घरेलू शेयर सूचकांकों में सोमवार को गिरावट आई। इसकी वजह एच-1बी वीजा आवेदन शुल्क में तीव्र बढ़ोतरी की अमेरिका की घोषणा रही जिससे सूचना प्रौद्योगिकी शेयरों में तेज फिसलन हुई और निवेशकों के सेंटिमेंट पर असर पड़ा। सेंसेक्स 466 अंक यानी 0.56 फीसदी गिरकर 82,160 पर आ गया जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 125 अंक यानी 0.5 फीसदी फिसलकर 25,202 पर टिका।
निफ्टी आईटी इंडेक्स 2.95 फीसदी लुढ़क गया। उसके 10 में से नौ शेयर लाल निशान के साथ बंद हुए। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस और विप्रो जैसे दिग्गज शेयरों में करीब 3 फीसदी की गिरावट आई। इस बिकवाली से निफ्टी आईटी शेयरों का बाजार मूल्यांकन करीब 85,000 करोड़ रुपये घट गया। बैंकिंग के बाद बेंचमार्क सूचकांकों में आईटी का दूसरा सबसे बड़ा भार है और इसलिए आईटी शेयरों के प्रदर्शन का समग्र बाजार के प्रदर्शन पर असर पड़ता है।
वॉलैटिलिटी में इजाफा हुआ और इंडिया वीआईएक्स 6 फीसदी बढ़कर 10.6 पर पहुंच गया। अन्य सूचकांकों का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा। निफ्टी मिडकैप 100 में 0.7 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 1.2 फीसदी की नरमी आई।
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यह गिरावट शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से नए एच-1बी वीजा आवेदनों पर 1,00,000 डॉलर का शुल्क लगाने की घोषणा के बाद आई है। पिछले साल स्वीकृत एच-1बी लाभार्थियों में 71 फीसदी भारतीय थे। भारत का 283 अरब डॉलर का आईटी उद्योग (जिसकी 57 फीसदी आय अमेरिका से होती है) अपनी वृद्धि को बरकरार रखने के लिए वीजा कार्यक्रम और आउटसोर्सिंग पर बहुत अधिक निर्भर रहा है।
अमेरिका में कारोबार पर निर्भर दवा कंपनियों के शेयरों में दूसरी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी फार्मा इंडेक्स 1.41 फीसदी नीचे आया और उसके 20 में से 18 शेयर गिरावट के साथ बंद हुए। फिर भी, विश्लेषकों का रुख सकारात्मक बना हुआ है। यूबीएस ग्लोबल वेल्थ मैनेजमेंट ने एक नोट में कहा, कारोबारी अनिश्चितता और एच-1बी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद, कर कटौती और नीतिगत नरमी के जरिए सरकार का वृद्धि समर्थक रुख भारतीय शेयरों को आकर्षक बनाए हुए है।