पेटीएम के स्वामित्व ढांचे की समीक्षा कर रहा सेबी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 1:58 AM IST

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) यह जांच कर रहा है कि चीन का फिनटेक समूह और पेटीएम का सबसे बड़ा शेयरधारक एंट समूह और अलीबाबा का पेटीएम में निवेश सूचीबद्घता के नियमनों के अनुरूप है या नहीं।
एंट समूह की पेटीएम में 30 फीसदी हिस्सेदारी है और यह हॉन्गकॉन्ग स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्घ है। अलीबाबा की एंट समूह में 33 फीसदी हिस्सेदारी है। इन दोनों की पेटीएम में 37 फीसदी हिस्सेदारी है।

सूत्रों के अनुसार आईपीओ के लिए जांच-पड़ताल की प्रक्रिया के तहत नियामक यह जांच कर रहा है कि दोनों निवेशकों को एकल इकाई के रूप में माना जाए या एकीकृत इकाई के तौर पर। पेटीएम की पेशेवरों द्वारा संचालित कंपनी (पीएमसी) बनने की इच्छा तभी पूरी हो सकती है जब कंपनी में एक इकाई के पास 25 फीसदी हिस्सेदारी हो।
नियामक के सूत्रों ने कहा, ‘सेबी (पूंजी निर्गम और खुलासा जरूरतों) नियमों के अनुसार बिना प्रवर्तक वाली कंपनी भी पीएमसी कही जा सकती है और उसे प्रवर्तक नामित करने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन हर निर्गम का अलग गणित होता है, इसलिए इस मामले में अनुपालन मसले को लेकर अलीबाबा और एंट समूह की समीक्षा की जा रही है।’

सूत्रों ने कहा कि अगर बाजार नियामक की राय में दोनों कंपनियां एकीकृत इकाई होती हैं तो कंपनी को हिस्सेदारी कम करने के लिए कुछ तय समय दिया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो पेटीएम को चीन की इन कंपनियों की हिस्सेदारी 37 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करनी होगी, जो काफी कठिन काम होगा।
हालांकि पेटीएम ने कहा है कि सेबी के पीएमसी नियमों के अनुपालन के लिए एंट समूह आईपीओ में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगा।  इस बारे में जानकारी के लिए पेटीएम को ईमेल किया गया लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।

इस नियम का पालन करने के लिए पेटीएम ने पहले ही कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी विजय शेखर शर्मा को प्रवर्तक के पद से हटाने का निर्णय किया है। जुलाई में पेटीएम की प्रवर्तक कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस ने 16,600 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने के लिए सेबी के पास दस्तावेज जमा कराए थे। 
कंपनी का यह आईपीओ एक दशक पहले कोल इंडिया के रिकॉर्ड 15,000 करोड़ रुपये के आईपीओ से कहीं बड़ा है। इसके अलावा नियामक यह भी देखेगा कि सूचीबद्घ होने के बाद एंट समूह का कंपनी पर नियंत्रण कितना रह सकता है क्योंकि सूचीबद्घता के बाद भी उसके पास काफी हिस्सेदारी रह सकती है और वह मतदान को प्रभावित कर सकता है।

माना जा रहा है कि नियामक प्रस्तावित आईपीओ पर भारतीय रिजर्व बैंक से विदेशी विनिमय नियमों के तहत कुछ स्पष्टïता की भी मांग कर सकता है। इसकी वजह यह है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संशोधित नियमों के तहत कंपनी नए चरण में निवेश के लिए सरकार से मंजूरी मांग सकती है।
पेटीएम वर्तमान में देश की दूसरी सबसे मूल्यवान फिनटेक फर्म है। नवंबर 2019 में टी रोव प्राइस, डिस्कवरी कैपिटल और डी1 कैपिटल से पूंजी जुटाने के बाद इसका बाजार पूंजीकरण 16 अरब डॉलर हो गया है। इनके अलावा कंपनी के निवेशकों में एंट फाइनैंशियल नीदरलैंड्स, अलीबाबा सिंगापुर, सॉफ्टबैंक विजन फंड और बीएच इंटरनैशनल होल्डिंग्स आदि शामिल हैं।

First Published : August 10, 2021 | 11:40 PM IST