सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को अदालत के 3 जनवरी के निर्णय की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। इस निर्णय में अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच को या तो विशेष जांच दल (एसआईटी) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने से इनकार कर दिया गया था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के पीठ ने कहा, ‘समीक्षा याचिका का अवलोकन करने के बाद, रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नहीं पाई गई है। सर्वोच्च न्यायालय के नियम 2013 के ऑर्डर 47 रूल 1 के अंतर्गत समीक्षा का कोई मामला नहीं है। इसलिए, समीक्षा याचिका खारिज की जाती है।’
यह समीक्षा याचिका अनामिका जायसवाल द्वारा दायर कराई गई थी, जो मुख्य मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक थीं। इसमें दावा किया गया कि फैसले में ‘गलतियां और त्रुटियां’थीं और याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण द्वारा प्राप्त नए मैटेरियल ने फैसले की समीक्षा के लिए पर्याप्त कारण प्रदान किए।
याचिका में कहा गया था कि 3 जनवरी, 2024 के आदेश में स्पष्ट त्रुटियां थीं, जिसमें इस अदालत ने अदाणी समूह के प्रमोटरों के स्वामित्व वाली ऑफशोर इकाइयों के माध्यम से बाजार में हेरफेर से जुड़ी धोखाधड़ी की जांच के लिए अदालत की निगरानी में एसआईटी गठित करने की याचिकाकर्ता की मांग को खारिज कर दिया था। इसलिए, इस आदेश की समीक्षा की जानी चाहिए।
न्यायालय ने जनवरी में बाजार नियामक को इस मामले में अपनी शेष दो जांच तीन महीने में पूरी करने का निर्देश दिया था। अदालत ने सेबी और केंद्र सरकार से यह भी जांच करने को कहा था कि क्या हिंडनबर्ग रिसर्च और किसी अन्य संस्था द्वारा शॉर्ट पोजीशन लेने की वजह से भारतीय निवेशकों को हुए नुकसान में किसी तरह का कानूनी उल्लंघन तो शामिल नहीं है।