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सरकारी कंपनियों के डिविडेंड में रिकॉर्ड उछाल: 2025 में सरकार को 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई संभव

कोल इंडिया, ओएनजीसी और बीपीसीएल बने सबसे बड़े लाभांशदाता, लाभांश नीति में बदलाव का दिखा असर

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हर्ष कुमार   
Last Updated- March 24, 2025 | 11:16 PM IST

वित्त वर्ष 2025 में केंद्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) का लाभांश भुगतान सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने वाला है। चालू वित्त वर्ष में अब तक सरकार को 69,873 करोड़ रुपये लाभांश सार्वजनिक उद्यमों से मिल चुका है।
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न सार्वजनिक करने की शर्त पर कहा कि चालू वित्त वर्ष के आखिरी सप्ताह में लाभांश प्राप्तियां 70,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर जाएंगी। वित्त वर्ष 2024 में सरकार को 63,749.3 करोड़ रुपये लाभांश मिला था, जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है।

वित्त वर्ष 2025 में सबसे ज्यादा लाभांश कोल इंडिया लिमिटेड ने 10,252.09 करोड़ रुपये दिए हैं। उसके बाद तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने 10,001.97 करोड़ रुपये, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने 3,562.47 करोड़ रुपये, टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स (इंडिया) लिमिटेड (टीसीआईएल) ने 3,761.50 करोड़ रुपये और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने 3,619.06 करोड़ रुपये लाभांश भुगतान किया है।

सरकार ने पिछले साल सीपीएसई के लिए लाभांश नीति में बदलाव किया था। नए दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर कोई कानूनी प्रावधान का प्रतिबंध न हो तो हर सीपीएसई को कर के बाद मुनाफे (पीएटी) का न्यूनतम 30 प्रतिशत सालाना या नेटवर्थ का 4 प्रतिशत लाभांश भुगतान (जो अधिक हो) करना होगा।

वित्तीय क्षेत्र के सीपीएसई जैसे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए पीएटी का 30 प्रतिशत न्यूनतम लाभांश तय किया गया है। नीति में साफ साफ कहा गया है कि न्यूनतम लाभांश सिर्फ मानक है और सीपीएसई को उचित वित्तीय संतुलन बनाए रखते हुए लाभप्रदता, पूंजी व्यय की जरूरतों, नकद भंडार और नेटवर्थ के मुताबिक ज्यादा लाभांश के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

सार्वजनिक उद्यम सर्वे के मुताबिक 272 सीपीएसई चल रही हैं, जिनमें से 212 का वित्त वर्ष 2024 में कुल शुद्ध मुनाफा 3.43 लाख करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023 में हुए 2.18 लाख करोड़ रुपये मुनाफे से करीब 48 प्रतिशत ज्यादा है।

First Published : March 24, 2025 | 10:49 PM IST