आपको बिज़नेस स्टैंडर्ड का अगला अंक मिलने तक अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती कर चुका होगा। फेडरल रिजर्व चार साल में पहली बार ब्याज दरें घटाने जा रहा है। मुद्रास्फीति को काबू रखने के प्रयास के तहत अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने मार्च 2022 से जुलाई 2023 के बीच 11 बार ब्याज दरों में इजाफा किया था।
अंतिम बार जुलाई 2023 में ब्याज दर 25 आधार अंक बढ़ाकर 5.25 से 5.50 फीसदी की थी जो 23 साल में सबसे अधिक है। उसके बाद से फेड ने दरें जस की तस रखी हैं। फेडरल द्वारा ब्याज दरों में 25 से 50 आधार अंक की कटौती की उम्मीद से पिछले हफ्ते अमेरिकी बाजारों के साथ ही भारत के शेयर बाजार में भी तेजी आई थी।
अमेरिका में हाल में आए आर्थिक आंकड़ों से भी ब्याज दरें घटने की उम्मीद बढ़ी है। वहां श्रम बाजार में नरमी देखी जा रही है और महंगाई भी नीचे आई है।
एनालिस्ट्स का कहना है कि ब्याज दरों पर फेड के निर्णय को लेकर बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है। दर में बड़ी कटौती होने से शेयर बाजार में तेजी आ सकती है मगर इससे अमेरिका की आर्थिक सेहत को लेकर भी चिंता पैदा होगी जिससे निवेशकों का हौसला सुस्त पड़ सकता है। इसके उलट 25 आधार अंक की कटौती से बाजार निराश हो सकता है क्योंकि वह ब्याज दर में ज्यादा कटौती की उम्मीद कर रहा है। मध्य अवधि में आर्थिक आंकड़ों पर आधारित नीतिगत रुख से बाजार को दिशा मिल सकती है।
इतिहास को देखें तो पता चलता है कि दर कटौती का चक्र शुरू होने भर से बाजार में तेजी नहीं आती है। फ्रैंकलिन टेंपलटन इंस्टीट्यूट में सीनियर मार्केट स्ट्रैटजिस्ट क्रिस गैलिप्यू ने कहा, ‘बीते समय को देखने पर पता चलता है कि फेड के दरों में कटौती शुरू करने के बाद शेयर बाजार का रुख आर्थिक स्थितियों के आधार पर अलग-अलग रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘ब्याज दर पर फेड के निर्णय का वैश्विक असर होता है और हमारा मानना है कि कई अन्य केंद्रीय बैंक भी दरें घटाएंगे। फेड की पहली दर कटौती के 12 महीने बाद वैश्विक इक्विटी के प्रदर्शन का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि अगर मंदी के बाद दर में कटौती नहीं हुई हो तो शेयर बाजारों का प्रदर्शन सकारात्मक रहा है।’
नोमुरा ने फेड के दर कटौती के पिछले 6 चक्र का विश्लेषण किया है। इससे पता चलता है कि बीते समय में ब्याज दर कटौती चक्र के दौरान अमेरिका और भारत के शेयर बाजारों का प्रदर्शन ज्यादा उत्साहजनक नहीं रहा था। 30 जुलाई, 2019 को दर कटौती के तीन महीने बाद बेंचमार्क निफ्टी 4.5 फीसदी और 12 महीने बाद 1.1 फीसदी बढ़ा था। इस बीच अमेरिका का एसऐंडपी 500 तीन महीने में 1 फीसदी और एक साल के दौरान 8.1 फीसदी चढ़ा था। ब्रोकिंग फर्म का कहना है कि वह आर्थिक स्थितियां जिनके कारण कटौती की जरूरत हुई है और साथ ही दर कटौती चक्र का बाजार के प्रदर्शन के लिए अहम होगा।