Stock Market Basics: शेयर मार्केट को लेकर आज भी कई लोगों के मन में सवाल उमड़ते हैं कि ये कैसे काम करता है? इसमें निवेश करके कैसे पैसे कमाये जा सकते हैं? अगर आपके मन में भी इस तरह के प्रश्न हैं तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से सारे जबाव देंगे।
आइए, सबसे पहले जानते है क्या है शेयर या स्टॉक मार्केट?
स्टॉक एक्सचेंज या स्टॉक मार्केट एक्सचेंजों का एक समूह है जहां कंपनियां व्यापार के लिए शेयर और अन्य सिक्योरिटीज जारी करती हैं।
इसमें ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) मार्केटप्लेस भी शामिल हैं जहां निवेशक एक-दूसरे के साथ सीधे सिक्योरिटीज का व्यापार करते हैं।
आसान भाषा में बताएं तो ये वो जगह है जहां निवेशक सिक्योरिटीज के साथ पब्लिक ट्रेडेड कंपनियों के स्टॉक खरीद या बेच सकते हैं।
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साथ ही मार्केट में उतार-चढ़ाव के कारण कंपनियों के शेयरों के प्राइस भी घटते-बढ़ते रहते हैं जिसको निवेशक एक कमाई के मौके के तौर पर देखते हैं। कुछ लोग पैसा कमा भी लेते हैं और कुछ गवा भी देते हैं।
अगर आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो उस कंपनी की ग्रोथ या गिरावट का असर आपके खरीदे हुए शेयरों पर भी पड़ेगा। इसलिए जो लोग शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं वो इसकी हर छोटी-बड़ी चाल पर नजर लगाकर रखते हैं कि नुकसान होने से खुद को बचा सकें।
शेयर क्या होता है?
शेयर का मतलब हिस्सा होता है। बाजार में लिस्टेड कंपनियों की हिस्सेदारी बंटी रहती है। किसी भी कंपनी को मार्केट में आने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI), बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है। निवेशक जिस कंपनी में शेयर खरीदते हैं को वो उस कंपनी में शेयरहोल्डर हो जाता हैं। बता दे कि ये हिस्सेदारी निवेशको द्वारा खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है। किसी भी कंपनी के शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल द्वारा होता है। कंपनी और शेयरहोल्डर्स के बीच ब्रोकर्स ही सबसे अहम कड़ी हैं।
शेयर की वैल्यू कैसे तय होती है?
किसी भी कंपनी के शेयर की कीमत उसकी सप्लाई और डिमांड के साथ-साथ इन्वेस्टर सेंटिमेंट और डोमेस्टिक और ग्लोबल इकोनॉमिक ट्रेंड पर निर्भर करती है। यानी जितने ज्यादा लोग कंपनी के शेयर खरीदना चाहेंगे, शेयर की कीमत भी उतनी ही ज्यादा बढ़ जाएगी। वहीं, जब डिमांड कम होती है तो शेयर की कीमतों में भी गिरावट आती है।
शेयर बाजार में आप जितने शेयर खरीदेंगे आपकी हिस्सेदारी भी उस कंपनी में उस हिसाब से बढ़ जाएगी।
बता दें कि कंपनी की मार्केट वैल्यू समय-समय पर बदलती रहती है, जिसकी वहज से निवेशकों को फायदा और नुकसान दोनों के लिए तैयार रहना पड़ता है।
हालांकि, आज की टेक्नोलॉजी के समय में निवेशक अपने घर बैठे ही सभी शेयर्स पर निगराहनी रखकर उसे खरीद और बेच सकते हैं।
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जानें किन कारणों से शेयर कीमतों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होती हैं?
1. ब्याज दर
2. मुद्रास्फीति
3. वैश्विक उतार-चढ़ाव
4. डिफ्लेशन
5. इकोनॉमिक पॉलिसी में बदलाव
6. इंडस्ट्री बिजनेस
7. मार्केट सेंटीमेन्ट्स
8. प्राकृतिक आपदाएं
जानें शेयर मार्केट का इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार, यूरोप में शेयर मार्केट का इतिहास 13वीं शताब्दी का है। लेकिन, अमेरिकी शेयर बाज़ार (US Market) 18वीं शताब्दी के बाद इकोनॉमिक लाइफ का हिस्सा बना।
वहीं, भारत में पहली बार शेयर बाजार 1850 में बॉम्बे(अब मुंबई) में शुरू हुआ था। बॉम्बे (अब मुंबई) के कोलाबा की दलाल स्ट्रीट पर मौजूद बीएसई एशिया का सबसे पुराना शेयर बाजार है। 1875 में 318 व्यापारियों ने मिलकर एक संगठन बनाया था। ‘The Native Share and Stock Brokers Association’ नाम की इस संस्था को रजिस्टर किया गया और शेयर मार्केट का काम करने लगी। इसी को बाद में ‘Bombay Stock Exchange’ कहा गया। उस दौरान शेयर बाजार केवल अमीर लोगों के लिए होता था।
1928 में यह आज के समय की BSE की बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ और 1957 में इसे सरकारी मान्यता प्राप्त हुई। बता दें कि भारत में शेयर बाजार के पूरे काम की निगरानी स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) करता है।
आज के समय में देश के विभिन्न हिस्सों में 24 शेयर मार्केट हैं, और कई फाइनेंशियल इंटरमीडियरीज हैं जिनमें बैंक, नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कॉरपोरेशन, बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड आदि शामिल हैं।
जानें भारतीय शेयर बाजार के बारे में:
घरेलू शेयर बाजार (Indian Share Market) दो अलग सेगमेंट में बंटा हुआ है। एक प्राइमरी मार्केट और दूसरा सेकेंडरी मार्केट के नाम से जाना जाता है।
क्या है प्राइमरी मार्केट?
