जेन स्ट्रीट समूह को सितंबर की शुरुआत में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई के लिए पेश होना है। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने इसकी जानकारी दी। बाजार में कथित हेरफेर के लिए सेबी द्वारा 3 जुलाई को जेन स्ट्रीट पर रोक लगाने के अंतरिम आदेश के बाद इस फर्म की नियामक के साथ यह पहली व्यक्तिगत बातचीत होगी। हालांकि नियामक द्वारा निफ्टी बैंक इंडेक्स से जुड़े विवादित सौदों से प्राप्त लाभ के रूप में चिह्नित 4,840 करोड़ रुपये जमा कराने के बाद प्रतिबंध हटा दिया गया था।
बाजार नियामक ने शुरू में ट्रेडिंग फर्म को एकपक्षीय अंतरिम आदेश में आरोपों का जवाब देने के लिए 21 दिन की मोहलत दी थी जिसकी समय सीमा 26 जुलाई को समाप्त हो गई। 28 जुलाई को जेन स्ट्रीट ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा था। कानून के विशेषज्ञों ने बताया कि नियामकीय कार्रवाई का सामना करने वाली संस्थाएं अपने लिखित जवाब के पूरक के लिए व्यक्तिगत सुनवाई का अनुरोध कर सकती हैं।
इस बारे में जानकारी के लिए सेबी और जेन स्ट्रीट को ईमेल भेजे गए मगर खबर लिखे जाने का जवाब नहीं आया। सेबी के आदेश के कुछ दिनों बाद जेन स्ट्रीट ने अपने कर्मचारियों को एक आंतरिक नोट में बताया था कि उसकी ट्रेडिंग गतिविधि ‘बुनियादी इंडेक्स आर्बिट्राज’ थी और उसने सेबी के निष्कर्षों को मौलिक रूप से गलत बताया था।
सेबी के आदेश के अनुसार जेन स्ट्रीट ने दो तरह की रणनीति अपनाई, पहले बैंक निफ्टी शेयरों को नकद और वायदा बाजारों में आक्रामक रूप से खरीदे ताकि कृत्रिम रूप से सूचकांक चढ़ सके और फिर विकल्प में बड़े पैमाने उसकी बिकवाली की ताकि गिरावट से लाभ हो सके। हालांकि जेन स्ट्रीट का कहना है कि उसने खरीद-बिक्री में पारंपरिक इंडेक्स आर्बिट्राज को उपयोग किया है।
जुलाई के दूसरे सप्ताह में सेबी ने फर्म पर लगे ट्रेडिंग प्रतिबंध को रद्द कर दिया। जेन स्ट्रीट ने बाद में संकेत दिया कि उसका इंडेक्स विकल्पों में तत्काल ट्रेडिंग शुरू करने का कोई इरादा नहीं है। फर्म के पास प्रतिभूति अपीली पंचाट (सैट) के समक्ष अपील करने का भी विकल्प है।
रेगस्ट्रीट लॉ एडवाइजर्स के संस्थापक और पार्टनर तथा सेबी के पूर्व अधिकारी सुमित अग्रवाल ने बताया, ‘सेबी के समक्ष कार्यवाही में बड़े पैमाने पर ट्रेडिंग आरोपों से जुड़े जटिल मामलों में व्यक्तिगत सुनवाई उचित प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इस मामले में जेन स्ट्रीट समूह लिखित जवाब से इतर नियामक के सामने उपस्थित होकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का हकदार है। सुनवाई प्रतिकूल नहीं बल्कि जिज्ञासु प्रकृति की होती है, जो सेबी को ट्रेडों के पीछे के संदर्भ, रणनीति और इरादे की जांच करने की सहूलियत देती है।’