भारतीय रिजर्व बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार नौ हफ्ते में पहली बार बढ़ा है और ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि 7 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में कुल भंडार 532.87 अरब डॉलर रहा, जो एक हफ्ते पहले के मुकाबले 20.4 करोड़ डॉलर ज्यादा है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि आरबीआई का मुद्रा भंडार 29 जुलाई को समाप्त हफ्ते के बाद पहली बार बढ़ा है और तब इसमें 2.3 अरब डॉलर का इजाफा हुआ था।
7 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में हालांकि आरबीआई की विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 1.3 अरब डॉलर घटकर 471.5 अरब डॉलर रह गई। केंद्रीय बैंक के स्वर्ण भंडार की कीमत इस दौरान 1.4 अरब डॉलर बढ़कर 38.9 अरब डॉलर हो गई।
समीक्षाधीन अवधि में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 1.2 फीसदी की गिरावट आई और स्थानीय मुद्रा 7 अक्टूबर को पहली बार 82 के पार चली गई। साल 2022 में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये में 9.7 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
विश्लेषकों ने कहा, 7 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते में आरबीआई का मुद्रा भंडार भले ही बढ़ा हो, लेकिन केंद्रीय बैंक अत्यधिक उतारचढ़ाव के दौरान डॉलर की बिक्री के जरिये रुपये को थामना जारी रखा है। विश्लेषकों ने कहा, केंद्रीय बैंक का मुद्रा बाजार के फॉरवर्ड सेगमेंट में हस्तक्षेप शायद विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गिरावट को थामने के लिए हुआ।
कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (करेंसी डेरिवेटिव व ब्याज दर डेरिवेटिव) ए बनर्जी ने कहा, हफ्ते के दौरान यूरो में गिरावट आई और डॉलर इंडेक्स चढ़ा, ऐसे में मूल्यांकन पर नकारात्मक असर पड़ने वाला है। मुझे लगता है कि विदेशी मुद्रा परिसंपतियों में तेज गिरावट विदेशी मुद्रा के मूल्यांकन के कारण हुई है। क्योंकि जिस तरह से डॉलर इंडेक्स चढ़ रहा है, साप्ताहिक असर 1.5 से 2 अरब डॉलर का हो सकता है।
उन्होंने कहा, आरबीआई की तरफ से डॉलर की बिक्री मोटे तौर पर फॉरवर्ड के जरिए होगी, शायद यही वजह है कि फॉरवर्ड का प्रीमियम काफी नीचे आया है। इस तरह से मुख्य भंडार पर असर महसूस नहीं किया गया। फरवरी में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घटा है। 25 फरवरी को भंडार 631.53 अरब डॉलर का था, जो मौजूदा स्तर से करीब 100 अरब डॉलर ज्यादा है।
पिछले महीने आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि मौजूदा वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा भंडार में 67 फीसदी की गिरावट अमेरिकी डॉलर चढ़ने से मूल्यांकन में आए बदलाव के कारण आई है।