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सार्वजनिक निवेश में बढ़ोतरी से होगी 68.5 करोड़ डॉलर की पैसिव खरीद

अदाणी समूह की तीन फर्में, कोल इंडिया आदि होंगी लाभान्वित

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समी मोडक   
Last Updated- July 30, 2023 | 11:03 PM IST

अदाणी समूह (Adani Group) की तीन कंपनियों समेत कुल छह फर्मो ने इस साल सार्वजनिक शेयरधारिता में तीव्र बढ़ोतरी देखी है। इससे विभिन्न वैश्विक सूचकांकों में उनके भारांक में इजाफा होगा, लिहाजा 68.5 करोड़ डॉलर (5,628 करोड़ रुपये) का संचयी शुद्ध‍ खरीद देखने को मिलेगी। इस बीच, यूपीएल और हैवेल्स इंडिया में कुछ बिकवाली दिख सकती है क्योंकि उनकी सार्वजनिक शेयरधारिता में कमी हुई है।

पेरिस्कोप एनालिटिक्स से जुड़े न्यूजीलैंड के विश्लेषक ब्रायन फ्रिएटस ने कहा, हमने बड़ी कंपनियों की शेयरधारिता के पैटर्न पर नजर डाली है ताकि पिछली कुछ तिमाहियों के मुकाबले फ्री-फ्लोट (सार्वजनिक शेयरधारिता) में हो रहे बदलाव पर नियंत्रण रहे। हमने खास तौर से उन कंपनियों पर नजर डाली जहां इंडेक्स को ट्रैक करने वाले खरीदारी कर सकते हैं। हमें छह कंपनियां मिलीं, जहां फ्री फ्लोट पिछली कुछ तिमाहियों में खासा बढ़ा है।

कंपनी के प्रवर्तकों की तरफ से बिकवाली अदाणी एंटरप्राइजेज, अदाणी ग्रीन एनर्जी और अदाणी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन में ज्यादा रही। सरकार की तरफ से बिकवाली के कारण कोल इंडिया में फ्री-फ्लोट बढ़ा। भारतीय जीवन बीमा निगम की तरफ से बिकवाली के कारण ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज व पीआई इंडस्ट्रीज में ज्यादा फ्री-फ्लोट देखने को मिल सकता है।

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मार्च में जीक्यूजी पार्टनर्स ने अदाणी समूह की चार कंपनियों के 1.87 अरब डॉलर यानी 15,466 करोड़ रुपये के शेयर प्रवर्तकों से खरीदे थे। पिछले महीने अमेरिकी कंपनी बुटिक इन्वेस्टमेंट फर्म ने अदाणी ग्रीन व अदाणी ट्रांसमिशन में और हिस्सेदारी ली।

फ्रिएटस का अनुमान है कि अदाणी समूह की चार फर्मों में 9.15 करोड़ डॉलर से लेकर 31.8 करोड़ डॉलर का निवेश आ सकता है, जो मार्गन स्टैनली कैपिटल इंटरनैशनल (एमएससीआई) या फाइनैंशियल टाइम्स स्टॉक एक्सचेंज इंडिसेज का हिस्सा हैं।

मई में एमएससीआई ने अदाणी ट्रांसमिशन और अदाणी टोटाल गैस को बाहर कर दिया था और कुछ अन्य का भारांक घटा दिया था जब हिंडनबर्ग रिसर्च के जनवरी के आरोपों के बाद इन कंपनियों के वास्तविक पब्लिक फ्लोट पर संदेह पैदा हुआ था।

फ्रिएटस ने कहा, अदाणी समूह की कंपनियों में मॉरीशस की कुछ इकाइयों की शेयरधारिताको लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में उठाए गए मसलों के कारण वैश्विक सूचकांकों में बढ़े फ्लोट को लेकर सवाल खड़े हुए थे।

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इनमें से कुछ इकाइयों ने पिछली कुछ तिमाहियों में शेयर बेचे और अब शेयरधारिता पैटर्न में वे नहीं दिख रहे हैं क्योंकि उनकी हिस्सेदारी अब एक फीसदी से नीचे आ गई है। इस बीच, सरकार ने ऑफर फॉर सेल के जरिये कोल इंडिया की तीन फीसदी बेचकर 4,100 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए।

वैश्विक सूचकांकों के अलावा जिन कपनियों के पब्लिक फ्लोट में बढ़ोतरी या कमी हुई है वे भी देसी सूचकांकों मसलन एनएसई व बीएसई की तरफ से संकलित सूचकांकों में अपने-अपने भारांक में बदलाव देखेंगे।

First Published : July 30, 2023 | 11:03 PM IST