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समान शुल्क ढांचे के निर्देश का असर, ब्रोकिंग फर्मों के शेयरों में गिरावट

सबसे ज्यादा प्रभाव डिस्काउंट ब्रोकरेज पर देखा गया है जो अपने ग्राहकों से वसूले जाने वाले और एक्सचेंजों को दिए जाने वाले शुल्क के बीच बड़ा अंतर रखते हैं।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- July 02, 2024 | 9:46 PM IST

समान शुल्क ढांचे पर अमल के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निर्देशों के बाद ब्रोकरों और मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (एमआईआई) के शेयरों में भारी बिकवाली देखी गई। विश्लेषकों का मानना है कि एमआईआई और एक्सचेंजों के लिए एक जैसे शुल्क ढांचे की व्यवस्था से उनका राजस्व प्रभावित हो सकता है।

सबसे ज्यादा प्रभाव डिस्काउंट ब्रोकरेज पर देखा गया है जो अपने ग्राहकों से वसूले जाने वाले और एक्सचेंजों को दिए जाने वाले शुल्क के बीच बड़ा अंतर रखते हैं। सक्रिय ग्राहकों के लिहाज से तीसरी सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म ऐंजल वन का शेयर 8.7 प्रतिशत गिर गया। ग्रो और जीरोधा सूचीबद्ध नहीं हैं।

जीरोधा के संस्थापक और मुख्य कार्या​धिकारी नितिन कामत ने कहा, ‘ब्रोकरों द्वारा ग्राहक से वसूले जाने वाले शुल्क और एक्सचेंज की ओर से ब्रोकर से महीने के आ​खिर में लिए जाने वाले शुल्क के बीच अंतर एक ऐसी छूट है जो ब्रोकर को मिलती है। ऐसी छूट दुनिया में प्रमुख बाजारों में आम बात है। यह छूट हमारे राजस्व का लगभग 10 प्रतिशत और उद्योग के अन्य ब्रोकरों के राजस्व का 10 से 50 प्रतिशत के बीच होती है। नए सर्कुलर के साथ राजस्व का यह स्रोत खत्म हो गया है।’

सूचीबद्ध ब्रोकरेज में जियोजित फाइनैं​शियल सर्विसेज, शेयर इंडिया सिक्योरिटीज और एमके ग्लोबल फाइनैं​​शियल के शेयरों में 5 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई। बीएसई का शेयर 3.4 प्रतिशत गिरा जबकि सीडीएसएल में 2 प्रतिशत की कमजोरी आई। डिपॉजिटरी फर्म के एक पर एक बोनस देने की घोषणा के बावजूद उसके शेयर में गिरावट आई। अभी एक्सचेंज ट्रेडिंग सदस्यों (ब्रोकरों) से कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट दोनों के लिए स्लैब के हिसाब से शुल्क वसूलते हैं। इस शुल्क ढांचे का मकसद उन ब्रोकरों को प्रोत्साहित करना है जिनका कारोबार ज्यादा है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जहां एक्सचेंज अभी अलग स्लैब-के हिसाब से शुल्क वसूलते हैं (जितना अधिक टर्नओवर, उतनी कम फीस), वहीं ब्रोकर आमतौर पर अपने ग्राहकों से उच्चतम निर्धारित स्लैब दर पर शुल्क लेते हैं। परिणामस्वरूप ब्रोकरों, विशेष रूप से डिस्काउंट ब्रोकरों के पास अतिरिक्त लाभ रहता है, जिसे ‘एंसिलियरी ट्रांजेक्शन इनकम’ कहा जाता है। ऐंजल वन के खुलासों के हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि राजस्व का यह स्रोत कुल राजस्व में करीब 8 प्रतिशत और कर-पूर्व लाभ में 20 प्रतिशत योगदान देता है जिस पर सेबी के निर्देशों का असर पड़ सकता है।’

एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने ऐंजल वन का कीमत लक्ष्य 20 प्रतिशत तक घटा दिया है।

मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रोकरों को सेबी के आदेश से पड़ने वाले प्रभाव से बचने के लिए अपने कामकाजी तौर-तरीके बदलने होंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ऐंजल वन के पास इस बदलाव को समायोजित करने के कई तरीके हैं: ब्रोकरेज दरों में 3 रुपये प्रति ऑर्डर की वृद्धि करना और अन्य ब्रोकरों की तरह खाता खोलने का शुल्क लेना।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रोकरेज फर्म डिलिवरी आधारित सौदों पर 10 रुपये का शुल्क वसूलना भी शुरू कर सकती है, जो इस समय शून्य है।

कामत ने भी संकेत दिया कि शुल्क में वृद्धि संभव है। उन्होंने कहा, ‘हम उन ब्रोकरों में शामिल रहे हैं जिन्होंने फ्री इ​क्विटी डिलिवरी ट्रेडिंग की पेशकश की थी। हम ऐसा इसलिए कर सकते हैं क्योंकि एफऐंडओ ट्रेडिंग राजस्व इक्विटी डिलिवरी निवेशकों को कम कर रहा था। नए सर्कुलर के साथ हमें पूरी संभावना है कि शून्य ब्रोकरेज ढांचे को छोड़ना होगा और एफऐंडओ सौदों के लिए ब्रोकरेज बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी।’

First Published : July 2, 2024 | 9:46 PM IST