प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
टाटा कैपिटल का शेयर सोमवार को अपने पहले कारोबारी दिन 1.6 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ। एनएसई पर यह शेयर 333 रुपये का ऊंचा स्तर और 326 रुपये का निचला स्तर छूने के बाद 331.1 रुपये पर बंद हुआ। इसमें लगभग 3,900 करोड़ रुपये के शेयरों का लेनदेन हुआ। कंपनी ने अपने 15,512 करोड़ रुपये के आईपीओ में एक शेयर की कीमत 326 रुपये रखी थी। यह इस साल का सबसे बड़ा आईपीओ था।
कुल मिलाकर दो गुना से भी कम बोलियां पाने वाले इस आईपीओ को भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), मॉर्गन स्टेनली और गोल्डमैन सैक्स जैसे निवेशकों की संस्थागत मांग से सहारा मिला। इस निर्गम में कंपनी के पूंजी आधार को मजबूत करने के लिए 6,846 करोड़ रुपये की नई पूंजी जुटाई गई जबकि प्रमोटर टाटा संस और अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) ने 8,666 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
सोमवार को कारोबार की समाप्ति पर टाटा कैपिटल का बाजार पूंजीकरण 1.4 लाख करोड़ रुपये रहा। इससे कंपनी का मूल्यांकन उसकी बुक वैल्यू से लगभग चार गुना हो गया जो मोटे तौर पर सूचीबद्ध प्रतिस्पर्धियों के अनुरूप है। देवेन चोकसी रिसर्च ने अपने आईपीओ नोट में कहा, ‘उद्योग के औसत की तुलना में टाटा कैपिटल का मूल्यांकन उचित लग रहा है। उसने शेयर को तटस्थ रेटिंग दी है।’
ब्रोकरेज ने कहा, ‘इसका मूल्यांकन और रिटर्न प्रोफाइल 4.1 गुना प्राइस-टू-बुक (पी/बी)और 1.9 प्रतिशत परिसंपत्ति पर रिटर्न (आरओए) है। समकक्ष कंपनियों का औसत 3.7 गुना पी/बी और 3.0 प्रतिशत आरओए है जो अल्पावधि में सीमित बढ़त का संकेत है। हालांकि, इसकी मजबूत पैतृक और ओमनी-चैनल उपस्थिति उसकी लोन बुक को शानदार गति से बढ़ाने में मदद करेगी।’
आईपीओ के बाद टाटा कैपिटल में प्रमोटर हिस्सेदारी 95.6 प्रतिशत से घटकर 84.6 प्रतिशत रह गई। यह आईपीओ टाटा समूह का अब तक का सबसे बड़ा सार्वजनिक निर्गम था और नवंबर 2023 में टाटा टेक्नोलॉजीज के बाद लगभग दो दशकों में समूह की सिर्फ दूसरी लिस्टिंग थी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने टाटा कैपिटल को एक ‘अपर लेयरा’ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में वर्गीकृत किया था और नियामकीय मानदंडों के तहत सार्वजनिक होने का आदेश दिया गया था।
वर्ष 2007 में स्थापित टाटा कैपिटल अब भारत की तीसरी सबसे बड़ी एनबीएफसी है। जून 2025 तक उसकी 2.33 लाख करोड़ रुपये की लोन बुक थी। उसका पोर्टफोलियो विभिन्न सेक्टरों से जुड़ा हुआ है जिनमें खुदरा ऋण 61.3 प्रतिशत, एसएमई 26.2 प्रतिशत और कॉरपोरेट ऋण 12.5 प्रतिशत शामिल हैं।