ब्याज दर में कोई बदलाव न होने के बावजूद डेट म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाएं प्रदर्शन के लिहाज से 2024 पिछले चार वर्षों में सबसे उम्दा कैलेंडर वर्ष रहने जा रहा है। डेट फंडों के एक साल के प्रदर्शन के विश्लेषण से पता चलता है कि कई योजनाओं ने वर्ष 2024 में दो अंक का रिटर्न दिया है। लंबी अवधि वाले डेट फंडों का प्रदर्शन शानदार रहा। ये फंड योजनाएं सिर्फ टॉप रेटिंग वाली प्रतिभूतियों में ही निवेश करती हैं। इस श्रेणी की सभी सात योजनाओं ने पिछले एक साल में 10 प्रतिशत से अधिक रिटर्न दिया है।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि अधिकांश गिल्ट फंड और डायनेमिक बॉन्ड फंड भी 9 प्रतिशत से अधिक चढ़े हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस मजबूत प्रदर्शन का श्रेय वर्ष के दौरान हुई कई सकारात्मक गतिविधियों को दिया जा सकता है, जिनमें वैश्विक बॉन्ड सूचकांक में शामिल होना और राजकोषीय समझदारी शामिल है।
ट्रस्ट म्युचुअल फंड के मुख्य कार्याधिकारी संदीप बागला ने कहा, ‘बॉन्ड यील्ड ने साल की शुरुआत सख्त तरलता हालात, ऊंची मुद्रास्फीति और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सतर्क रुख के कारण ऊंचे स्तर पर शुरुआत की। साल के दौरान कई कारक घरेलू बॉन्ड के लिए सकारात्मक साबित हुए। समग्र महंगाई में कमी आने लगी और मुख्य महंगाई, यानी खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति कई वर्षों के निचले स्तर पर आ गई।’
इस साल भारत सरकार के बॉन्डों को जेपी मॉर्गन ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किया गया। घरेलू बॉन्डों को भी 2025 में एफटीएसई रसेल ईएमजीबी इंडेक्स और ब्लूमबर्ग ईएम लोकल करेंसी गवर्नमेंट इंडेक्स में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘सरकारी बॉन्डों को कुछ वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में शामिल किया गया। इससे सुनिश्चित हुआ कि उन विदेशी निवेशकों की लगातार खरीद बनी रहेगी जो इन सूचकांकों पर नजर रखते हैं।’
10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड वर्ष के शुरू में 7.17 फीसदी पर था जो अब 6.79 फीसदी पर है। यील्ड में गिरावट बॉन्डधारकों के लिए सकारात्मक होती है, क्योंकि कीमतें और यील्ड का विपरीत संबंध होता है। यील्ड में उतार-चढ़ाव मुख्यतः मांग-आपूर्ति के गणित, ब्याज दरों में बदलाव तथा अन्य घरेलू वृहद एवं वैश्विक कारकों पर निर्भर करता है। मनी मार्केट फंड, कम अवधि वाले फंड और अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि वाले फंड जैसे कम निवेश अवधि वाले फंड भी 2024 में कई वर्षों में ऊंचे रिटर्न देने के लिए तैयार हैं।
19 दिसंबर तक उन्होंने एक वर्ष की अवधि में करीब 8 प्रतिशत रिटर्न दिया था। फंड प्रबंधकों के अनुसार 2024 की तेजी 2025 में भी बरकरार रहने की संभावना है। आरबीआई द्वारा दर कटौती की संभावना को अगले साल डेट बाजार के लिए अनुकूल माना जा रहा है।
बंधन एएमसी में फिक्स्ड इनकम में प्रमुख सुयश चौधरी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि खपत में कमी के साथ वृद्धि चक्रीय रूप से धीमी रहेगी और प्रस्तावित नए टैरिफ और चीन द्वारा अपनी अतिरिक्त क्षमता का निर्यात करने के दबाव से व्यावसायिक धारणा के संबंध में अनिश्चितता दिख सकती है।’ सुस्त आर्थिक वृद्धि के कारण केंद्रीय बैंक अगले वर्ष की शुरुआत में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।’