग की लागत में इजाफा है। भारत व अन्य जगह मार्च में महंगाई का स्तर और भी ज्यादा होगा, हालांकि यह अस्थायी होगा क्योंकि रूस-यूक्रेन के मसले का इस पर असर रहेगा। अगर जिंस में नरमी आती है और युद्ध को लेकर कूटनीतिक मोर्चे पर प्रगति होती है तो शेयर बाजार स्थिर रह सकता है क्योंकि हालिया नकारात्मक कारकों को बाजार ने मोटे तौर पर समाहित कर लिया है।