वैश्विक बाजारों में भले ही उथल-पुथल का दौर चल रहा हो, लेकिन पेंशन फंडों के लिए भारतीय बाजार बेहतर विकल्प साबित हो रहा है।
पिछले 7-8 महीनों के दौरान बाजार नियामक ने 60 से अधिक पेंशन फंडों के पंजीकरण की मंजूरी दी है। भारतीय शेयर बाजार को देखें, तो इस साल शिखर पर पहुंचने के बाद उसमें तकरीबन 40 फीसदी की गिरावट आई है।
इस क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक, बावजूद इसके लंबी अवधि वाली पेंशन फंड के निवेशकों की भारतीय बाजार में दिलचस्पी नहीं घटी है। उनके मुताबिक, दुनिया के प्रमुख 20 पेंशन फंडों में से 15 भारत में निवेश कर रहे हैं।
निवेश सलाहकार कंपनी की रश्मि मल्होत्रा का कहना है कि जब विकसित बाजारों में गिरावट का दौर जारी रहता है, तो उभरते बाजारों में तेजी आने की पूरी संभावना रहती है। उनके मुताबिक, जब हम कहते हैं कि विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत से पैसा निकाल रहे हैं, तो इसका यह मतलब पेंशन फंडों से नहीं होता है। दरअसल, यह लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं।
उनके मुताबिक, बेहतर रिटर्न के लिए फंड मैनेजर पेंशन फंडों को लंबी अवधि के लिए विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करते हैं। रॉल्स-रॉय पेंशन फंड, वाल्ट डिज्नी रिटायरमेंट प्लान और टीचर्स रिटायरमेंट सिस्टम ऑफ टेक्सास कुछ प्रमुख पेंशन फंड हैं, जिनका पंजीकरण बाजार नियामक ने चालू वित्त वर्ष में किया है। इसके साथ ही बोर्ड फाउंडेशन और मलेशियन कम्युनिटी एंड एजुकेशन फाउंडेशन को भी निवेश की अनुमति दी गई है।
नीतीश देसाई एसोसिएट्स के सिद्धार्थ शाह के मुताबिक, पेंशन फंडों को भारत में निवेश की अनुमति आसानी से मिल जाती है। पिछले साल अक्टूबर में सेबी ने अनुमति दी थी कि पेंशन फंडों को विदेशी संस्थागत निवेशकों की श्रेणी में पंजीकृत किया जा सकता है। हालांकि ऐसा तभी संभव है, जब ये फंड अपने देश की सिक्युरिटी मार्केट रेग्यूलेटर की ओर से संचालित नहीं होते हों।
इन पेंशन फंडों में ज्यादातर लिमिटेड पार्टनर्स के रूप में पंजीकृत हैं, जिनकी निगाहें भारत में प्राइवेट इक्विटी फंडों पर लगी हुई हैं। लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स, जिसने हाल में 6000 लाख डॉलर का फंड हासिल किया है, उसके एमडी श्रिनी विउदयगिरी का कहना है कि फंड हासिल करने में हमें कोई परेशानी नहीं आ रही है। सच तो यह है कि हमें जरूरत से ज्यादा सब्क्रिप्शन प्राप्त हुआ है।
हालांकि उन्होंने बताया कि शुरुआत में फंड हालि करने में हमें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। दरअसल, ट्रैक रिकार्ड के आधार पर ही फंड हासिल होते हैं। वाटसन वॉट के अनुमान के मुताबिक, पिछले साल के अंत तक वैश्विक पेंशन फंडों का आकार करीब 24,932 अरब डॉलर था। ऐसे में अगर पेंशन फंड का 5 फीसदी भी भारत में निवेश होता है, तो घरेलू शेयर बाजार में फिर से बहार आ सकती है।