रियल्टी स्टॉक पर इस साल सबसे ज्यादा झटके लगे हैं। शेयर बाजार में जहां 26 फीसदी की गिरावट आई है वहीं रियल्टी इंडेक्स 57 फीसदी से भी ज्यादा गिरा है।
हालांकि इसमें कुछ स्टॉक अपने न्यूनतम स्तर से निपटने में सफल रहे लेकिन जून 2008 की उनके लिए कुछ खास नहीं रही। विश्लेषकों की परेशानी यह है कि रियल एस्टेट कंपनियां लगातार कर्ज में डूबती जा रही हैं। छह कंपनियों का कुल कर्ज 19 फीसदी बढ़कर 28,400 करोड क़े स्तर पर पहुंच गया।
डीएलएफ और पार्श्वनाथ की बारोइंग में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है जबकि पूर्वंकरा की लोअर डेट पोजिशन रही। कंपनियों ने जमीन के पेमेंट के लिए ज्यादातर बारोइंग की है जबकि कुछ ने वर्किंग कैपिटल के भुगतान के लिए बारोइंग की है।
जब रेजीडेंशियल कॉम्प्लेक्स की मांग में लगातार कमी आ रही है तो यह संभव है कि रियल एस्टेट कंपनियां अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए कीमतों में कुछ कमी करें। इससे न सिर्फ उन पर करों का बोझ बढेग़ा बल्कि उनकी ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन पर भी असर पड़ेगा।
हालांकि प्रमुख छह रियल एस्टेट कंपनियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन जून की तिमाही में पहले से ही दबाव में रहा है जिसकी वजह से इन कंपनियों की ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन महज 16 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि कुल मिलाकर सभी कंपनियों ने जून की तिमाही में अपने राजस्व में जून 2007 की तिमाही की तुलना में 22 फीसदी की बढ़ोतरी हासिल की।
पूर्वंकरा डेवलपर्स ही एकमात्र ऐसी कंपनी रही जिसके राजस्व में लगातार सुधार देखा गया। ऊंची ब्याज दरों की वजह से कर के बाद प्राप्त लाभ पर भी असर पड़ा और यह महज 10 फीसदी रहा। टैक्स रेट के कम रहने की वजह से इन कंपनियों का नेट प्रॉफिट 23 फीसदी ज्यादा रहा। शोभा डेवलपर्स के अलावा दूसरी अन्य कंपनियों ने बहुत कम कर का भुगतान किया।
उद्योग से जुड़े विश्लेषकों का मानना है कि ऊंची ब्याज दरों केचलते डेवलपर्स के लिए रिर्सोसेज इकठ्ठा करना कठिन होगा। जिससे कंपनियों के प्रोजेक्ट में देरी हो सकती है। लागत केबढ़ने और लेबर्स की कमी की वजह से निर्माण में पहले से ही देरी हो रही है।
हालांकि रियल इस्टेट कंपनियों के लिए लंबी अवधि के लिहाज से भविष्य तो अच्छा लगता है लेकिन पिछले छ: महीनों में लेन देन में लगातार कमी देखी जा रही है जिससे इन कंपनियों को छोटी अवधि में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। जब तक मांग नही बढ़ती है तब तक रियालटी कंपनियों के लिए अपने मार्जिन को बचा पाना मुश्किल होगा।
श्रीराम ट्रांसपोर्ट-छोटा पर खरा
ट्रक निर्माताओं के लिए यह आसान समय नहीं है। ट्रक बनाने वाली कंपनियों जैसे अशोक लीलैंड के वॉल्यूम की बिक्री जून की तिमाही में सिर्फ नौ फीसदी ज्यादा रही जबकि आयशर के एलसीवी में 20 फीसदी की और हैवी वेहिकल्स में 48 फीसदी की गिरावट देखी गई।
ऐसे समय पर जब ऊंची ब्याज दरों ने फ्लीट ऑपरेटर्स को बुरी तरह प्रभावित किया है, इस दौरान श्रीराम ट्रांसपोर्ट के जून तिमाही के परिणाम काफी अच्छे रहे। 2,439 करोड़ की श्रीराम ट्रांसपोर्ट का जून की तिमाही में शुध्द लाभ सालाना आधार पर 74 फीसदी बढ़कर 821 करोड़ रुपए रहा। कंपनी पुराने ट्रकों के फाइनेंस का काम करती हैं।
वह ऐसे ग्राहकों को फाइनेंस की सुविधा मुहैया कराती है जो बैंक से आर्थिक मद्द नही प्राप्त कर पाते हैं। कंपनी के प्रबंधन का कहना है कि वह पांच से 12 साल पुरानों की खरीद और बिकवाली के लिए फाइनेंस मुहैया कराती है। इसलिए मांग में होने वाली किसी भी कमी का असर कंपनी पर नहीं पड़ता है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक एस. श्रीधर ने कहा कि उनकी कंपनी ने जुलाई में ब्याज दरों में सिर्फ एक फीसदी की बढ़ोतरी की है। श्रीधर का कहना है कि इससे फ्लीट ऑपरेटर्स पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि कंपनी का 75 फीसदी हिस्सा इस्तेमाल में लाए गए ट्रकों से आता है।
श्रीराम ट्रांसपोर्ट की इस बाजार में 25 फीसदी हिस्सेदारी है और उसका बाजार 60,000 करोड़ के करीब है। कंपनी ऊंची लागत वाले रिटेल फंडों पर अपनी निर्भरता कम कर रही है। जून की तिमाही में कंपनी ज्यादा पूंजी इकठ्ठा करने में सफल हुई। कंपनी ने इस बार 83 फीसदी बॉरोइंग की जबकि पिछले साल इसी तिमाही में कंपनी ने 79 फीसदी की बारोइंग की थी।
यह फंड 1.5 फीसदी सस्ते रहे जिससे कंपनी को मार्जिन 5.5 फीसदी बढ़ाकर 78.6 फीसदी पहुंचाने में मद्द मिली। कंपनी का कारोबार 40 फीसदी की गति से बढ़कर 3,560 करोड़ रहना चाहिए जबकि कंपनी का शुध्द लाभ 50 फीसदी बढ़कर 600 करोड़ रहना चाहिए।
जिससे कंपनी की प्रति शेयर आय 45 फीसदी बढ़कर 29 रुपए पर रहनी चाहिए। श्रीराम ट्रांसपोर्ट के शेयरों ने बाजार की अपेक्षा बेहतरीन प्रदर्शन किया है। सेसेंक्स में आई 26 फीसदी गिरावट की तुलना में कंपनी के शेयर में 22 फीसदी की गिरावट आई है। मौजूदा बाजार मूल्य 314 रुपए पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 11 गुना के स्तर पर हो रहा है।