भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ऐसे कई कदम उठाने की योजना बनाई है, जिनसे भारतीय उद्योग जगत के लिए नियामकीय और अनुपालन बोझ कम होगा। सेबी ने ऐसे समय में यह योजना बनाई है जब कुछ कंपनियों ने बाजार नियामक द्वारा हाल में किए गए कुछ नियामकीय बदलावों पर चिंता जताई थी।
अल्पावधि उपायों के तहत सेबी ने बोर्ड मूल्यांकन प्रकिया सूचीबद्ध कंपनियों के लिए स्वैच्छिक किए जाने की योजना बनाई है। नियामक विशेष नियमों के लिए क्रियान्वयन मानक बनाने की प्रक्रिया से भी गुजर रहा है, जिससे नए या मौजूदा ढांचे के संबंध में किसी तरह की चुनौतियों या जटिलताओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
सेबी ने पिछले सप्ताह विभिन्न उद्योग संगठनों को भेजे पत्र में कहा, ‘हम अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं और व्यवस्था में भरोसा पैदा कर और व्यवसाय करने की प्रक्रिया आसान बनाकर अपना योगदान देना चाहते हैं। हाल के समय में हमें पता चला कि उद्योग संगठन हमारे नियमों के क्रियान्वयन के संदर्भ में ज्यादा स्पष्टता चाहते हैं। इस स्पष्टता के अभाव में जटिल क्रियान्वयन की आशंका बनी हुई है जिससे व्यवसाय आसान बनाने की राह बाधित होती है। इस वजह से हमें स्वयं उद्योग द्वारा निर्धारित मानक के लिए व्यवस्था सुगम बनाने की संभावना पर सोचने के लिए आगे आना पड़ा है।’
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नियामक ने उद्योग से ऐसे तीन-चार नियमों का सुझाव देने को कहा है जिनसे क्रियान्वयन मानक प्रायोगिक आधार पर पेश किए जा सकें। सेबी के पत्र में कहा गया है कि यह परियोजना एक्सचेंजों के संरक्षण और उद्योग दिग्गज की अध्यक्षता में चलाई जाएगी। मौजूदा समय में, लिस्टिंग ऑब्लाइगेशन ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट (एलओडीआर) रेग्युलेशन के तहत, व्यक्तिगत तौर पर निवेशकों, अध्यक्ष, समितियों और बोर्ड के मूल्यांकन जरूरी हैं।
किसी सूचीबद्ध कंपनी की कॉरपोरेट प्रशासनिक दायित्वों के लिए बोर्ड में विभिन्न व्यक्तियों की जिम्मेदारियों को निर्धारित करने और उसका मूल्यांकन करने की भी जरूरत होती है। बोर्ड मूल्यांकन स्वतंत्र निदेशक या अन्य की निरंतरता के लिए आधार के तौर पर किया जा सकता है।
मौजूदा समय में, कंपनीज ऐक्ट (2003) में बोर्ड, समितियों और निदेशकों के प्रदर्शन का सालाना आकलन किए जाने का भी प्रावधान है। बोर्ड मूल्यांकन प्रक्रिया की समीक्षा के संदर्भ में बाजार नियामक का मौजूदा रुख कंपनियों द्वारा खुलासा जरूरतों की समीक्षा पर जोर दिए जाने के बाद सामने आया है।
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प्रमुख सलाहकार कंपनियों का कहना है कि मौजूदा ढांचे की समीक्षा किए जाने की जरूरत है, लेकिन नियमों को स्वैच्छिक बनाए जाने के बजाय मजबूत बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए।
इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवायजरी सर्विसेज (आईआईएएस) के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक अमित टंडन ने कहा, ‘हमें एक स्वैच्छिक नीति के तौर पर बोर्ड मूल्यांकन शुरू कर देना चाहिए, और फिर इसे अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। हमने इसे अनिवार्य बनाकर शुरुआत की है। इससे कई तरह की समस्याएं दिख रही हैं। पहली समस्या एक वर्ष में मूल्यांकन से जुड़ी हुई है। दूसरी समस्या स्वयं मूल्यांकन की है।’
उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे मूल्यांकनों से बोर्ड से जुड़े लोगों के कौशल की समीक्षा करने में मदद मिलेगी।