डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 80 के आसपास आ गया था, लेकिन यह सुधरने में कामयाब रहा। इसका कारण कंपनियों का प्रवाह और भारतीय रिजर्व का संभावित हस्तक्षेप रहा। डीलरों ने यह जानकारी दी।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार हफ्ते में 8 अरब डॉलर घटकर 15 महीने के निचले स्तर पर आ गया क्योंकि केंद्रीय बैंक ने अपना हस्तक्षेप बढ़ाया, जिससे रुपये में गिरावट की रफ्तार धीमी हुई। विदेशी मुद्रा भंडार पिछले साल सितंबर के सर्वोच्च स्तर से 62 अरब डॉलर नीचे आया है।
शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 79.88 पर टिका और इस तरह से पिछले दिन के बंद स्तर से कोई बदलाव नहीं हुआ। कारोबारी सत्र के दौरान देसी मुद्रा डॉलर के मुकाबले 79.96 के निचले स्तर पर आ गई थी, जो कारोबारी सत्र के दौरान हुई गिरावट का अब तक का निचला स्तर है।
एक सरकारी बैंक के करेंसी डीलर ने कहा, रुपये को आज सहारा मिला क्योंकि डॉलर की खासी बिकवाली हुई। आरबीआई ने भी 79.90 प्रति डॉलर पर हस्तक्षेप किया और इसी वजह से हमने डॉलर के मुकाबले रुपये को 80 के स्तर पर जाते नहीं देखा।
शुक्रवार को छोड़ दें तो रुपया हफ्ते के हर कारोबारी सत्र मे नया निचला स्तर बनाता रहा क्योंकि फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज में 100 आधार अंकों की बढ़ोतरी और अमेरिकी डॉलर इंडेक्स की मजबूती का डर था, जिसने उभरते बाजारों की मुद्राओं के लिए स्वाभाविक इच्छा को खत्म कर दिया।
चूंकि फेडरल रिजर्व जुलाई के आखिर में होने वाली बैठक में ब्याज दर 100 आधार अंक बढ़ा सकता है, ऐसे में ट्रेडर अगले हफ्ते डॉलर के मुकाबले रुपये को कमजोर होकर 80 पर जाता देख रहे हैं।
पिछले पांच कारोबारी सत्र में देसी मुद्रा डॉलर के मुकाबले 0.8 फीसदी कमजोर हुई और साल 2022 का कुल नुकसान 6.9 फीसदी पर पहुंचा दिया।
डीलरों ने कहा, पूरे हफ्ते 20 साल के उच्चस्तर पर रहने वाले डॉलर इंडेक्स में थोड़ा सुधार हुआ, जिससे शुक्रवार को रुपये को राहत मिली। करीब 3.30 बजे डॉलर इंडेक्स 108.44 पर था।