प्राइमरी मार्केट (primary market) में किसी एनटिटी (entity) के लिस्ट होने से पहले पब्लिक को पहली बार न्यू सिक्योरिटीज (जैसे शेयर, डिबेंचर, सरकारी बांड, CD, CP आदि) जारी किए जाते हैं। इसके माध्यम से निवेशक कंपनी के शेयर खरीदने के लिए उसके आईपीओ को सब्सक्राइब कर सकते हैं। कंपनी अपने शेयरों को बेचकर जो पैसे कमाती है उसका इस्तेमाल अपने बिजनेस को और आगे बढ़ाने के लिए करती है।
क्या है सेकेंडरी मार्केट?
सेकेंडरी मार्केट (secondary market) में लिस्टेड कंपनियों के शेयरों को ट्रेड किया जाता है। शेयरों की इनिशियल सेल शुरू होने के बाद इन्वेस्टर और ट्रेडर के बीच कंपनियों के शेयरों की खरीद और बिक्री की शुरू हो सकती है।
सेंसेक्स क्या होता है?
सेंसेक्स (sensex) को भारतीय स्टॉक मार्केट का बेंचमार्क इंडेक्स कहा जाता है। इसकी शुरुआत 1 जनवरी 1986 को हुई थी। इसमें कुल 30 कंपनियां शामिल हैं, जिसकी वजह से इसको BSE30 के नाम से भी जाना जाता है। इसके जरिए निवेशकों को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में लिस्टेड शेयर्स के भाव में होने वाली तेज़ी और मंदी के बारे में पता चलता है। सेंसेक्स के इंडेक्स में मार्केट कैप के आधार पर देश के 13 अलग सेक्टर से 30 सबसे बड़ी कंपनियों को इंडेक्स किया जाता है। इसमें रिलायंस, इंफोसिस, हिंदुस्तान यूनीलिवर, टीसीएस, भारती एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। आज के समय में इसकी वैल्यू 59,447 पर चल रही है।
निफ्टी क्या होता है?
निफ्टी (Nifty) नैशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया का एक महत्वपूर्ण बेंचमार्क है। निफ्टी दो शब्दों यानी नेशनल और फिफ्टी से मिलकर बना है। इसमें 22 अलग-अलग सेक्टरों की 50 कंपनियां लिस्टेड होती हैं। बता दें कि NIFTY देश की 50 प्रमुख कंपनियों के शेयरों पर नज़र रखता है। इन 50 कंपनियों की फाइनेंशियल सेहत से निफ्टी सूचकांक तय होता है।
ये हैं भारत के टॉप एक्सचेंज के नाम :-
यूं तो भारत में कई सारे स्टॉक एक्सचेंज हैं। लेकिन बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) भारत के दो सबसे बड़े और महत्वपूर्ण स्टॉक एक्सचेंज कहे जाते हैं। इनके अलावा ये भी हैं टॉप एक्सचेंज
ये हैं विश्व के प्रमुख शेयर बाज़ार
• Bombay Stock Exchange (BSE)
• National Stock Exchange (NSE)
• London Stock Exchange (LSE)
• Shanghai Stock Exchange (SSE)
• Hongkong Stock Exchange (HSE)
• NASDAQ
• Tokyo Stock Exchange (TSE)
जान लें शेयर मार्केट से जुड़े जरूरी टर्म्स
अगर आप शेयर बाजार में इन्ट्रेस्ट रखते हैं तो आपको इन टर्म्स को जरूर याद रखना चाहिए—
• सेंसेक्स (Sensex)
• निफ्टी (Nifty)
• आईपीओ (IPO)
• म्युच्युअल फंड (Mutual Fund)
• डीमैट अकाउंट (Demat Account)
• ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account)
• Bull
• Bear
• ब्रोकर (Broker)
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