प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
चांदी 8 सितंबर, 2025 को 1,24,413 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई, जो करीब एक साल पहले के भाव से 49.3 फीसदी ज्यादा है। विशेषज्ञों की राय है कि इस कीमती और औद्योगिक धातु में रकम लगाने वाले निवेशकों को इसकी तेज दौड़ के बाद सावधानी बरतने की जरूरत है।
पिछले साल दुनिया भर में चांदी की कुल मांग में 58.6 फीसदी योगदान उद्योगों का ही था। सिल्वर इंस्टीट्यूट के मुताबिक इसी मांग ने असल में चांदी के भाव बढ़ा दिए। एडलवाइस म्युचुअल फंड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट निरंजन अवस्थी कहते हैं, ‘सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहन जैसी पर्यावरण हितैषी प्रौद्योगिकियों की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है।’
चूंकि मांग के हिसाब से आपूर्ति नहीं हो पाई, इसलिए भी चांदी महंगी होती चली गई। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रिंसिपल – इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी चिंतन हरिया कहते हैं कि दुनिया भर में चांदी की आपूर्ति 2021 से ही मांग के मुकाबले कम रही है। भू-राजनीतिक तनाव इस कदर बढ़ रहे हैं कि निवेशक अपने निवेश के लिए सुरक्षित ठिकानों के पीछे भाग रहे हैं।
वालट्रस्ट के मुख्य निवेश अधिकारी और संस्थापक अरिहंत बर्डिया का कहना है, ‘केंद्रीय बैंक हमेशा से ही सोना खरीदते आए हैं मगर अब वे चांदी का भी भंडार तैयार कर रहे हैं।’ अमेरिका ने तो चांदी को महत्त्वपूर्ण खनिजों की श्रेणी में रखने का प्रस्ताव तक दे डाला है। रुपये में लगातार कमजोरी आने के कारण भी देसी बाजार में चांदी महंगी होती जा रही है।
अगर दुनिया भर में वृद्धि कमजोर पड़ती है तो चांदी की औद्योगिक मांग भी नीचे आ सकती है। हरिया कहते हैं कि मुनाफावसूली हुई तो भी चांदी के दाम गिर सकते हैं। अवस्थी आगाह करते हैं कि अमेरिका में अभी तो ब्याज दर बढ़ती नहीं लगती मगर बढ़ी तो चांदी को चोट पहुंचेगी। चांदी के भाव भी ऊपर-नीचे जाने लगते हैं, जिसे देखकर कई निवेशक कदम पीछे खींच सकते हैं। बर्डिया कहते हैं, ‘भारत में शुल्क में बदलाव किया गया या रुपया तेजी से चढ़ा-उतरा तो कुछ समय के लिए चांदी ऊपर-नीचे जा सकती है।’
निवेशकों के जेहन में अब यही सवाल है कि इतनी ज्यादा चढ़ने के बाद क्या चांदी अभी और ऊपर जा सकती है। अवस्थी उनका जवाब देते हैं, ‘चांदी को स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ते कदमों और निवेश मांग का अच्छा सहारा मिल रहा है।’ हरिया को लगता है कि चांदी यहां से कुछ नीचे जा सकती है मगर उनका अनुमान है कि पारंपरिक और नए जमाने के उद्योगों से आने वाली बुनियादी मांग इसकी रफ्तार को बनाए रखेगी। सोने के भाव अभी चांदी के भाव के करीब 85 गुना हैं, जबकि लंबी अवधि में इसका औसत 70 गुना रहने का अनुमान है। सैंक्टम वेल्थ के हेड – इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स आलेख यादव कहते हैं, ‘इससे पता चलता है कि चांदी में अभी और ऊपर जाने की संभावना है और उसकी दौड़ लंबी चल सकती है।’
विशेषज्ञ चांदी की इस दौड़ के बाद सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। आनंद राठी वेल्थ में हेड – म्युचुअल फंड्स श्वेता राजानी कहती हैं, ‘चांदी में हालिया उफान अटकलों का नतीजा लग रहा है।’ श्रीराम वेल्थ में मुख्य परिचालन अधिकारी और प्रोडक्ट हेड नवल कागलवाला की सलाह है, ‘जिन्होंने पहले से निवेश कर रखा है वे कम से कम 5-7 फीसदी रकम चांदी में लगाए रहें।’ जो लोग अपनी योजना से ज्यादा निवेश कर गए हैं, उन्हें कुछ चांदी बेचकर मुनाफावसूली कर लेनी चाहिए। नए निवेशकों को होशियारी दिखाते हुए थोड़े समय के लिए रकम लगाने के लोभ से बचना चाहिए। उसके बजाय वे ईटीएफ के जरिये किस्तों में खरीद कर सकते हैं ताकि भाव के उतार-चढ़ाव से भी बच सकें। राजानी समझाती हैं, ‘सबसे अच्छा तरीका यही है कि ऊंचे भाव पर एक साथ बड़ा निवेश नहीं किया जाए। उसके बजाय सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिये निवेश शुरू करें। इससे कुछ अरसे के लिए भाव चढ़ने या गिरने का असर नहीं होगा।’ कागलवाला का सुझाव है कि आर्थिक तेजी और मंदी के चक्रों से बेअसर रहते हुए निवेश का फायदा लेना है तो पांच साल से ज्यादा के लिए रकम लगाएं।
चांदी के भाव सोने के मुकाबले ज्यादा चढ़ते-गिरते हैं। यादव समझाते हैं, ‘यह उन निवेशकों के लिए ठीक है, जो ज्यादा जोखिम लेने को तैयार रहते हैं। जोखिम से दूर रहने वाले निवेशकों को इससे बचना चाहिए।’
इस समय विभिन्न फंड कंपनियों के 16 ईटीएफ चल रहे हैं। ऐसे फंड चुनें, जिनका एक्सपेंस रेश्यो कम हो और एक्सचेंज पर जिनकी तरलता ज्यादा हो। राजानी त्रुटि पर नजर रखने की जरूरत समझाती हैं ताकि पता चले कि ईटीएफ चींदी के भाव के कितने करीब कारोबार करते है। ईटीएफ में यह त्रुटि जितनी कम होती है, वह उतना ही अच्छा होता है।