facebookmetapixel
PhysicsWallah IPO: सब्सक्राइब करने का आखिरी मौका, जानें GMP और ब्रोकरेज का नजरियाGold and Silver Price Today: सोना ₹1.26 लाख के पार, चांदी ₹1.64 लाख के करीब; दोनों मेटल में जोरदार तेजीएमएसएमई का सरकार से एनपीए नियमों में बड़े संशोधन का आग्रह, 90 से 180 दिन की राहत अवधि की मांगएनएफआरए में कार्य विभाजन पर विचार, सरकार तैयार कर रही नई रूपरेखाकोयले से गैस भी बनाएगी NTPCलालकिले के धमाके का असर! विदेशियों की बुकिंग पर दबाव, लेकिन उद्योग बोले– असर होगा सिर्फ कुछ दिनों काअल्ट्राटेक से अदाणी तक: रद्द खदानों पर कंपनियों को राहत, सरकार ने शुरू की अंतिम मुआवजा प्रक्रियाबिहार चुनाव में वोटों की बाढ़! SIR विवाद के बीच रिकॉर्ड 66.9% मतदान से सभी चौंकेअक्टूबर में निचले स्तर पर खुदरा महंगाई, जीएसटी दरों में कमी असरहिल स्टेशनों में प्रॉपर्टी की डिमांड बूम पर! देहरादून से मनाली तक कीमतों में जबरदस्त उछाल

ताकि आम आदमी भी खरीद सके बांड

Last Updated- December 07, 2022 | 8:42 PM IST

सेबी कार्पोरेट डेट मार्केट को फिर से बहाल करने के लिए कई उपायों पर विचार करेगा। इसमें बांड इश्यू को इक्विटी इश्यू की तरह लचीला बनाने के लिए उसका बुक रनिंग मॉडल खासा अहम है। 


इसके अतिरिक्त बाजार से जुड़ी कई प्रक्रियाओं को आसान बनाया जाना भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि बाजार नियामक द्वारा उठाए गए कई कदमों के बाद भी कॉर्पोरेट बांड खुदरा निवेशकों को अपनी ओर आकृष्ट करने में नाकाम रहे हैं। लिहाजा सेबी समिति डेट इश्यूओं से संबंधित मूल्य खोज के लिए बुक रनिंग मॉडल को प्रस्तावित करने की सोच रही है।

मालूम हो कि कीमत तलाश यानी प्राइस डिस्कवरी आमतौर पर यील्ड के लिए होता है पर इसे बांडों के लिए प्रस्तावित किया जा सकता है। जबकि इक्विटी वाली स्थिति में आइपीओ जारी करने वाली कंपनियां प्रमुख प्रबंधकों के साथ मिलकर एक प्राइस रेंज प्रस्तावित करती हैं जिसके दायरे में प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं।

जबकि बांड के बांड्स इश्यू-रेटिंग वाली स्थिति में ब्याज दर का परिदृश्य एवं दूसरे अन्य इश्यू निवेशकों की सुरक्षा का फैसला करते हैं कि किस दर पर उन्हें बोली लगानी चाहिए। इसके अलावा समिति इस प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है जिससे जारीकर्ताओं के लिए प्रॉस्पेक्टस छपवाने का खर्च भी कम पड़े।

हालांकि इस प्रस्ताव को रेटिंग एजेंसियों द्वारा स्वीकार किया जाना बाकी है क्योंकि लिस्टेड कंपनियों द्वारा ऐसे बांड इश्यू जारी किए जाने के लिए प्रॉस्पेक्टस मुद्रित एवं जारी किए जाते हैं। बांड इश्यूओं के लिए इन सबके अलावा लिस्टिंग नियमों पर फिर से नजर डाले जाने के प्रस्ताव हैं।

मौजूदा समय में सारे बांड इश्यूओं एवं सौदों को स्टॉक एक्सचेंज के समक्ष रिपोर्ट करनी होती है लेकिन रिर्पोटिंग एवं बांड बाजारों के यह चलन अभी गति में नहीं आया है। लिहाजा, सेबी का पैनल उन इश्यूओं पर भी निगाह डाल रहा है जहां सौदों को रिपोर्ट नहीं किया जाता है।

साथ ही इसके पीछे की वजहों की तलाश भी की जा रही है। आज के दौर में 95 फीसदी बांड इश्यू प्राइवेट प्लेसमेंट के आधार पर निष्पादित किए जाते हैं। जबकि खुदरा भागीदारी इस संबंध में बिल्कुल ही नहीं है। हालांकि इसके लिए वजह यह दिखती है कि एक्सचेंजों में इश्यूओं के संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध नही रहती है।

इस बाबत क्रिसिल फंड सर्विस और फिक्सड रिसर्च के राम्या वसंतराजन का कहते हैं कि बांड यील्ड एवं मेच्योरिटी तो उपलब्ध हो सकते हैं पर अगर किसी पुट या फिर कॉल विकल्पों के लिए बांड बरकरार रहता है तो फिर निवेशकों को उसके संबंध में भी जानकारी होनी चाहिए।

उन्होने यह भी बताया कि यदि खुदरा निवेशकों को वापस बाजार में लाना है तो इसके लिए उन्हें बांडों में उनके निवेश पर कुछ प्रकार की बीमाएं भी देनी चाहिए ताकि वो अपने निवेश को लेकर चिंतित न रहे। यह काम या तो बांड बीमा या फिर क्रेडिट डीफॉल्ट स्वैप या फिर निवेशकों के द्वारा फ्लोटिंग रेट बांड अपना कर किया जा सकता है।

हालांकि बाद वाली स्थिति में फ्लोटर को चुना जाना होता है। मसलन अगर किसी कंपनी की रेटिंग कम कर दी जाती है तो फिर खुद ब खुद ब्याज दर ऊपर चढ़ना शुरू कर देती हैं और अगर रेटिंग सुधरती है तो फिर कंपनी दरों को कम कर सकती है।

First Published - September 10, 2008 | 10:58 PM IST

संबंधित पोस्ट