नोमुरा के विश्लेषकों और प्रबंध निदेशक एवं भारत के लिए इक्विटी शोध प्रमुख सायन मुखर्जी के साथ मिलकर तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय इक्विटी बाजारों में अल्पावधि के दौरान सीमित तेजी की संभावना है, क्योंकि इन पर आगामी संभावित मंदी का प्रभाव पड़ सकता है।
हालांकि उनका मानना है कि मध्यावधि-दीघार्वधि के दौरान लगातार वृद्धि के संदर्भ में संभावनाएं मजबूत हैं और इसलिए इक्विटी निवेशकों को ‘गिरावट पर खरीदें’ की नीति अपनानी चाहिए।
निवेश रणनीति के तौर पर नोमुरा ने निर्यातकों के मुकाबले घरेलू-केंद्रित क्षेत्रों और कंपनियों को ज्यादा पसंद किया है। साथ ही, उन्हें ऐसे शेयर पसंद हैं जिनका मूल्यांकन उचित हो। उद्योग और बैंक उनके ‘ओवरवेट’ क्षेत्रों में शामिल हैं, जबकि आईटी सेवा और कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी ‘अंडरवेट’ श्रेणी में शामिल हैं।
नोमुरा का कहना है कि वैश्विक तौर पर, धीमी वृद्धि के परिवेश और नीतिगत दर वृद्धि चक्र के समापन से निवेशक नए अवसर तलाशने पर जोर दे सकते हैं। नोमुरा का मानना है कि एशियाई बाजार अच्छी हालत में होंगे, क्योंकि मजबूत आर्थिक बुनियादी आधार, सुधार-समर्थक सरकारों की वजह से घरेलू व्यावसायिक परिवेश में सुधार और नए विकास अवसरों की संभावना बढ़ रही है।
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नोमुरा ने कहा है, ‘महामारी के बाद से, निवेशकों ने एशिया में निवेश कम किया है, लेकिन चूंकि बाजार मूल्यांकन में सुधार का एशिया में सकारात्मक असर दिखा है और हमारा मानना है कि यह क्षेत्र विश्व अर्थव्यवस्था में बढ़ते अपने दबदबे के अनुरूप ज्यादा पूंजी प्रवाह आकर्षित करेगा।’
इसके अलावा, भारतीय बाजार पिछले 20 महीनों से सीमित दायरे में रहे हैं और सेंसेक्स 57,000 से 63,000 के स्तरों के बीच केंद्रित रहा है। चालू वित्त वर्ष 2024 में अब तक बाजारों में अच्छी तेजी दर्ज की गई है। सेंसेक्स करीब 6 प्रतिशत चढ़कर 62,800 के स्तरों पर पहुंच गया है।
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मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंटों में तेजी आई है। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में इस अवधि के दौरान 13.5 प्रतिशत और 14.5 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है।
मूल्यांकन महंगा
मूल्यांकन के आधार पर नोमुरा का मानना है कि भारतीय बाजार वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले ऊपर कारोबार करेंगे, और एसआईपी विकल्प के जरिये इक्विटी में मजबूत घरेलू पूंजी प्रवाह से इक्विटी मूल्यांकन को मदद मिलेगी।
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नोमुरा का कहना है, ‘कोविड-19 से पहले, भारतीय बाजार ईएम इंडेक्स के मुकाबले 45 प्रतिशत की औसत तेजी पर कारोबार कर रहा था। मौजूदा समय में 60 प्रतिशत पर आने से पहले यह बढ़कर 90 प्रतिशत पर पहुंच गया था। हमारा मानना है कि भारत के इक्विटी बाजार कोविड-पूर्व समय के मुकाबले बड़ी तेजी पर कारोबार कर सकते हैं।’
आर्थिक वृद्धि
वृहद स्तर पर, नोमुरा को वर्ष 2024 में होने वाले आम चुनाव के बाद निवेश में लगातार वृद्धि का अनुमान है। सरकार तथा निजी कंपनियों, दोनों से निवेश में इजाफा किया जा सकता है। इस संदर्भ में शोध एवं ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि इससे संपूर्ण आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ावा मिल सकता है।
नोमुरा का मानना है कि भारत वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2030 के बीच करीब 6.6 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज कर सकता है।