पिछली कुछ तिमाहियों में भारतीय कंपनी जगत के शुद्ध लाभ में वृद्धि राजस्व वृद्धि के मुकाबले तेज रफ्तार में रही। इसकी वजह ऋण के अनुकूल हालात और इनपुट लागत में कमी है। हालांकि अब दोनों एक जैसे होते जा रहे हैं। विश्लेषक जोर दे रहे हैं कि लाभ में सुधार के लिए राजस्व में मजबूत वृद्धि आवश्यक है।
मार्च 2023 से मार्च 2024 के बीच पांच तिमाहियों के दौरान बीएसई 500 कंपनियों (तेल और उवर्रक कंपनियों को छोड़कर) के औसत शुद्ध लाभ में वृद्धि सालाना आधार पर 20 फीसदी रही। हालांकि इस दौरान राजस्व में औसतन सिर्फ 9 वृद्धि के बावजूद ऐसा हुआ। यह ऐतिहासिक औसत के उलट है जहां लाभ मार्जिन और राजस्व मोटे तौर पर एक जैसे बढ़ते हैं।
वित्त वर्ष 2024 में उनके बीच भारी अंतर मार्जिन में विस्तार से पता चलता है जिसकी वजह इनपुट की कम लागत और परिचालन दक्षता में सुधार है। हालांकि ये कारक अब कमजोर होने लगे हैं।
नुवामा इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के इक्विटी रणनीतिकार प्रतीक पारेख और प्रियांक शाह ने कहा कि हमें लगता है कि आने वाले समय में मार्जिन को अब ज्यादा बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि वित्तीय क्रेडिट लागत अब सामान्य हो रही है और इनपुट कीमतें भी। इसके अलावा कंपनियां पहले से ही उच्च परिचालन दक्षता पर प्रदर्शन कर रही हैं जिससे मार्जिन में विस्तार के लिए काफी कम गुंजाइश है।
यह परिवर्तन वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में तब साफ दिखा जब बीएसई 500 कंपनियों के लाभ में वृद्धि की दर अच्छी खासी कम होकर 10 फीसदी पर आ गई और इसे राजस्व में 8 फीसदी की स्थिर वृद्धि ने नीचे खींचा। कोविड-19 के बाद लाभ में तेजी भी उतनी ही बढ़ी जितनी आय में वृद्धि हुई। साल 2000 में डॉट-कॉम बुलबुले के बाद भी ऐसी ही तेजी आई थी। हालांकि आज के उलट साल 2000 में आय वृद्धि को राजस्व में बढ़ोतरी से भी सहारा मिला था।
एमके के हाल के नोट में नकारात्मक आय में तेज बढ़ोतरी का संकेत दिया दया है। इसमें कहा गया है कि बीएसई 500 कंपनियों में नकारात्मक आय से चौंकाने वाली कंपनियों का अनुपात मार्च तिमाही में 46 फीसदी था जो जून तिमाही में बढ़कर 62 फीसदी पर पहुंच गया। एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख और रणनीतिकार शेषाद्रि सेन ने कहा कि वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही का आय सीजन कमजोर था जिसमें कर पश्चात लाभ में वृद्धि नकारात्मक थी। राजस्व की रफ्तार हर तरफ सुस्त बनी रही जबकि ऊर्जा ने कुल मार्जिन को नीचे खींचा। नकारात्मक की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी।
कुछ विश्लेषक बताते हैं कि लाभ मार्जिन उच्चस्तर पर कमोबेश स्थिर हो गया है और मांग के कमजोर माहौल के बीच इसमें ज्यादा विस्तार की गुंजाइश नहीं है। सेन ने कहा कि अल्पावधि के संकेतक अब मिलेजुले हैं। कमजोर जिंस, सितंबर में अमेरिकी ब्याज दरों में संभावित कटौती और उपभोग में सुधार बहुत जरूरी है, लेकिन प्रीमियम श्रेणी में उपभोग में सुस्ती चिंता का कारण बनी हुई है।
पहली तिमाही के नरम आंकड़ों के बाद वित्त वर्ष 25 के लिए ब्रोकरेज के आय में संशोधन स्थिर से लेकर थोड़े नकारात्मक रहे हैं।