जेपी मॉर्गन चेज, मैक्वारी ग्रुप और सिटीग्रुप समेत कम से कम 10 ब्रोकरेज फर्मों ने इन्फोसिस के शेयर और अमेरिकी डिपॉजिटरी रिसीट्स (ADR) पर अपनी रेटिंग घटाई है क्योंकि आईटी दिग्गज ने नया अनुमान सामने रखा है। विश्लेषकों का नजरिया अब दिसंबर 2019 के बाद सबसे कम तेजी का है। यह जानकारी ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से मिली।
सोमवार को इन्फोसिस का शेयर 15 फीसदी टूट गया, जो अक्टूबर 2019 के बाद कारोबारी सत्र की सबसे बड़ी गिरावट है क्योंकि कंपनी ने अमेरिकी व यूरोपीय बैंकों के धराशायी होने के बाद भारत के तकनीकी क्षेत्रों का परिदृश्य नकारात्मक रहने का अनुमान जताया है।
इन्फोसिस का शेयर अंत में 9.4 फीसदी की गिरावट के साथ 1,259 रुपये पर बंद हुआ। 22 अक्टूबर, 2019 के बाद यह कंपनी के शेयर सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट है क्योंकि तब इस शेयर में 16.2 फीसदी की कमजोरी दर्ज हुई थी। इसके अलावा साल 2010 के बाद यह सातवीं सबसे बड़ी गिरावट है।
आईटी सेवा फर्म पर विभिन्न ब्रोकरेज फर्मों की तरफ से की गई डाउनग्रेडिंग की चोट पड़ी है क्योंकि कंपनी ने गुरुवार को कहा था कि बिक्री की वृद्धि दर इस वित्त वर्ष में महज 4 से 7 फीसदी रहेगी।
कंपनी ने इसकी वजह क्लाइंटों की तरफ से खर्च में कमी और अमेरिका में बैंक की नाकामी के बाद मांग का अनिश्चित माहौल बताई थी। जबकि विश्लेषक औसतन 10.6 फीसदी का अनुमान लेकर चल रहे थे।
सुधार से पहले भारतीय आईटी सेवा क्षेत्र का परिदृश्य अगले छह महीने में और खराब होने की आशंका है और यह कहना है रिलायंस सिक्योरिटीज का। ब्रोकरेज के विश्लेषक मितुल शाह ने क्लाइंटों को भेजे नोट में कहा है, अमेरिका व यूरोपीय यूनियन के क्षेत्र में अनिश्चितता और कीमत के दबाव से वित्त वर्ष 24 चुनौतीपूर्ण होगा।
आईटी शेयरों के प्रदर्शन की माप करने वाला इंडेक्स सोमवार को 7.6 फीसदी तक टूट गया था, जो किसी कारोबारी सत्र में तीन साल में सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी आईटी के नुकसान की थोड़ी भरपाई हुई और यह 4.71 फीसदी की नरमी के साथ बंद हुआ।
इन्फोसिस के मुख्य कार्याधिकारी सलिल पारेख ने गुरुवार को नतीजों की घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा था, कुछ उद्योग मसलन मॉर्गेज वाली वित्तीय सेवा, परिसंपत्ति प्रबंधन, निवेश बैंकिंग, दूरसंचार, उच्च तकनीक व खुदरा पर ज्यादा असर पड़ा है, जिसकी वजह से खर्च में अनिश्चितता और फैसले लेने में देरी देखने को मिली है।
नोमूरा की भारतीय इकाई ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष एक ऐसा साल होगा जो देश की कई आईटी कंपनियों के लिए राजस्व में निराशाजनक वृद्धि वाला साल होगा।
विश्लेषक अभिषेक भंडारी और कृष बेरिवाल ने रिसर्च नोट में लिखा है, बढ़ते आर्थिक अवरोध वृद्धि को लेकर चुनौती पैदा कर सकते हैं क्योंकि एंटरप्राइज फैसले लेने में देर कर रहे हैं और अग्रिम लाभ के साथ कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दे रहे हैं।
इन्वेस्टेक ने इन्फोसिस का कीमत लक्ष्य 1,685 से 1,605 रुपये करते हुए कहा है कि निवेशक कमजोरी में खरीदारी पर विचार कर सकते हैं क्योंकि आय अब निचले स्तर पर जा चुकी हैं और प्रबंधन की टिप्पणी बताती है कि अनिश्चितता दूर होगी।
सॉफ्टवेयर निर्यातकों की आय में कमजोरी से भारत के चालू खाते के घाटे का परिदृश्य प्रभावित हो सकता है, जो पहले ही तेल की बढ़ती कीमत व निर्यात में नरमी से दबाव में है।
विश्लेषक हालांकि विकसित दुनिया में मंदी के हालात मे आईटी शेयरों की दोबारा रेटिंग की संभावना से इनकार नहीं करते।