कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली छमाही में कमजोर घरेलू मांग और वैश्विक वृद्धि की चुनौतियों से जूझने के बाद भारतीय उद्योग जगत दूसरी छमाही में कमाई में मामूली सुधार की उम्मीद कर रहा है। विश्लेषकों के अनुसार साल 2025 की दूसरी छमाही में बेहतर आय का माहौल देखने को मिल सकता है, जिसे ऋण की कम लागत से मदद मिलेगी और जो घटती महंगाई, बढ़ती खर्च योग्य आय और त्योहारी सीजन से संभव होगी।
सेंट्रम में फंड मैनेजमेंट (पीएमएस और इक्विटी एडवाइजरी) के प्रमुख मनीष जैन ने कहा, ‘आयकर दरों में कमी के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ब्याज दरों और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कमी करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को अनुकूल नीतिगत समर्थन मिला है। इसलिए, बेहतर व्यवस्थागत तरलता वित्त वर्ष 2026 की दूसरी और तीसरी तिमाही (कैलेंडर वर्ष 2025 की दूसरी छमाही) में कॉरपोरेट आय वृद्धि में मददगार होगी।’
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नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषण से पता चलता है कि कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली तिमाही में बीएसई-500 कंपनियों (तेल विपणन कंपनियों को छोड़कर) के राजस्व में लगातार कमजोरी के बावजूद शुद्ध मुनाफा वृद्धि सालाना आधार पर 10 फीसदी तक बढ़ी।
ब्रोकरेज के अनुसार यह सुधार लागत को तर्कसंगत बनाने और निचले आधार की वजह से संभव हुआ। जहां धातु, दूरसंचार, रसायन और सीमेंट कंपनियों की शुद्ध मुनाफा वृद्धि में इजाफा हुआ, वहीं पीएसयू बैंकों और उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार धीमी रही।
बाजार पूंजीकरण के लिहाज से स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में मुनाफा वृद्धि में सुधार दर्ज किया। इस तरह वित्त वर्ष 2025 के 9 महीनों में उनके कमजोर प्रदर्शन की इससे भरपाई हो गई। हालांकि अप्रैल-जून तिमाही समाप्त होनी बाकी है। लेकिन येस सिक्योरिटीज के विश्लेषकों को इस दौरान निफ्टी आय में कुछ नरमी का अनुमान है। येस सिक्योरिटीज ने वित्त वर्ष 2026 में निफ्टी-50 का ईपीएस 1,164 रुपये रहने का अनुमान जताया है,जो मार्च 2025 के आखिर में जताए गए 1,177 रुपये के अनुमान से कम है।
फिस्डम के शोध प्रमुख नीरव करकेरा का मानना है कि घरेलू खपत से जुड़े सेक्टर आगे बेहतर कमाई करा सकते हैं जबकि निर्यात-केंद्रित क्षेत्र पीछे रह सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘कंज्यूमर स्टेपल, डिजिटल-फर्स्ट कंज्यूमर ब्रांड, दूरसंचार, एफएमसीजी और गैर-ऋण वित्तीय सेवा जैसे घरेलू मांग आधारित सेक्टरों के लिए सकारात्मक बदलाव हो सकता है। पूंजीगत वस्तु, निर्माण सामग्री, बिजली और रक्षा क्षेत्र से जुड़े प्रमुख सेगमेंट भी अवसर मुहैया करते हैं, लेकिन इनमें चयन पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।’
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इसके विपरीत सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाएं और ऑटो एंसिलियरी जैसे सेक्टर (जहां निर्यात का जोखिम अपेक्षाकृत अधिक है) मौजूदा वैश्विक आर्थिक और भूराजनीतिक अनिश्चितताओं और कमजोर मांग के माहौल में लंबे समय तक आय संबंधी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
सेंट्रम के मनीष जैन को भी उम्मीद है कि कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, एनबीएफसी, औद्योगिक, धातु, सीमेंट, रक्षा और दूरसंचार सेक्टर बेहतर आय वृद्धि दर्ज करेंगे, जबकि ऑटोमोबाइल और टेक्नॉलजी से निराशा हाथ लग सकती है।
केयरएज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आने वाली तिमाहियों में कॉरपोरेट जगत का समूचा प्रदर्शन वैश्विक विकास परिदृश्य के स्पष्ट होने और भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार नीति संबंधित अनिश्चितताओं तथा कमोडिटी की कीमतों के झटकों से जुड़े किसी भी बाहरी जोखिम पर निर्भर करेगा। जहां कम ब्याज दरें एक सहायक कारक होंगी, वहीं आने वाली तिमाहियों में संपूर्ण कॉरपोरेट प्रदर्शन में घरेलू मांग की स्थिति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।’