अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नरम रुख से दुनिया भर के बाजारों में उत्साह देखा गया जिससे शेयरों की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। इस बीच निवेशक पहले के अनुमान की तुलना में दर में तीव्र कटौती की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे जोखिम वहन का पैमाना माने जाने वाला 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल (Bond Yields) 4 फीसदी से नीचे आ गया।
अमेरिका में ब्याज दरें 22 साल के उच्च स्तर हैं। फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक 2024 से दरों में कटौती शुरू करेगा। केंद्रीय बैंक के कुछ अधिकारियों ने संकेत दिए कि अगले साल दर में 75 आधार अंक की कटौती हो सकती है, जो बाजार के अनुमान से ज्यादा है।
बुधवार को अमेरिकी शेयर बाजारों में शानदार तेजी आई है जिसका असर आज देसी बाजार में भी दिखा और सूचकांक बढ़त के साथ खुले। कारोबार की समाप्ति पर सेंसेक्स और निफ्टी दोनों नए शिखर पर पहुंच गए। सेंसेक्स 930 अंक की बढ़त के साथ 70,514 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 256 अंक के लाभ के साथ 21,183 पर बंद हुआ।
बीते तीन हफ्तों के दौरान दो दिन को छोड़कर सभी सत्र में दोनों सूचकांक लाभ में रहे। दिसंबर में अभी तक सेंसेक्स 5.3 फीसदी चढ़ चुका है जो पिछले साल अक्टूबर के बाद किसी भी महीने में आई सबसे बड़ी तेजी है। बीएसई की सभी सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 3.8 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 355 लाख करोड़ रुपये (4.26 ट्रिलियन डॉलर) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
फेडरल रिजर्व के प्रमुख ने संकेत दिया कि मुद्रास्फीति के 2 फीसदी के लक्ष्य तक घटने पर अमेरिका के मौद्रिक नीति निर्माता दरों में कटौती पर विचार कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर फेड दरें बढ़ा भी सकता है।
10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का यील्ड 26 जुलाई, 2023 के बाद सबसे कम 3.9 फीसदी पर कारोबार कर रहा था।
अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘पहले ऊंची दरें लंबे समय तक बनी रहने की बात की जा रही थी, मगर अब इसमें कटौती की चर्चा शुरू हो गई है। बाजार यह अंदाज लगाने का प्रयास करेगा कि यह कटौती कितनी जल्दी होती है।
पॉवेल के नरम रुख ने सबको चकित किया है। हो सकता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उम्मीद से ज्यादा नरमी आ रही हो। मुद्रास्फीति को काबू में करने में देरी से पहल करने और फिर ब्याज दरों में काफी इजाफा किए जाने को लेकर फेड की आलोचना भी की जाती रही है। फिलहाल बाजार के लिए कोई अड़चन नहीं दिख रही है जिससे तेजी आई है।’
नवंबर में देसी शेयर बाजार का प्रदर्शन वैश्विक बाजारों की तुलना में कमजोर था मगर दर में कटौती की उम्मीद, राजनीतिक स्थिरता और मजबूत आर्थिक आंकड़ों की बदौलत पिछले तीन हफ्ते के दौरान सूचकांकों ने जोरदार छलांग लगाई है।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (CEO) प्रणव हरिदासन ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दरें यथावत रखना और चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर अनुमान को बढ़ाए जाने और उच्च आवृत्ति वाले संकेतकों एवं आय वृद्धि के बेहतर अनुमान से बाजार में तेजी को बल मिला। अगर बॉन्ड प्रतिफल और कच्चे तेल के दाम में नरमी बनी रही तो बाजार अभी और ऊंचाई पर पहुंच सकता है। कुल मूल्यांकन के लिहाज से लार्ज कैप मौजूदा स्तर पर बेहतर स्थिति में नजर आ रहे हैं।’
अमेरिका और यूरोजोन के आगामी वृहद आर्थिक आंकड़े आगे चलकर बॉन्ड यील्ड और बाजार की चाल को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण होंगे।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 2,026 शेयर लाभ में और 1,748 नुकसान पर बंद हुए। सेंसेक्स के दो-तिहाई शेयर बढ़त में बंद हुए। आईटी शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी आई, निफ्टी आईटी सूचकांक 3.5 फीसदी तेजी पर बंद हुए।
विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर परिदृश्य आईटी कंपनियों की संभावनाओं के लिए अच्छा संकेत हैं क्योंकि ये कंपनियां सबसे ज्यादा आय अमेरिकी बाजार से ही कमाती है।