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Index Providers आए नियामकीय दायरे में, अब SEBI ने अपने पास रजिस्ट्रेशन कराने का क्यों उठाया कदम?

सेबी ने अधिसूचना में उन सूचकांकों को छूट दे दी है जिनका इस्तेमाल केवल विदेशी अधिकार क्षेत्र में होता है। RBI द्वारा नियंत्रित सूचकांक भी इन नियमों के दायरे से बाहर रखे गए हैं।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- March 10, 2024 | 10:59 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ‘महत्त्वपूर्ण सूचकांक’ संभालने वाले सूचकांक प्रदाताओं को नियामकीय दायरे में ला दिया है। अब ऐसे सूचकांक प्रदाताओं को सेबी के पास अपना पंजीयन कराना होगा। इनका पंजीयन भारत में सूचीबद्ध प्रतिभूति के आधार पर किया जाएगा। प्रतिभूति बाजार में संचालन एवं प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सेबी ने यह कदम उठाया है।

इस बारे में शुक्रवार को सेबी ने सूचकांक प्रदाता नियमन अधिसूचित कर दिया। सेबी के निदेशक मंडल की मुहर लगने के लगभग एक वर्ष बाद ये कायदे लागू किए गए हैं।

मगर वैश्विक सूचकांक प्रदाताओं के सूचकांक का इस्तेमाल अगर भारी संपत्ति संभाल रहे देसी प्रबंधक नहीं करते हैं तो वे पंजीकरण कराए बगैर रह सकते हैं। किंतु उनका इस्तेमाल हुआ तो पंजीकरण कराना होगा।

सेबी ने अधिसूचना में उन सूचकांकों को छूट दे दी है जिनका इस्तेमाल केवल विदेशी अधिकार क्षेत्र में होता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नियंत्रित सूचकांक भी इन नियमों के दायरे से बाहर रखे गए हैं।

आरबीआई ने पिछले साल दिसंबर में एक व्यवस्था दी थी, जिसमें घरेलू ऋण के आधार पर सूचकांकों का संकलन करने वाले सूचकांक प्रदाताओं को पंजीयन कराने के लिए कहा था। इस क्षेत्र से जुड़ी इकाइयों का कहना है कि नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और एशिया इंडेक्स (एआईपीएल) जैसे सूचकांक प्रदाताओं को सेबी के पास पंजीयन कराना होगा। एनएसई में निफ्टी 50 एवं निफ्टी बैंक और एशिया इंडेक्स में सेंसेक्स जैसे सूचकांक शामिल हैं।

एपीआईएल बीएसई और एसऐंडपी डाउ जोंस इंडिसेज के बीच बराबर भागीदारी वाला संयुक्त उद्यम है। मगर एसऐंडपी डाउ जोंस ने इस संयुक्त उद्यम से निकलने की घोषणा कर दी है। अन्य लोकप्रिय सूचकांकों में एमएससीआई, नैसडैक और एफटीएसई रसेल जैसे सूचकांक प्रदाता शामिल हैं। ये सभी भारतीय प्रतिभूतियों के आधार पर सूचकांकों का संचालन करने हैं।

मगर इन सूचकांक प्रदाताओं को पंजीयन शायद नहीं कराना पड़े क्योंकि इनका इस्तेमाल ज्यादातर विदेशी निवेशक करते हैं। जो सूचकांक प्रदाता सेबी की इस अधिसूचना की जद में आ रहे हैं उन्हें न केवल पंजीयन कराना पड़ेगा बल्कि सूचकांकों को शामिल करने की विधि सार्वजनिक करने के साथ ही उन्हें शामिल एवं बाहर करने के संबंध में भी अधिक खुलासे करने होंगे।

लघु एवं मझोले रीट को बढ़ावा देने के लिए सेबी ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (रीट्स) पर दिशानिर्देशों में भी संशोधन किए हैं। ऐसे रीट जारी करने के लिए रियल एस्टेट में आंशिक स्वामित्व मंच की व्यवस्था दी गई है। इन बदलावों के बाद न्यूनतम 50 करोड़ रुपये मूल्य की आवासीय एवं वाणिज्यिक जायदाद एसएम रीट्स में शामिल की जा सकती हैं। अब तक केवल बड़ी वाणिज्यिक जायदाद ही रीट्स का हिस्सा रही हैं।

सेबी ने सबसे पहले पिछले साल नवंबर में नियमन को मंजूरी दी थी। उस समय इस कदम का स्वागत किया गया था मगर उद्योग जगत शुद्ध हैसियत और प्रायोजक हिस्सेदारी पर स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार कर रहा था।

First Published : March 10, 2024 | 10:59 PM IST