वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक बाजार में आई भारी तेजी ने विश्लेषकों को निवेश लायक थीम की तलाश करना चुनौतीपूर्ण बना दिया है। बीएसई का सेंसेक्स वित्त वर्ष 2024 में अब तक करीब 8 प्रतिशत चढ़ा है और 28 जून को 64,050.44 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सह-प्रमुख संजीव प्रसाद ने अनिंद्य भौमिक और सुनीता बलदावा के साथ मिलकर तैयार की गई रिपोर्ट में लिखा है, ‘भारतीय बाजारों ने पिछले कुछ महीनों से अच्छी तेजी दर्ज की है, लेकिन कई मुख्य सूचकांकों का प्रदर्शन अलग रहा। हम इस तेजी के कारणों और प्रदर्शन में अंतर को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं, और यही वजह है कि पिछले दो महीनों में कई पसंदीदा क्षेत्रों में अच्छी तेजी के बाद खपत, निवेश और आउटसोर्सिंग क्षेत्रों में निवेश आइडिया तलाशने में चुनौती का सामना कर रहे हैं।’
प्रसाद का मानना है कि बैंकिंग वित्तीय सेवा एवं बीमा (BFSI) ऐसा एकमात्र क्षेत्र है, जो मौजूदा परिवेश में मूल्य प्रदान कर रहा है, हालोंकि बीमा शेयरों में भी पिछले कुछ दिनों में तेजी आई है।
बीएसई पर बैंकिंग शेयरों के प्रदर्शन का मापक बीएसई बैंकेक्स वित्त वर्ष 2024 में अब तक 7 प्रतिशत से ज्यादा तेजी के साथ सेंसेक्स को पीछे छोड़ने में सफल रहा है। रियल्टी, ऑटो, हेल्थकेयर और पूंजीगत वस्तु क्षेत्रों के प्रमुख सूचकांक भी अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रहे हैं।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का कहना है, ‘बाजार में नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पर्याप्त तेजी का अभाव दिख रहा है। बाजार को अमेरिका से भी ज्यादा समर्थन नहीं मिला है। एसऐंडपी में इस साल अब तक 13.6 प्रतिशत तक की तेजी को सिर्फ 10 टेक शेयरों से मदद मिली। ऐसी केंद्रित तेजी ज्यादा टिकाऊ रहने का अनुमान नहीं है। भारत में, भले ही तेजी काफी व्यापक एवं मजबूत है, लेकिन बाजार को ज्यादा ऊंचाई पर ले जाने के लिए मूल्यांकन संबंधित समर्थन नहीं है। निवेशकों को हालात स्पष्ट होने के लिए ‘इंतजार करो और देखो’ की रणनीति अपनानी चाहिए।’
इस बीच, मिडकैप और स्मॉलकैप में तेजी बढ़ी है। जहां बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक वित्त वर्ष 2024 में अब तक करीब 20 प्रतिशत चढ़ा है, वहीं बीएसई मिडकैप सूचकांक में इस अवधि के दौरान 18 प्रतिशत तक की तेजी आई है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के प्रसाद इन बाजार सेगमेंटों पर भी सतर्क बने हुए हैं, और उनका मानना है कि भारत की लगातार कमजोर पड़ रही खपत मांग छोटी कंपनियों के लिए नकारात्मक रह सकती है, जबकि मुद्रास्फीति में नरमी और चालू खाता घाटा (CAD) के संदर्भ में विदेशी निवेशकों के बीच भारत पर लार्जकैप के प्रदर्शन के लिए ज्यादा अनुकूल नजरिया बना रह सकता है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवायजरी के संस्थापक एवं शोध प्रमुख जी चोकालिंगम ने निवेशकों को देखो और इंतजार करो की रणनीति अपनाने और अपनी नकदी बनाए रखने का सुझाव दिया है। उन्होंने मॉनसून की चाल, जून तिमाही के वित्तीय नतीजे और वैश्विक केंद्रीय बैंकों की नीतियों पर नजर बनाए रखने का सुझाव दिया है, क्योंकि ये बदलाव अल्पावधि से मध्यावधि में बाजार की दिशा तय करने में निर्णायक साबित हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘यदि सब कुछ ठीक रहा तो घरेलू बाजार नवंबर 2023 तक ऊंचे स्तरों पर पहुंच सकता है।’