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नकारात्मक खबरों से बिकवाली बढ़ी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:02 PM IST

मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी ने पुनीत वाधवा के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि प्रमुख विदेशी निवेशकों – पेंशन फंडों, सॉवरिन वेल्थ फंडों, एंडोमेंट ने भारत पर लगातार ध्यान दिया है। मुख्य अंश: 
क्या बाजारों में आखिरकार सभी नकारात्मक खबरें पीछे छूट चुकी हैं?

शेयर बाजारों में पिछले कुछ महीनों में नकारात्मक खबरों की वजह से भी बिकवाली को बढ़ावा मिला था। अमेरिका और भारत, दोनों के कई दशकों के आंकड़े से पता चलता है कि वृद्घि के चरणों के दौरान ब्याज दरें बढऩे से तेजी के बाजारों को लगातार मदद मिली है। यह स्वाभाविक है कि जब जीडीपी वृद्घि तेज होती है, केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाना शुरू कर देते हैं और इससे आर्थिक वृद्घि के दौर को टिकाऊ बनाने के साथ मुद्रास्फीति का दबाव दूर होता है। 
विदेशी निवेश पर आपका क्या नजरिया है?

कई विदेशी निवेशकों द्वारा ईटीएफ और पैसिव फंडों की बिकवाली की गई है। यह उनके आईएफए और वित्तीय योजनाकारों की सलाह के आधार पर पश्चिमी पेंशनरों द्वारा पश्चिमी दुनिया से बड़ी खुदरा पूंजी पर आधारित है। सतर्क विदेशी निवेशकों – पेंशन फंडों, सॉवरिन वेल्थ फंडों, एंडोमेंट लगातार भारत पर ध्यान देते रहेंगे। उनके दिमाग में चीन के बाद, भारत एकमात्र बड़ा निवेश योग्य उभरता बाजार है। 
क्या निवेश प्रवाह में तेजी आई है?

अप्रैल-मई 2020 के पहले लॉकडाउन के शुरुआती कुछ महीनों की सुस्ती के बाद, हमने अपने पीएमएस उत्पादों में प्रति सप्ताह करीब 100 करोड़ रुपये का पूंजी प्रवाह दर्ज किया। जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो कुछ सप्ताह तक यह रफ्तार धीमी रही और निवेश प्रवाह प्रति सप्ताह घटकर करीब 50 करोड़ रुपये रह गया। अब फिर से यह आंकड़ा सुधरकर 100 करोड़ रुपये प्रति सप्ताह पर पहुंच गया है। म्युचुअल फंड प्रवाह से संबंधित आंकड़े से भी समान तस्वीर देखने को मिलती है। इसमें कुछ आश्चर्यजनक नहीं है। आरबीआई ने फिर से यह कहा है कि भारतीय परिवारों की 95 प्रतिशत बचत पारंपरिक परिसंपत्तियों में है। इसलिए भारतीय परिवार धीरे धीरे अपनी बचत को पारंपरिक से फाइनैंशियल में तब्दील कर रहे हैं।
बढ़ी मुद्रास्फीति को लेकर क्या चिंताएं हैं?

ऊंची मुद्रास्फीति की आशंका (रूस-यूक्रेन युद्घ) को देखते हुए सावधि जमाओं, सरकारी बॉन्डों, कॉरपोरेट बॉन्डों और निर्धारित आय वाले निवेश पर विचार कर सकते हैं। दरअसल, पिछले 12 महीनों के दौरान, भारतीय सरकार के 10 वर्षीय बॉन्डों में निवेशकों को अपने निवेश पर महज 2 प्रतिशत प्रतिफल मिला, जो मुद्रास्फीति दर से ज्यादा भी नहीं है। 
आपकी खरीद सूची में कौन से शेयर हैं?

अपने स्मॉल-कैप पोर्टफोलियो में, हमने टारसंस और पोशाक जैसी कंपनियों को शामिल किया है। टारसंस पिपेट और बीकर्स जैसे लैब उत्पादों की प्रमुख निर्माता है, जबकि पोशाक जरूरी औद्योगिक रसायन फॉस्जेन की सबसे बड़ी निजी आपूर्तिकर्ताओं में शामिल है। हमने लार्ज-कैप पोर्टफोलियो में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और टीसीएस शामिल किया है।
एचडीएफसी-एचडीएफसी बैंक विलय से बैंकिंग क्षेत्र पर बदलाव आया है?

एचडीएफसी बैंक, एचडीएफसी लाइफ, और एचडीएफसी ऐसेट सभी मार्सेलस पोर्टफोलियो का हिस्सा हैं। दरअसल, एचडीएफसी हमारी सबसे बड़ी होल्डिंग्स में से एक है।

First Published : April 10, 2022 | 10:28 PM IST