नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने अपने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) को रेगुलेटरी मंजूरी दिलवाने के लिए वित्त मंत्रालय से मदद के दावों का खंडन किया है। एनएसई का आईपीओ रेगुलेटरी से सम्बंधित खामियों के कारण कई लंबे समय से लंबित है।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि एनएसई ने सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) के साथ गतिरोध को लेकर सरकार से संपर्क किया है। हालांकि, एनएसई ने इस तरह की खबरों का खंडन किया है। एनएसई ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ”समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक खबर पब्लिश की है कि एनएसई ने आईपीओ के संबंध में सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। हम इस खबर का खंडन करते है। एनएसई ने पिछले 30 महीनों में अपने आईपीओ के संबंध में भारत सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं की है।’
Clarification – Denial of a Reuters Story on NSE IPO
A news agency – Reuters has published a story that NSE has sought intervention from Government relating to NSE IPO.
The story is denied by NSE.
NSE has not had any correspondence with Government of India in last 30 months…
— NSE India (@NSEIndia) May 8, 2025
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एनएसई ने सेबी से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) के लिए मार्च में किए गए आवेदन पर कोई कारवाई न होने के बाद वित्त मंत्रालय को लेटर लिखा है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि एनएसई ने मंत्रालय को सेबी के नए प्रमुख के साथ बातचीत करने और आईपीओ में देरी करने वाली नियामक चिंताओं को हल करने का आग्रह किया गया था।
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दुनिया के सबसे बड़े डेरिवेटिव एक्सचेंज को संभालने वाला एनएसई वर्ष 2016 से ही पब्लिक होने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अनसुलझे कानूनी मामले और शासन संबंधी चिंताएं जैसी नियामक बाधाओं के चलते एनएसई अपना आईपीओ नहीं ला पा रहा है। दूसरी तरफ, एनएसई का घरेलू प्रतिद्वंद्वी बीएसई लिमिटेड पहले से ही लिस्टेड है।
अगर एनएसई बाजार में लिस्ट हो जाती है तो वह भारतीय जीवन बीमा निगम, भारतीय स्टेट बैंक, मॉर्गन स्टेनली और कनाडा पेंशन योजना निवेश बोर्ड जैसे प्रमुख शेयरहोल्डर्स को बाहर निकाल सकती है।
हालांकि एनएसई ने हाल ही में किसी भी तरह की पहल से इनकार किया है। लेकिन रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले कहा कि एक्सचेंज ने पहले भी सरकार से समर्थन मांगा है। एनएसई ने नवंबर 2019 में, 2020 में दो बार और अगस्त 2024 में फिर से समर्थन मांगा था।
सेबी (SEBI) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने हाल ही में कहा कि रेगुलेटर एनएसई (NSE) के आईपीओ से जुड़े मामलों को देख रहा है। लेकिन बोर्ड की प्राथमिकता कमर्शियल हितों की तुलना में जनहित पर ज्यादा है।
रायटर ने रिपोर्ट में कहा, “सेबी के विभिन्न विभागों ने इस मामले में चिंताएं जाहिर की थीं। जब तक सभी विभाग संतुष्ट नहीं हो जाते कि उठाए गए मुद्दों का समाधान हो गया है, तब तक नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी किया जाना संभव नहीं है।”
रिपोर्ट्स के अनुसार, बोर्ड के चेयरमैन की नियुक्ति में देरी जैसी गवर्नेंस की खामियां के चलते एनएसई के आईपीओ को मंजूरी नहीं दे जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, एनएसई ने वित्त मंत्रालय को भेजे अपने पत्र में इन चिंताओं को खारिज कर दिया और नियुक्ति में देरी का कारण 2022 में सेबी द्वारा प्रस्तावित उम्मीदवार को मंजूरी देने में हुई देर को बताया।