Nifty hits 25,000: निफ्टी-50 सूचकांक गुरुवार को 25,000 के पार पहुंच गया। सूचकांक ने 11 सितंबर, 2023 को पहली बार 20,000 का आंकड़ा पार किया था और वहां से 25,000 तक पहुंचने में उसे महज 221 कारोबारी दिन लगे।
निफ्टी में पिछली 5,000 अंकों की तेजी का नेतृत्व वाहन, धातु और तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने किया था। विश्लेषकों का मानना है कि अगले 5,000 अंकों की तेजी (जो सूचकांक को 30,000 अंक तक ले जा सकती है) में उन क्षेत्रों (जैसे बैंकिंग) का योगदान ज्यादा रह सकता है जो अब तक इस तेजी में शरीक नहीं रहे हैं।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक और निदेशक यू आर भट ने कहा, ‘अगर निफ्टी-50 सूचकांक 30,000 को पार करता है तो इसमें बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई), आईटी, तेल एवं गैस और वाहन क्षेत्रों का बड़ा योगदान होगा। छोटे क्षेत्र और हाल में बेहतर प्रदर्शन कर चुके क्षेत्र इसमें योगदान जरूर दे सकते हैं, लेकिन वे अकेले इतने सक्षम नहीं होंगे कि सूचकांक को आगे ले जा सकें। विदेशी निवेश भी महत्वपूर्ण होगा जिसमें आने वाले महीनों में और तेजी आ सकती है।’
इस बीच, दलाल पथ पर निफ्टी-50 सूचकांक कैलेंडर वर्ष 2024 में अब तक करीब 15 प्रतिशत चढ़ा है। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और ओएनजीसी सर्वाधिक चढ़ने वाले शेयर रहे। इनमें इस दौरान 60 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आई।
एसीई इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), अदाणी पोर्ट्स, टाटा मोटर्स, पावर ग्रिड, भारती एयरटेल, श्रीराम फाइनैंस, बजाज ऑटो और कोल इंडिया ऐसे अन्य शेयर रहे जिनमें इस दौरान 38 से 56 प्रतिशत तक की तेजी आई। दूसरी तरफ, इंडसइंड बैंक, एलटीआई माइंडट्री, एशियन पेंट्स, नेस्ले इंडिया और बजाज फाइनैंस गिरावट वाले शेयरों में शामिल रहे।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च के उप-प्रमुख देवार्ष वकील का भी मानना है कि निफ्टी-50 सूचकांक में मौजूदा स्तरों से अच्छी तेजी तभी आएगी जब बैंक और आईटी क्षेत्रों का प्रदर्शन मजबूत होगा।
उनका मानना है, ‘फार्मा सेक्टर के लिए भी अब प्रदर्शन में सुधार का समय आ गया है। हालांकि निफ्टी 50 इंडेक्स में इसका ज्यादा भारांक नहीं है लेकिन बहुत से फार्मा शेयर री-रेटिंग के लिए तैयार हैं। दूसरी ओर, पूंजीगत वस्तु (खासकर बिजली क्षेत्र), रक्षा और रेलवे से जुड़े शेयरों ने हाल में अच्छा प्रदर्शन किया है और वे अब कमजोर प्रदर्शन कर सकते हैं। निवेशक उनसे पैसा निकालकर बैंकों और आईटी में लगा सकते हैं।’
विश्लेषकों का मानना है कि वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति, अमेरिकी चुनाव परिणाम और ब्याज दरों की दिशा आने वाले महीनों में अधिकांश इक्विटी बाजारों की चाल तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उनका कहना है कि सितंबर में होने वाली अमेरिकी फेड की बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना का असर बाजारों में दिख चुका है।