HDFC Bank के ताजा शेयरधारिता आंकड़ों से पता चलता है कि इस शेयर को मॉर्गन स्टैनली कैपिटल इंटरनैशनल (MSCI) सूचकांकों में शामिल करने के लिए जरूरी विदेशी निवेश की गुंजाइश महज 5 आधार अंक कम पड़ गई। अभी सूचकांक प्रदाता ने 5 आधार अंक के लिए समायोजन लागू किया है क्योंकि विदेशी निवेश 25 फीसदी से कम है।
समायोजन वाले कारक को हटाए जाने के बाद एचडीएफसी बैंक में करीब 4.8 अरब डॉलर (40,000 करोड़ रुपये) का भारी-भरकम निवेश आ सकता है। पेरिस्कोप एनालिटिक्स के विश्लेषक ब्रायन फ्रिएट्स ने ये बातें कहीं। शेयर में हालिया बढ़त से संकेत मिलता है कि बाजार एमएससीआई से मई में समायोजन वाले कारक हटाए जाने की उम्मीद कर रहा है।
हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सूचकांक प्रदाता चरणों में समायोजन वाले कारक हटाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि एचडीएफसी बैंक में पैसिव ट्रैकरों की तरफ से 4.8 अरब डॉलर का निवेश आ सकता है।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी-50 और एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स के जिन ईटीएफ का कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) इक्विटी में निवेश के लिएइस्तेमाल करता है उनकी परिसंपत्तियों में मार्च के दौरान 3.7 फीसदी की उछाल आई है। इससे संकेत मिलता है कि ईपीएफओ ने माह के दौरान खासी रकम का निवेश किया है।
एसबीआई म्युचुअल फंड, यूटीआई एमएफ, निप्पॉन इंडिया एमएफ और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल फंड के ईटीएफ ने शुद्ध रूप से अपनी प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों में 15,320 करोड़ रुपये जोड़े। मार्च में 1.6 फीसदी मार्क टु मार्केट लाभ समायोजित करने के बाद इन योजनाओं ने अनुमानित तौर पर 8,000 करोड़ रुपये का निवेश हासिल किया।
2023-24 में सभी ईटीएफ में फरवरी तक मासिक शुद्ध निवेश औसतन 2,900 करोड़ रुपये रहा। ईटीएफ में मुख्य रूप से संस्थागत निवेश होता है और ईपीएफओ सबसे बड़ा निवेशक है। फरवरी में बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि ईपीएफओ अपने ईटीएफ रीडम्पशन की रकम दोबारा इक्विटी में निवेश करने पर विचार कर रहा है। मार्च में भी फंडों की इक्विटी खरीद में तेज उछाल दर्ज की गई और यह 45,120 करोड़ रुपये रही।
इस हफ्ते आरंभिक सार्वजनिक निर्गम से संबंधित लॉक इन अवधि 13 कंपनियों के मामलों में एक्सपायर हो रही है। इनमें आरके स्वामी, जेजी केमिकल्स, गोपाल स्नैक्स, मेडी असिस्ट, क्रिस्टल इंटिग्रेटेड सर्विसेज, प्लाजा वायर्स ऐंड केबल्स और मुक्का प्रोटीन्स शामिल हैं।
ज्यादातर मामलों में एंकर निवेशकों के लिए 30 दिन या 90 दिन की लॉक इन अवधि समाप्त हो रही है। लॉक इन अवधि ऐसे समय में समाप्त हो रही है जब स्मॉलकैप शेयरों को लेकर मनोबल पर असर पड़ा है। नई सूचीबद्ध कंपनियों में ज्यादातर की कीमतें पहले ही अपने उच्चस्तर से नीचे आ चुकी है।
अब यह देखना होगा कि इन कंपनियों में एंकर आवंटन हासिल करने वाले निवेशक कौन सा रुख अपनाते हैं। बाजार पर नजर रखने वालों ने कहा कि अगर संस्थागत निवेशक लॉक इन अवधि की समाप्ति पर निवेश निकालते हैं तो इन शेयरों पर दबाव आ सकता है।