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भरोसा बढ़ने से नकदी बाजार की गतिविधियां फिर शुरू होंगी: प्रणव हरिदासन

प्रणव हरिदासन का कहना है कि सेबी के सख्त नियमों ने वॉल्यूम और सटोरिया गतिविधियों पर अंकुश लगाया है। लेकिन भारत के ब्रोकिंग उद्योग की संरचनात्मक वृद्धि जारी रहेगी

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समी मोडक   
Last Updated- September 24, 2025 | 10:25 PM IST

ऐक्सिस सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक और सीईओ प्रणव हरिदासन का कहना है कि सेबी के सख्त नियमों ने वॉल्यूम और सटोरिया गतिविधियों पर अंकुश लगाया है। लेकिन भारत के ब्रोकिंग उद्योग की संरचनात्मक वृद्धि जारी रहेगी जो खुदरा भागीदारी, बचत के वित्तीयकरण और संस्थागत निवेश से बढ़ेगी। मुंबई में समी मोडक को दिए साक्षात्कार में हरिदासन ने कहा कि ब्रोकरों को केवल कीमत पर ही निर्भर रहने के बजाय सलाह, तकनीक और ग्राहक अनुभव के माध्यम से खुद को अलग दिखाना चाहिए। संपादित अंश:

ब्रोकिंग उद्योग के लिए आपका क्या नजरिया है? वित्त वर्ष 26 और उसके बाद आप किस तरह की राजस्व वृद्धि की उम्मीद करते हैं?

भारत में ब्रोकिंग उद्योग संरचनात्मक वृद्धि के चरण में है। बढ़ती घरेलू भागीदारी, बचत का बढ़ता वित्तीयकरण और सतत संस्थागत निवेश लंबी अवधि का मार्ग तय कर रहे हैं। अगले कुछ वर्षों में मध्यम स्तर पर राजस्व वृद्धि टिकाऊ प्रतीत होती है। इससे उन ब्रोकरों को लाभ की संभावना है, जो तकनीक, विश्वास और सलाह तीनों मुहैया कराते हों। अल्पावधि के लिहाज से स्थिति में भी सुधार हो रहा है।

प्रत्यक्ष कर कटौती और जीएसटी को तर्कसंगत बनाने से उपभोक्ताओं के हाथों में ज्यादा पैसा रहेगा, साथ ही आगे के सुधारों और ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और संभवतः अमेरिका के साथ व्यापार समझौतों से भी अनुकूल परिस्थितियां बनेंगी। गिरावट के बाद के मूल्यांकन और आय पर आधार प्रभाव दूसरी छमाही में मजबूत तेजी का इशारा करते हैं। अस्थिरता रह सकती है, लेकिन संरचनात्मक दिशा स्पष्ट रूप से बढ़त की ओर है।

सेबी की सख्ती के बाद ट्रेडिंग वॉल्यूम अपने उच्चतम स्तर से गिर गया है। क्या यह निचले स्तर पर पहुंच गया है?

कम लिवरेज आदि के साथ वॉल्यूम में कमी आई है, लेकिन यह संरचनात्मक गिरावट के बजाय एक बेहतर स्थिति है। बाजार की व्यापकता में सुधार हो रहा है, मूल्यांकन अधिक आकर्षक हैं और वैश्विक निवेश स्थिर हो रहा है। ये संकेत बताते हैं कि निचला स्तर पीछे छूट गया है और भरोसा बढ़ने के साथ ही नकदी बाजार की गतिविधियां फिर से शुरू होने वाली हैं।

दूसरे नियामकीय बदलावों ने उद्योग को किस तरह प्रभावित किया है?

नियमन और भी सख्त हो गए हैं, खासकर एफऐंडओ में। लेकिन इससे जोखिम से जुड़ा अनुशासन मजबूत होता है और पारदर्शिता बढ़ती है। इससे अल्पावधि में जहां सटोरिया गतिविधियां कम होती हैं, वहीं उद्योग ज्यादा स्वस्थ और टिकाऊ वृद्धि के लिए तैयार होता है। ब्रोकरों के लिए इसका मतलब है शुद्ध रूप से टर्नओवर से जुड़े स्रोतों के अलावा राजस्व के तरीकों में विविधता ।

क्या सेबी की ट्रू-टु-लेबल नियमों ने उद्योग के स्वरूप को बदल दिया है?

हां, ऐसा हुआ है। स्लैब-आधारित छूट को हटाकर सेबी ने ज्यादा पारदर्शिता सुनिश्चित की है और प्रतिस्पर्धा के मैदान को सबके लिए एकजैसा बनाया है। ब्रोकर अब अटपटे प्रोत्साहनों पर निर्भर नहीं रह सकते, उन्हें वैल्यू पर अलग दिखना होगा। इससे उद्योग केवल मुख्य ब्रोकरेज दरों के बजाय सलाह, तकनीक और सुस्पष्ट ग्राहक अनुभव की ओर बढ़ रहा है।

इस प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में अलग तरह की ट्रेडिंग लागत किसनी मायने रखती है?

लागत मायने रखती है, लेकिन यही एकमात्र कारक नहीं है। ट्रेडर सौदा होने की गति और भाव पर ध्यान देते हैं, लेकिन अधिकांश निवेशक भरोसे, प्लेटफॉर्म की विश्वसनीयता और शोध को भी उतना ही महत्व देते हैं। ऐसे बाजार में जहां बहुत सारी सुविधाएं ज्यादा हो सकती हैं, वहां यूजर के अनुभव की स्पष्टता से ही अंतर आता है।

First Published : September 24, 2025 | 10:18 PM IST