शेयर बाजार

बाजार में 7 महीने की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट, ट्रंप टैरिफ से आईटी-फार्मा शेयर पस्त

सेंसेक्स-निफ्टी लगातार छठे दिन टूटे; FPI ने बेचे ₹10,734 करोड़ के शेयर, आईटी और फार्मा पर अमेरिकी दबाव

Published by
सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- September 26, 2025 | 9:20 PM IST

भारतीय शेयर र ने इस हफ्ते जोरदार गिरावट दर्ज की। बेंचमार्क इंडेक्सों ने सात महीने में सबसे खराब साप्ताहिक प्रदर्शन किया, क्योंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की लगातार बिकवाली, वैश्विक व्यापार तनाव और सेक्टर-विशेष दबावों ने सेंटीमेंट को कमजोर किया।

सेंसेक्स-निफ्टी में लगातार गिरावट

शुक्रवार को सेंसेक्स 733 अंक (0.9 फीसदी) गिरकर 80,426 पर और निफ्टी 236 अंक (0.9 फीसदी) फिसलकर 24,655 पर बंद हुआ। दोनों इंडेक्स लगातार छठे दिन टूटे — सेंसेक्स के लिए फरवरी और निफ्टी के लिए मार्च के बाद सबसे लंबी गिरावट का सिलसिला।

पिछले छह सत्रों में सेंसेक्स 3.1 फीसदी और निफ्टी 3 फीसदी गिरा। हफ्ते भर में दोनों इंडेक्स 2.6 फीसदी टूटे — 28 फरवरी को समाप्त सप्ताह के बाद यह सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट रही। इस बिकवाली से निवेशकों की करीब ₹16 लाख करोड़ की संपत्ति मिट गई और बीएसई लिस्टेड कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (market capitalisation) घटकर ₹451 लाख करोड़ रह गया।

एफपीआई बिकवाली और अमेरिकी दबाव

इस हफ्ते FPI ने ₹16,422.3 करोड़ के शेयर बेचे। अमेरिकी प्रशासन के दो कदमों — नए H-1B वीजा पर $100,000 शुल्क और ब्रांडेड दवाओं पर भारी टैरिफ — ने निवेशकों को चिंतित कर दिया। आशंका है कि इन कदमों से भारत के आईटी और फार्मा सेक्टर पर गहरा असर पड़ेगा, जिनकी कमाई का बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है।

आईटी-फार्मा को सबसे बड़ी चोट

निफ्टी फार्मा इंडेक्स शुक्रवार को 2.1 फीसदी और पूरे हफ्ते में 5.2 फीसदी टूटा — यह मध्य फरवरी के बाद सबसे बड़ी गिरावट रही।

निफ्टी आईटी इंडेक्स पूरे सप्ताह में 8 फीसदी गिरा, जो बाजार की गिरावट का नेतृत्व कर रहा था। वीजा लागत और वैश्विक टेक खर्च में सुस्ती की चिंताओं ने दबाव और बढ़ाया।

Also Read | ट्रंप के 100% टैरिफ ऐलान का असर: निफ्टी फार्मा 2% गिरा

विश्लेषकों की राय

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के पूर्व रिसर्च प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, “ट्रंप के टैरिफ की श्रृंखला ने अगले कुछ तिमाहियों के लिए कॉर्पोरेट अर्निंग्स आउटलुक को कमजोर किया है। भारतीय बाजार सस्ते नहीं हैं और एफपीआई को इस साल बेहतर प्रदर्शन कर रहे अमेरिकी बाजार में अवसर दिख रहे हैं। जब तक टैरिफ फ्रंट पर राहत नहीं मिलती, स्थिरता में समय लगेगा।”

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के हेड ऑफ रिसर्च विनोद नायर ने कहा, “घरेलू मोर्चे पर आरबीआई की नीतिगत बैठक और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े अहम होंगे। हालांकि बैंकिंग, एफएमसीजी और ऑटो जैसे सेक्टर मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता और नीति उपायों से समर्थित हैं।”

बाजार की चौड़ाई कमजोर

शुक्रवार को बीएसई पर 3,208 शेयर गिरे जबकि सिर्फ 945 बढ़ सके। सेंसेक्स में इन्फोसिस (-2.4%) और महिंद्रा एंड महिंद्रा सबसे बड़े ड्रैग रहे।

First Published : September 26, 2025 | 9:01 PM IST