कोरोनावायरस महामारी के दौर से उबरकर सरपट दौड़ता सेंसेक्स आज पहली बार 60,000 अंक का ऐतिहासिक स्तर लांघ गया। हालांकि चीन की रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड के कर्ज संकट के कारण वैश्विक बाजारों में गिरावट का रुख रहा, जिसकी वजह से सेंसेक्स ने भी दिन के उच्चतम स्तर से करीब 300 अंक गंवा दिए।
कारोबार की समाप्ति पर सेंसेक्स 163 अंकों की बढ़त के साथ 60,048 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 60,333 तक पहुंच गया था। निफ्टी भी 30 अंक ऊपर 17,853 पर बंद हुआ। सेंसेक्स ने आखिरी 5,000 अंकों की बढ़त महज 28 कारोबारी सत्रों में हासिल कर ली। 13 अगस्त को सेंसेक्स 55,000 के पार पहुंचा था।
कोविड के दौरान मार्च, 2020 के निचले स्तर से सेंसेक्स अब तक करीब 2.3 गुना उछल चुका है, जो दुनिया के प्रमुख बाजारों में सबसे शानदार प्रदर्शन है। अगस्त के बाद से देसी बाजार में करीब 15 फीसदी की तेजी आई है, जबकि इस दौरान अधिकतर वैश्विक बाजारों का प्रदर्शन तकरीबन सपाट रहा है। देसी निवेशकों के साथ ही वैश्विक निवेशकों की लगातार लिवाली, मौद्रिक नीतियों में ढील जारी रहने और घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद ने शेयर बाजार को सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंचाने में अहम योगदान दिया है।
इस दौरान विदेशी निवेशकों ने 9 अरब डॉलर (65,000 करोड़ रुपये से ज्यादा) का निवेश किया है, जबकि दक्षिण कोरिया जैसे अन्य उभरते बाजारों में विदेशी निवेशकों ने इस दौरान बिकवाली की है। टीकाकरण में तेजी, संक्रमण की दर घटने, देश भर में कारोबारी गतिविधियों पर पाबंदियां हटाए जाने और आर्थिक संकेतकों में सुधार से भारतीय बाजार के प्रति निवेशकों का हौसला बढ़ा है। पिछले 18 महीने में रिकॉर्ड संख्या में नए निवेशक भारतीय बाजार में आए हैं और बाजार बिना रोकटोक सरपट भागता नजर आया है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी मोतीलाल ओसवाल ने कहा, ‘घरेलू बाजार में तेजी सकारात्मक वैश्विक संकेतों, घरेलू और विदेशी निवेशकों के सतत निवेश, कंपनियों की बेहतर आय, कोविड के मामलों में गिरावट और पूंजी लागत में कमी की वजह से आई है। निवेशकों का मनोबल बढऩे और सतत लिवाली से शेयरों का मूल्यांकन उच्च स्तर पर पहुंव गया है।’
इस साल प्रमुख वैश्विक बाजारों में सेंसेक्स सबसे अधिक 25 फीसदी चढ़ा है। इसकी वजह से भारतीय शेयरों का मूल्यांकन भी काफी बढ़ गया है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी पीयूष गर्ग ने कहा, ‘मुद्रास्फीति के बढ़ते जोखिम और दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा नरम मौद्रिक नीति वापस लिए जाने से बॉन्ड प्रतिफल बढ़ सकता है, जिससे बाजार में तेज गिरावट का जोखिम हो सकता है। ऐसे में निवेशकों को बॉन्ड प्रतिफल की चाल पर सतर्क नजर रखने की जरूरत है क्योंकि प्रतिफल बढऩे से बाजार में मौजूदा स्तर से 10 से 15 फीसदी की गिरावट आ सकती है।’
फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने बुधवार को कहा था कि नवंबर से बॉन्ड खरीद कम की जा सकती है और 2022 के मध्य तक यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है। फेड के अधिकारियों ने संकेत दिया था कि दरों में अगले साल इजाफा संभव है। निवेशकों ने फेड के इस कदम का स्वागत किया और इसे अर्थव्यवस्था में मजबूत सुधार का संकेत माना।
हालांकि एवरग्रैंड को लेकर बाजार में घबराहट बनी हुई है क्योंकि इसके संकट में फंसने से दुनिया भर के बाजार प्रभावित हो सकते हैं। धातु कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट आई है। निफ्टी धातु सूचकांक 2 फीसदी से ज्यादा गिरावट पर बंद हुआ। टाटा स्टील और जिंदल स्टील में 3-3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई।
