भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंडों (एमएफ) के लिए अपने छमाही वित्तीय परिणामों में डायरेक्ट प्लान और रेग्युलर प्लान से संबंधित योजनाओं का अलग-अलग खुलासा करना अनिवार्य बनाया है। नियामक ने एक सर्कुलर में कहा है, ‘खुलासा योग्य व्यय में स्कीम के कुल व्यय के प्रकटीकरण के अलावा, डायरेक्ट और रेग्युलर प्लान के लिए कुल खर्च के लिए अलग-अलग जानकारी शामिल हो।’फंड हाउसों से अपनी छमाही रिपोर्टों में एमएफ योजनाओं के डायरेक्ट और रेग्युलर प्लान, दोनों द्वारा दिए जाने वाले रिटर्न का भी खुलासा करने को कहा गया है।
सेबी ने भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) को छमाही वित्तीय विवरणों के लिए मानकीकृत खुलासे किए जाने का निर्देश दिया है। नए मानक 5 दिसंबर 2024 से प्रभावी होंगे।
सर्कुलर में कहा गया है, ‘चूंकि डायरेक्ट योजना के निवेशकों से वितरण व्यय और कमीशन नहीं लिया जा सकता, इसलिए किसी भी योजना की डायरेक्ट योजना का व्यय अनुपात उसी योजना की रेग्युलर योजना की तुलना में कम होता है और इसलिए डायरेक्ट और रेग्युलर योजनाओं के रिटर्न भी अलग होते हैं।’