विश्लेषकों का कहना है कि एमएफ लाइट फ्रेमवर्क के तहत पेश सख्त नियमों की वजह से म्युचुअल फंड (एमएफ) व्यवसाय में प्रवेश करने के लिए शुरू किए गए इस नए विकल्प को चुनने वाले परिसंपत्ति प्रबंधकों द्वारा नवाचार के लिए बहुत कम गुंजाइश रह गई है। पहले चरण में, एमएफ लाइट कंपनियों को लोकप्रिय पैसिव श्रेणियों में ही उत्पाद पेश करने की अनुमति है, क्योंकि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उत्पाद पेश करने के लिए घरेलू सूचकांकों की पात्रता के लिए 5,000 करोड़ रुपये की सीमा निर्धारित की है। फ्रेमवर्क के अनुसार, किसी सूचकांक में पहले से ही 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की एयूएम वाले पैसिव फंड होने चाहिए।
ऐक्टिव योजनाओं के लिए प्राथमिक बेंचमार्क के रूप में काम करने वाले सूचकांकों में इन ऐक्टिव योजनाओं का एयूएम भी शामिल किया जाएगा। किंग स्टब ऐंड कसीवा, एडवोकेट्स ऐंड अटॉर्नीज में मैनेजिंग पार्टनर जिदेश कुमार ने कहा, ‘एमएफ लाइट लाइसेंस के तहत प्रतिबंध, फंड हाउसों को केवल 5,000 करोड़ से अधिक एयूएम वाले सूचकांकों से जुड़ी पैसिव योजनाएं शुरू करने की अनुमति देता है, जिससे खास उत्पादों की पेशकश करने की उनकी क्षमता काफी सीमित हो जाती है। इससे वे अपनी योजनाओं में बदलाव लाने के लिए बाध्य होते हैं और नवाचार या ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन) जैसे उभरते थीमों या टेक-केंद्रित क्षेत्रों के अनुकूल नाइश उत्पाद करने के लिए गुंजाइश कम रह जाती है।’
एक वरिष्ठ एमएफ अधिकारी ने कहा, ‘5,000 करोड़ रुपये के एयूएम की शर्त डाइवर्सिफाइड इंडेक्स फंड और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) पेश करने की राह में भी बाधक होगी। उद्योग में विविधता और निवेशकों की सुरक्षा के लिए पहले से ही मानक हैं जिससे एयूएम संबंधित शर्त जोड़ना समझदारी नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘एमएफ लाइट या नॉन-एमएफ लाइट निवेशक समान योजनाओं तक पहुंच पहले से ही बना रहे हैं। यदि लक्ष्य यह सुनिश्चित करना हो कि निवेशकों को खास योजनाएं नहीं मिलें तो मानक दोनों फ्रेमवर्क में अनुकूल होने चाहिए।’
मौजूदा समय में, सिर्फ 10 सूचकांकों पर ही 5,000 करोड़ रुपये से अधिक एयूएम वाले पैसिव फंडों द्वारा नजर रखी जाती है। इनमें निफ्टी-50, सेंसेक्स, बैंक निफ्टी, निफ्टी नेक्स्ट 50 और निफ्टी 200 मोमेंटम 30 शामिल हैं।