भारत में शेयर बाजार में आम लोगों की बढ़ती दिलचस्पी सरकार और बाजार नियामक सेबी को चिंतित कर रही है। लोग अपनी बचत को शेयर बाजार में लगा रहे हैं, जिससे जोखिम बढ़ गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल मार्च तक शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेड करने वाले 10 में से 7 लोगों को घाटा हुआ है। इससे पहले की एक रिपोर्ट में भी पाया गया था कि 10 में से 9 लोग शेयर बाजार के डेरिवेटिव्स में पैसे गंवा रहे हैं।
सरकार और बाजार नियामक की चिंता
शेयर बाजार में जल्दी पैसा कमाने की लालच से बचने की सलाह आम निवेशकों को बार-बार दी जा रही है। मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट से होने वाले फायदे पर टैक्स बढ़ा दिया है। सरकार का मानना है कि इससे शेयर बाजार में ज्यादा जोखिम लेने वाले लोगों की संख्या कम होगी।
सरकार के राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने गुरुवार को कहा कि शेयर बाजार में फ्यूचर्स और ऑप्शंस का इस्तेमाल कीमत तय करने में जरूरी है, लेकिन सरकार नहीं चाहती कि आम लोग ज्यादा जोखिम लेकर शेयर बाजार में पैसा लगाएं।
भारत का मुख्य शेयर बाजार इंडेक्स कोरोना काल के सबसे निचले स्तर से तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया है। इसमें आम निवेशकों का बहुत बड़ा योगदान है, खासकर जो लोग शेयर बाजार में सबसे ज्यादा रिस्क वाले फ्यूचर्स और ऑप्शंस सेगमेंट में पैसा लगाते हैं। इन लोगों की वजह से भारत में शेयर बाजार में होने वाले कारोबार की मात्रा दुनिया में सबसे ज्यादा हो गई है। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)