मैं 77 वर्षीय कारोबारी हूं। मैं इस समय म्युचुअल फंड या फिर शेयरों में सीधे 55,000 रुपये प्रतिमाह निवेश करने की स्थिति में हूं।
मैं अपनी इस सारी संपत्ति(फिक्स्ड और म्युचुअल फंड और शेयर में निवेश) का वारिस अपने दो लड़कों और एक लड़की को बनाना चाहता हूं। इसके साथ मेरी इच्छा अपनी परिवार की शिक्षा और चेरिटेबल ट्रस्ट के लिए राशिन दान करने की है। मेरे इन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए आप मुझे बताएं कि मुझे ग्रोथ ऑप्शन चुनना चाहिए या फिर म्युचुअल फंड निवेश का। –ब्रह्मदेव मोदी
उद्देश्य
50,000 रुपये प्रतिमाह निवेश का लक्ष्य
अधिक से अधिक कर बचाना
इसे पूरे निवेश के लिए बच्चों को वारिस बनाना और किसी ट्रस्ट को दान करना
निरीक्षण
15 म्युचुअल फंड उनमें से 9 एचडीएफसी एमएफ से
अच्छे फंड का चयन
22 शेयर, इनमें एल एंड टी में सबसे अधिक निवेश है जबकि अधिकांश में बहुत कम मात्रा में राशि लगाई गई है।
खासकर लॉर्ज कैप पर केंद्रित
मिश्रित निवेश की शैली
समस्याएं
विविधता का अभाव : पोर्टफोलियो समझबूझ से डायवर्सिफाइड नहीं है। म्युचुअल फंड पूरी तरह असेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) पर मुग्ध होकर लिए गए हैं। यह बात 9 म्युचुअल फंड एचडीएफसी म्युचुअल फंड के होने से पता चलती है। कुल निवेश का 27 फीसदी ही डायवर्सिफाइड सेक्टर अकाउंट हैं। 24 शेयरों में से अधिकांश में बिलकुल नगण्य निवेश है जबकि एक ही शेयर लार्सन एंड ट्रूबो में कुल शेयर निवेश का 23.23 फीसदी लगाया गया है।
गड़बड़ी: विशेष शेयरों में निवेश के साथ 15 म्युचअल फंडों की आवश्यकता नहीं थी। कम संख्या में फंड होने से अधिक दक्षता से और आसानी से उनका प्रबंधन हो सकता है।
अनियमित निवेश: एकमुश्त निवेश के चलते हमेशा अनियमित अंतराल आते हैं। अगर आप पूरी तरह से तैयार हो जाएं कि आपको कितनी राशि निवेश करती है तब निवेश एक निश्चित समय के बाद पूरी दक्षता से किया जाता है। बाजार के समय और निवेश के विज्ञापनों से प्रभावित होकर किया जाने वाला निवेश कभी भी लंबी समयावधि में लाभ का सौदा साबित नहीं होता।
अपने पोर्टफोलियो पर सतत विचार: यह अच्छा नहीं है। इससे करों का बोझ बढ़ सकता है। सोच विचार से निवेशक को उस स्थिति में बार बार गुजरना पड़ता है जब निवेश व्यस्थित और अनुशासित न हो और दिमाग में कोई एसेट आंवटन का ख्याल न हो।
समाधान
दृढ़ता: इससे आप अपने निवेश का बेहतर प्रबंधन कर सकेंगे। कुछ फंडों में निवेश करने से बेहतर परिणाम का रिकार्ड रहा है। धीरे-धीरे अपने पोर्टफोलियो को शेयरों से म्युचुअल फंड में शिफ्ट करें।
व्यवस्थित निवेश: लंबे समय में नियमित निवेश से ही निवेशकों को लाभ मिलता है क्योंकि रुपये की लागत के औसत का सिध्दांत प्रभावी हो जाता है। यह एक अनुशासित निवेश पैटर्न को अपनाकर और बाजार में नजरें गड़ाने से पैदा होने वाले तनाव से बचकर ही किया जा सकता है।
एस्टेट प्लानिंग: अगर आप इस बात को लेकर बेहद स्पष्ट हों कि आपको अपनी परिसंपत्तियों का वितरण किस तरह से करना है तो आप इसे अंतिम रूप दें। इसमें यह पूरी तरह से साफ करें कि आप अपने किस लाभार्थी को कौन सा शेयर देना चाहते हैं। आप इसमें अपने वर्तमान निवेश के वारिस का नाम स्पष्ट करें। भविष्य के लिए भी कौन नॉमिनी होगा आप यह तय करें। उदाहरण के लिए आपके तीन अलग-अलग पोर्टफोलियो हैं तो इनमें से प्रत्येक का वारिस कौन होगा यह साफ करें।
एफडी से बाहर आएं: आप इसके जरिए करों से बेहतर बचाव कर सकते हैं। एफडी पर अधिक कर लगता है। इसकी जगह आप फिक्स्ड मेच्यौरिटी योजनाओं और अन्य शॉर्ट और मीडियम टर्म के डेट फंडों में निवेश करें।
पुनर्संतुलन: आवश्यकताएं और स्थितियां बदलती रहती हैं। यह बात हमेशा ध्यान रखें और साल में एक बार अपना पोर्टफोलियो पुनर्संतुलित करें। इसमें ध्यान रखा जाना चाहिए कि पहले से तय किए गए असेट एलोकेशन पर ही जोर दिया जाए।
ग्रोथ ऑप्शन पर विचार करें: यह सलाह दी जाती है कि आप म्युचुअल फंड के ग्रोथ ऑप्शन में निवेश करें। अगर अपने निवेश से लाभांश चाहते हों। अन्यथा क्लोज एंडेड फंड चुने जहां रिटर्न के बीच के समय में आपका पैसा ब्लॉक हो जाता है।