भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2025 में 10 अरब डॉलर से ज्यादा की वृद्धि के बाद अप्रैल में बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के माध्यम से धन जुटाने के लिए भारतीय फर्मों के प्रस्ताव कम हो गए और उन्होंने महज 2.91 अरब डॉलर जुटाने के प्रस्ताव दिए। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) समेत विभिन्न कंपनियों ने मार्च 2025 में 11.04 अरब डॉलर के ईसीबी प्रस्ताव दाखिल किए थे।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2025 में दाखिल प्रस्तावों में से स्वचालित मार्ग के जरिए 1.90 अरब डॉलर जुटाने का इरादा था और अनुमोदन के रास्ते यह राशि 1.01 अरब डॉलर थी। अप्रैल 2025 में आरबीआई के पास आशय पत्र दाखिल करने वाली प्रमुख फर्मों में श्रीराम फाइनैंस भी है जिसने स्वचालित मार्ग से 83 करोड़ डॉलर का प्रस्ताव आगे ऋण देने के लिए किया। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजार से जुटाए जाने वाले फंड की परिपक्वता अवधि तीन साल है।
अन्य वित्तीय कंपनियों में एसएमएफजी इंडिया क्रेडिट कंपनी लिमिटेड शामिल है, जिसने तीन वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले विदेशी सहयोगी/इक्विटी धारकों से लगभग 20.8 करोड़ डॉलर जुटाने का इरादा किया। वित्तीय सेवाओं के कारोबार में सरकारी इकाई भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड ने करीब 18 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए आवेदन किया। विमानन कंपनी इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड ने पूंजीगत आयात के लिए 10.6 करोड़ डॉलर के ईसीबी का इरादा जताया है।
आरबीआई के अनुसार लीजिंग कंपनी की फंडिंग की परिपक्वता अवधि 145 महीने है। इंटास फार्मास्युटिकल्स ने 15.1 करोड़ डॉलर के ईसीबी के लिए आवेदन किया है। वाणिज्यिक बैंकों से मिलने वाली फंडिंग की परिपक्वता अवधि 60 महीने है। आरबीआई और ब्लूमबर्ग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में कुल ईसीबी फाइलिंग 61.18 अरब डॉलर थी, जो वित्त वर्ष 2024 के 48.81 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2023 के 25.98 अरब डॉलर से अधिक थी।