शेयर बाजार

Stock Market: सेंसेक्स अर्निंग, बॉन्ड यील्ड में घटा अंतर, दोनों के बीच स्प्रेड साल 2000 के बाद सबसे कम

भारतीय शेयरों की यील्ड और दीर्घ अवधि के अमेरिकी बॉन्ड पर यील्ड के बीच अंतर ऋणात्मक हो तो विदेशी निवेशकों को भारत में शेयरों में निवेश करने की कोई तुक नहीं लगती।

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कृष्ण कांत   
Last Updated- April 22, 2024 | 10:22 PM IST

भारत में शेयरों का मूल्यांकन अधिक होने और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड लगातार बढ़ने के कारण बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के संवेदी सूचकांक सेंसेक्स की अर्निंग यील्ड और 10 वर्ष के अमेरिकी सरकारी बॉन्ड की यील्ड के बीच स्प्रेड (यील्ड या ब्याज में शुद्ध अंतर) बहुत कम रह गया है। इस समय दोनों के बीच स्प्रेड वर्ष 2000 के बाद सबसे कम है। पिछले तीन महीनों से तो यील्ड का अंतर ऋणात्मक (नेगेटिव) रहा है।

किसी खास अवधि में प्रति शेयर आय को उसके वर्तमान शेयर मूल्य से विभाजित करने पर अर्निंग यील्ड मिलती है। यील्ड का स्प्रेड लगातार शून्य से नीचे रहे तो अक्सर शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आती है। 2000 में डॉटकॉम बुलबुला ऐसे ही फटा था। जनवरी 2008 में बाजार धड़ाम होने से पहले भी यील्ड स्प्रेड ऋणात्मक रहा था। मगर जनवरी 2008 और अगस्त 2023 के बीच लगातार 188 महीनों तक यील्ड स्प्रेड धनात्मक था।

आज यील्ड स्प्रेड कम होकर -0.61 प्रतिशत रह गया। एक साल पहले यह 0.99 प्रतिशत था और 20 वर्षों का औसत स्प्रेड 2 प्रतिशत है। आज ही बीएसई सूचकांक का पिछले 12 महीनों का यानी ट्रेलिंग प्राइस-टू-अर्निंग (पी/ई) मल्टिपल लगभग 25 गुना था, जिसके बाद अर्निंग यील्ड 4 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई।

तुलनात्मक रूप से देखें तो भारत का मानक शेयर सूचकांक अप्रैल 2023 की समाप्ति पर 24.7 गुना के ट्रेलिंग पी/ई मल्टिपल पर कारोबार कर रहा था और अर्निंग यील्ड 4.4 गुना थी। 10 वर्ष अमेरिकी सरकारी बॉन्ड पर यील्ड अप्रैल 2023 के अंत में थी, जो आज 120 आधार अंक उछलकर 4.66 प्रतिशत हो गई।

इस बारे में पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी विनय पहाड़िया ने कहा, ‘मध्यम से दीर्घ अवधि में हमें भारतीय शेयर बाजारों से उम्मीद है। मगर मौजूदा मूल्यांकन देखकर निकट भविष्य में रिटर्न की संभावना पर सतर्क रुख अपनाना होगा।’

भारतीय शेयरों की यील्ड और दीर्घ अवधि के अमेरिकी बॉन्ड पर यील्ड के बीच अंतर ऋणात्मक हो तो विदेशी निवेशकों को भारत में शेयरों में निवेश करने की कोई तुक नहीं लगती।

आम तौर पर ऐसे में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बिकवाली करने लगते हैं और दलाल पथ पर उठापटक शुरू हो जाती है। पिछले 5 कारोबारी सत्रों में एफपीआई लगभग 21,400 करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके थे। अप्रैल में अभी तक उन्होंने कुल 25,400 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जबकि फरवरी और मार्च में वे शुद्ध लिवाल रहे थे।

हाल में अर्निंग यील्ड में आई कमी 2007 की याद ताजा करती है। उस समय अक्टूबर से दिसंबर तक यानी तीन महीने अर्निंग यील्ड ऋणात्मक रही थी और अक्टूबर 2007 में गिरकर सात साल में सबसे कम हो गई थी। उसके बाद जनवरी के पहले हफ्ते में शेयर रिकॉर्ड भाव पर पहुंच गए, जहां से गिरावट शुरू हो गई। शेयरों के मूल्यांकन में भारी तेजी और अमेरिका में मानक बॉन्ड यील्ड में 45 आधार अंक की बढ़ोतरी के कारण यील्ड स्प्रेड में अंतर कम होता गया।

First Published : April 22, 2024 | 10:22 PM IST