यदि टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाती है तो समूह की प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों, जिनकी संख्या सात है, को बड़ा फायदा हो सकता है। इससे टाटा संस में उनके निवेश का मूल्य बढ़ जाएगा, जो वर्षों पहले टाटा संस के वर्तमान संभावित मूल्यांकन की तुलना में कम मूल्यांकन पर किया गया था। समूह की सात सूचीबद्ध कंपनियों की टाटा संस में कुल मिलाकर लगभग 12.1 प्रतिशत हिस्सेदारी है। टाटा संस में सूचीबद्ध कंपनियों की हिस्सेदारी उनका ऐसा बड़ा बिना वसूला लाभ है, जिसे टाटा संस के सूचीबद्ध होने पर ‘उचित’ बाजार मूल्यांकन मिलेगा।
टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा केमिकल्स और टाटा पावर जैसी सूचीबद्ध समूह कंपनियां टाटा संस में शेयरधारकों का तीसरा सबसे बड़ा समूह हैं। ये टाटा ट्रस्ट्स और शापूरजी पलोनजी समूह के बाद आती हैं। इसके अलावा ट्रेंट के पास इस साल मार्च के अंत में टाटा संस में लगभग 1,000 प्रति शेयर के सममूल्य वाले संचयी तरजीही शेयर हैं, जिनकी कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये है।
सात टाटा ट्रस्टों को संयुक्त रूप से प्रवर्तक के रूप में वर्गीकृत किया गया है और उनके पास टाटा संस की 65.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट क्रमशः 27.98 प्रतिशत और 23.56 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ टाटा संस के दो सबसे बड़े शेयरधारक हैं।
दूसरी ओर, शापूरजी पलोनजी समूह अपनी दो निवेश फर्मों – स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड और साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी का मालिक है। हरेक के पास 9.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है। अन्य शेयरधारकों, जिनमें व्यक्ति भी शामिल हैं, के पास टाटा संस में कुल मिलाकर 4.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स में सत्ता संघर्ष चल रहा है और शापूरजी पलोनजी परिवार के नेतृत्व में शेयरधारकों का एक वर्ग टाटा संस को सूचीबद्ध कराने के लिए दबाव बना रहा है। दिलचस्प बात यह है कि टाटा संस उन कुछ बड़ी होल्डिंग कंपनियों में से एक है जो शेयर बाजारों में सूचीबद्ध नहीं हैं।
अन्य बड़े व्यावसायिक समूहों जैसे बजाज होल्डिंग्स, पिलानी इन्वेस्टमेंट्स, जेएसडब्ल्यू होल्डिंग्स, टीवीएस होल्डिंग्स, कल्याणी इन्वेस्टमेंट्स, ट्यूब इन्वेस्टमेंट्स और बंगाल ऐंड असम कंपनी की होल्डिंग कंपनियां सूचीबद्ध हैं।
टाटा संस के प्रत्येक साधारण शेयर का अंकित मूल्य अभी 1,000 रुपये है और संयुक्त आधार पर इसकी बुक वैल्यू लगभग 62. 8 लाख रुपये बैठती है। इसका मतलब है इस वर्ष मार्च के अंत तक संयुक्त आधार पर खाता-बही में इनकी कीमत लगभग 2.54 ट्रिलियन रुपये है।
इस वर्ष मार्च के अंत में टाटा समूह की सूचीबद्ध कंपनियों की टाटा संस में संयुक्त हिस्सेदारी की संयुक्त बुक वैल्यू 30,705 करोड़ रुपये थी। बाजार मूल्य और भी अधिक होने की संभावना है क्योंकि बड़ी होल्डिंग कंपनियां अपनी बुक वैल्यू के मल्टीपल पर कारोबार करती हैं। इसकी तुलना में देखें तो इन कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट टाटा संस में उनकी हिस्सेदारी की निवेश लागत केवल ~449.13 करोड़ रुपये बताती है।
अन्य कंपनियों में टाटा स्टील और टाटा मोटर्स 3.06 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दो सबसे बड़ी शेयरधारक हैं। इसके बाद टाटा केमिकल्स (2.53 प्रतिशत), टाटा पावर (1.65 प्रतिशत), इंडियन होटल्स (1.11 प्रतिशत), टाटा कंज्यूमर (0.43 प्रतिशत) और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन (0.25 प्रतिशत) का स्थान आता है।
संपत्ति के मामले में टाटा संस के बाद देश की सबसे बड़ी होल्डिंग कंपनी बजाज होल्डिंग्स है जो अपनी नवीनतम बुक वैल्यू के 2.1 गुना पर कारोबार कर रही है। बजाज होल्डिंग्स, बजाज ऑटो और बजाज फिनसर्व सहित राहुल बजाज समूह की अधिकांश कंपनियों में प्रमुख शेयरधारक है। हालांकि सवाल यह है कि क्या ये सूचीबद्ध समूह कंपनियां टाटा संस में अपने निवेश को बेचेंगी या उस पर मुनाफा बुक करेंगी।