घरेलू शेयर बाजार में पिछले साल लगातार तेजी के बीच खुदरा निवेशकों ने भी अच्छी कमाई की। महामारी के दौरान निवेशकों के शेयर बाजार में जमकर दांव लगाया। शेयरों के दाम में जोरदार उछाल, कम ब्याज दर और डीमैट खाता खोलने में सहूलियत तथा मोबाइल ऐप पर शेयर और क्षेत्र विशेष की जानकारी उपलब्ध होने से खुदरा निवेशकों की बाजार में भागीदारी बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि खुदरा निवेशकों ने गिरावट के दौरान खरीद की रणनीति अपनाई है जो बाजार में परिपक्वता का संकेत है।
प्राइमडेटाबेस डॉट कॉम के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2021 के अंत में नैशनल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्घ कंपनियों में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 7.32 फीसदी के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 6.9 फीसदी थी। यह तब है जब संबंधित तिमाही में निफ्टी 1.5 फीसदी नीचे आया है। एनएसई कंपनियों में धनाढ्य निवेशकों (एचएनआई) की हिस्सेदारी भी बढ़कर 2.26 फीसदी के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई, जिससे खुदरा और एचएनआई की समेकित हिस्सेदारी 9.58 फीसदी हो गई। खुदरा निवेशकों ने पिछले साल बाजार में आए आईपीओ पर भी खूब दांव लगाया है।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘व्यक्तिगत निवेशक बाजार को बढ़ाने में अहम योगदान देने वाले बने हैं जबकि इसके लिए ऐतिहासिक तौर पर संस्थागत भागीदारों, खास तौर पर विदेशी निवेशकों का योगदान होता था।’ एनएसई फर्मों में खुदरा निवेशकों की शेयरधारिता का मूल्य दिसंबर तिमाही के अत में करीब 19 लाख करोड़ रुपये था, जो एक साल पहले के 12.7 लाख करोड़ रुपये से करीब 50 फीसदी अधिक और 2019 के अंत से करीब दोगुना है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की शेयरधारिता का मूल्य तिमाही आधार पर 1.67 फीसदी घटकर 53.78 लाख करोड़ रुपये रहा गया क्योंकि दिसंबर तिमाही के दौरान उन्होंने 38,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बिकवाली की है। एनएसई की सूचीबद्घ फर्मों में उनकी हिस्सेदारी 9 माह के निचले स्तर 20.74 फीसदी रह गई है। ऐक्सिस सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी बी गोपकुमार ने कहा, ‘पिछले एक साल में ब्याज दरें निचले स्तर पर रहीं और निवेशकों ने बेहतर रिटर्न के लिए शेयर बाजार का रुख किया।’
उन्होंने कहा कि परिपक्व निवेशक म्युचुअल फंड से सीधे तौर पर शेयरों में निवेश को तवज्जो दी। कई निवेशकों ने समुचित जानकारी के साथ निवेश को महत्त्व दिया जबकि कई ऐसे निवेशक हैं जिन्होंने अटकलों पर भरोसा कर विकल्प सौदों पर दांव लगाया। भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों की हालिया रिपोर्ट में रेखांकित किया है कि बचत और निवेश के तौर पर भौतिक संपत्तियों का चलन भारतीयों के बीच कम लोकप्रिय हो रहा है।
इस साल की आर्थिक समीक्षा के अनुसार एनएसई में कुल कारोबार में व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी 2019-20 के 38.8 फीसदी से बढ़कर अक्टूबर 2021 में 44.7 फीसदी हो गई। वित्त वर्ष 2022 के आठ महीनों में 2.2 करोड़ डीमैट खाते खोले गए। सीधे तौर पर शेयरों में निवेश करने के अलावा खुदरा निवेशकों ने म्युचुअल फंड के जरिये भी निवेश बढ़ाया है। दिसंबर तिमाही में घरेलू म्युचुअल फंड की सूचीबद्घ कंपनियों में हिस्सेदारी 7.47 फीसदी हो गई।