जुलाई 2022 के बाद से इक्विटी बाजार ज्यादातर वक्त एकतरफा रहा है। एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 में तब से 13-13 फीसदी की उछाल आई है। मिडकैप व स्मॉलकैप में तेजी और भी ज्यादा रही है और दोनों सूचकांक बीएसई पर इस दौरान करीब 14-14 फीसदी चढ़े।
यह तेजी इस आशावाद में दर्ज हुई कि महंगाई वाले बुरे दिन शायद पीछे रह गए हैं और अमेरिकी फेडरल रिजर्व समेत ज्यादातर वैश्विक बैंक अब शायद ही ब्याज दरों में उतनी बढ़ोतरी करेंगे, जितनी पहले आशंका जताई जा रही थी। जिंस की कीमतें खास तौर से ब्रेंट क्रूड भी 16 फीसदी फिसलकर करीब 94 डॉलर प्रति बैरल रह गया है। इससे भी इक्विटी बाजार की अवधारणा को मजबूती मिली।
चूंकि एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स इस हफ्ते फिर से 60,000 के स्तर पर आ गया, ऐसे में क्या आंशिक मुनाफावसूली अच्छी रणनीति रहेगी या फिर निवेशित बने रहना? मिडकैप व स्मॉलकैप सेगमेंट कैसा रहेगा।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज बढ़ोतरी अहम मसला नहीं है क्योंकि बाजारों ने ब्याज दर में बढ़त वाले चक्र की डिस्काउंटिंग शुरू कर दी है। फेड की तरफ से बैलेंस शीट में कमी लाने का डर भी कम हो गया है क्योंकि जून व जुलाई में उसने बैलेंस शीट में ज्यादा कमी नहीं की जबकि जून 2022 में हर महीने बैलेंस शीट में 47.5 अरब डॉलर की कटौती की घोषणा की गई थी।
चोकालिंगम ने कहा, बढ़त की रफ्तार में कमी के कारण तेल की कीमतें शायद बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेंगी। एफआईआई भी भारतीय इक्विटी में अब शुद्ध खरीदार बन गए हैं। देसी आर्थिक कारक, सकारात्मक एफआईआई निवेश और बाजारों में नए निवेशकों का ठोस निवेश बाजारों को बाहरी आर्थिक कारणों से मिलने वाले दबाव को पीछे छोड़ रहा है। जब तक कि ताइवान पर हमले का मामला नहीं बनता, बाजार की मौजूदा तेजी अल्पावधि में बनी रह सकती है।
तकनीकी विश्लेषकों को लगता है कि अहम पलटाव की कोशिश से पहले निफ्टी 18,100-18,200 के स्तर को छू लेगा। हालांकि इस यात्रा में रुक-रुककर गिरावट का जोखिम भी है क्योंकि जुलाई से बाद से अच्छी खासी तेजी आई है।
इस बीच, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने जुलाई 2022 के बाद से 17 अगस्त तक बाजारों में करीब 41,705 करोड़ रुपये का निवेश किया है। एनएसडीएल के ताजा आंकड़ों से यह जानकारी मिली। दूसरी ओर म्युचुअल फंडों ने जुलाई 2022 से 3 अगस्त तक 5,228 करोड़ रुपये की खरीदारी की है। सेबी के ताजा आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
विभिन्न क्षेत्रों की बात करें तो धातु, बिजली और पूंजीगत सामान क्षेत्र के सूचकांक जुलाई से सबसे ज्यादा बढ़त हासिल करने वाले सूचकांक रहे हैं और उनमें इस दौरान 19 से 23 फीसदी की उछाल आई है। ऐस इक्विटी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। रियल्टी व बैंकिंग क्षेत्र ने भी इस दौरान करीब 16-16 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है।